Advanced Blood Test for Children: दुनियाभर में करीब 7,000 गंभीर बीमारियां होती हैं, जो 5,000 से ज्यादा जीन में बदलाव (म्यूटेशन) की वजह से होती हैं. इन बीमारियों से लगभग 30 करोड़ लोगों पर असर पड़ता है. फिलहाल, जिन पेशेंट्स में दुर्लभ बीमारी के चांसेस होते हैं, उनमें से लगभग आधे मामलों में बीमारी का सही पता नहीं चल पाता है और जो जांचें होती हैं, वे काफी स्लो होती हैं.
हजारों प्रोटीन्स को एक साथ एनालाइज किया जा सकता हैमेलबर्न यूनिवर्सिटी के रिसर्चर्स ने खून की मदद से एक नई जांच तकनीक बनाई है, जिसमें हजारों प्रोटीन्स को एक साथ एनालाइज किया जा सकता है. एक सीनियर पोस्टडॉक्टरल स्टूडेंट डॉ. डेनिएला हॉक ने जर्मनी में यूरोपीय सोसायटी ऑफ ह्यूमन जेनेटिक्स के एनुअल कॉन्फ्रेंस में रिसर्च प्रस्तुत करते हुए बताया कि ज्यादातर जीनडीएनए के जरिए प्रोटीन बनाते हैं, और ये प्रोटीन ही हमारे शरीर की सेल्स में काम करते हैं.
8,000 से ज्यादा प्रोटीन की पहचान कर सकते हैंहॉक ने कहा, “हमारा नया टेस्ट पेरिफेरल ब्लड मोनोन्यूक्लियर सेल्स (पीबीएमसीएस) में 8,000 से ज्यादा प्रोटीन की पहचान कर सकता है. यह 50% से ज्यादा जेनेटिक और माइटोकॉन्ड्रियल बीमारियों से जुड़े जीन्स को कवर करता है और नई बीमारियों के जीन की भी पहचान कर सकता है.”
जीन को नहीं, प्रोटीन को करती है एनालाइजयह तकनीक खास इसलिए है क्योंकि यह जीन को नहीं, बल्कि प्रोटीन को एनालाइज करती है. इससे यह समझने में मदद मिलती है कि किसी जीन में बदलाव से प्रोटीन के काम में कैसे असर पड़ता है और बीमारी कैसे कम होती है. अगर किसी जीन में बदलाव को बीमारी की वजह साबित किया जा सके, तो यह तकनीक हजारों बीमारियों के लिए फायदेमंद हो सकती है, और इससे नई बीमारियों का भी पता लगाया जा सकता है.
ट्रायो एनालिसिससबसे अच्छी बात यह है कि यह टेस्ट बहुत कम खून (सिर्फ 1 मिलीलीटर) में हो जाती है और गंभीर स्थिति में इलाज पाने वाले बच्चों को तीन दिन के अंदर रिपोर्ट मिल सकती है. हॉक के अनुसार, अगर यह टेस्ट माता-पिता और बच्चे तीनों के खून के नमूनों पर की जाए, तो इसे “ट्रायो एनालिसिस” कहा जाता है. यह नई टेस्ट न केवल समय बचाती है, बल्कि कई महंगी और अलग-अलग टेस्ट की जगह एक ही टेस्ट से सही रिजल्ट देती है, जिससे मरीज और अस्पताल दोनों का खर्च भी कम होता है.–आईएएनएस
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