What Is Walking Pneumonia: सर्दी का मौसम अभी भले ही पूरी तरह नहीं आया हो, लेकिन हमें अपनी सेहत को लेकर अभी से सतर्क हो जाता चाहिए. जैसे-जैसे मौसम बदलता है, लगातार खांसी को कॉमन कोल्ड या सीजनल एलर्जी समझकर नजरअंदाज कर दिया जाता है. लेकिन जब खांसी दूर जाने से इनकार करती है या वक्त के साथ बिगड़ जाती है, तो ये कुछ गंभीर बीमारी का इशारा हो सकता है, जैसे कि वॉकिंग निमोनिया. ये एक तरह का लंग इंफेक्शन है जिसे एटिपिकल निमोनिया (Atypical Pneumonia) भी कहा जाता है.
वॉकिंग निमोनिया क्या है?
वॉकिंग निमोनिया असल में माइकोप्लाज्मा न्यूमोनिया जैसे बैक्टीरिया के कारण होने वाला एक फेफड़ों का हल्का संक्रमण है. साल 2018 की एक स्टडी में कहा गया है कि वॉकिंग निमोनिया एक हल्की, असामान्य बीमारी है जिसमें अलग-अलग लक्षण होते हैं. इसका पता लगाना मुश्किल हो सकता है, और ये साफ तौर से नजर नहीं आता है. निमोनिया के गंभीर रूपों के उलट, इसमें सिर्फ कभी-कभी बिस्तर पर आराम या अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत होती है. बहुत से लोग इस दौरान अपनी नॉर्मल जिंदगी जीते रहते हैं, और इस बात से अनजान होते हैं कि उनका फेफड़ा में एक बैक्टीरियल इंफेक्शन से लड़ रहा है.
वॉकिंग निमोनिया के लक्षण
-गले में खराश-हल्की सांस की तकलीफ-लगातार खांसी होना-हल्का बुखार-थकान
लगातार हो रही खांसी को न करें नजरअंदाज
2 या 3 हफ्ते से ज्यादा ड्यूशन तक रहने वाली खांसी वॉकिंग निमोनिया का संकेत हो सकती है. सर्दी या एलर्जी के उलट, ये बीमारी रिस्पिरेटरी ट्रैक्ट में गहरे सूजन का कारण बनती है. साथ ही ये खांसी पहले सूखी हो सकती है, लेकिन बाद में बलगम पैदा होने लगता है. ये विंड पाइप में परेशानी पैदा कर सकता है जिसके कारण बुखार या इससे जुड़े लक्षण पैदा हो सकते हैं.
वॉकिंग निमोनिया के रिस्क फैक्टर्सवॉकिंग निमोनिया असामान्य बैक्टीरिया के कारण होता है. ये किसी को भी प्रभावित कर सकता है, हालांकि कुछ लोग दूसरों की तुलना में ज्यादा सेंसिटिव होते हैं. आइए जानते हैं कि कौन से लोगों को इसका खतरा ज्यादा रहता है
-जो लोग भीड़भाड़ वाले इलाकों में ज्यादा रहते हैं-जिनकी इम्यूनिटी काफी कमजोर है-जिनको रिस्पिरेटरी डिसऑर्डर है-जो पॉल्यूटेड इलाकों में ज्यादा रहते हैं-जो हद से ज्यादा स्मोकिंग करते हैं.
कैसे लगेगा इस निमोनिया का पता?सीने का एक्स-रे वॉकिंग निमोनिया का पता लगा सकता है, जबकि कॉमन कोल्ड से शायद ही कभी एब्नार्मेलिटी नजर आदी है. अगर एक हफ्ते के बाद लक्षणों में सुधार के बजाय बिगाड़ आता है, तो डॉक्टर के पास जाकर सलाह लेना जरूरी है.
(Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.)