UP Board Schools Class 1 Poems Childhood Sweet Memories। Class 1 Poem : क्या आपने पढ़ी हैं ये 5 कविताएं? गारंटी है कि याद आ जाएगा बचपन

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बचपन की यादें हमेशा हमारे दिलों में बसी रहती हैं। खेलना, पढ़ना, सीखना, और अपने दोस्तों के साथ समय बिताना – ये सभी बचपन के खूबसूरत पल हैं। पहली कक्षा में पढ़ी गई कविताएं और कहानियां हमें अपने बचपन की गलियों में ले जाती हैं।

पहली कक्षा में एक बच्चा खड़े होकर तेज आवाज में कविता पढ़ता था और बाकी लोग समवेत स्वर में उसे दोहराते थे। इस दौरान टीचर कई तरह की गतिविधियां भी कराते थे, जिसे खेल-खेल में सीखना कहते थे।

आज हम आपके लिए पहली कक्षा में पढ़ी गई पांच कविताएं लेकर आए हैं, जिन्हें आप जरूर पढ़ना चाहेंगे।

सर-सर-सर-सर उड़ पतंग

यह बाल कविता मशहूर कवि सोहनलाल द्विवेदी ने लिखी है। पतंग का आकाश में उड़ना, हवा के साथ उसका नाचना, और धागे से बंधकर भी ऊंचाई छूना हमें उत्साह और सपनों की ओर ले जाता था।

सर-सर सर-सर उड़ी पतंग, फर-फर फर-फर उड़ी पतंग।
इसको काटा, उसको काटा, खूब लगाया सैर सपाटा।
अब लड़ने में जुटी पतंग, अरे कट गई, लुटी पतंग।
सर-सर सर-सर उड़ी पतंग, फर-फर फर-फर उड़ी पतंग।

लाठी लेकर भालू आया

हास्य और रोमांच से भरपूर इस कविता के रचयिता द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी हैं। इस कविता के जरिए बाल मन को प्रकृति और जानवरों के प्रति जिज्ञासा जगाने का प्रयास किया गया है।

लाठी लेकर भालू आया छम-छम छम-छम छम-छम-छम डुग-डुग डुग-डुग बजी डुगडुगी डम-डम डम-डम डम-डम-डम ढोल बजाता मेढक आया, ढम-ढम ढम-ढम ढम-ढम-ढम मेढक ने ली मीठी तान, और गधे ने गाया गान।

जिसने सूरज चांद बनाया, जिसने तारों को चमकाया

इस कविता को द्वारिका प्रसाद ने लिखा है। यह कविता ईश्वर की रचना और सृष्टि की सुंदरता पर आधारित है। ऐसी कविताएँ बच्चों में आस्था और आश्चर्य की भावना जगाती हैं और वे प्रकृति को एक अद्भुत उपहार की तरह देखते हैं।

जिसने सूरज चांद बनाया, जिसने तारों को चमकाया, जिसने फूलों को महकाया जिसने सारा जगत बनाया, उस प्रभु को सादर प्रणाम उसका करूं सदा गुणगान। प्रभु तुझे सादर प्रणाम

हुआ सबेरा चिड़ियां बोली

सुबह के समय चिड़ियों की चहचहाहट, सूरज की किरणें और प्रकृति का ताजापन बच्चों के मन में ऊर्जा भर देता है। यह कविता बच्चों को अनुशासन और समय का महत्व समझाती है।

हुआ सवेरा चिड़ियां बोलीं, बच्चों ने तब आंखें खोली। अच्छे बच्चे मंजन करते, मंजन करके कुल्ला करते, कुल्ला करके