रामभद्राचार्य-संत प्रेमानंद के बीच क्या है विवाद? भड़क गया पूरा संत समाज, अभिनव अरोड़ा का बयान लाया नया ट्विस्ट

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मथुरा. वृंदावन के लोकप्रिय आध्यात्मिक गुरु प्रेमानंद महाराज आए दिन खबरों में छाए रहते हैं. सेलेब्रिटी हो या फिर बुजुर्ग से लेकर बच्चे… सब उनके ज्ञान से प्रभावित रहते हैं. हाल ही में राज कुंद्रा ने उन्हें किडनी देने की पेशकश भी की थी. इस बीच, पूज्य संत जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने प्रेमानंज महाराज पर ऐसा कुछ बोल दिया की, जिसे लेकर अब विवाद काफी बढ़ गया है. आइए जानते है क्या कहा था संत जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने? अब सामने आ रहे लोगों के बयान…

रामभद्राचार्य ने ऐसा क्या कहा, जिसे सुन भड़क गए लोगदरअसल, संत रामभद्राचार्य एक पॉडकास्ट में पहुंचे थे. जब उनसे पूछा गया कि प्रेमानंद महाराज के चमत्कार को आप कैसे देखते हैं. इस सवाल के जवाब में संत जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने कहा, ‘प्रेमानंद महाराज न तो विद्वान हैं और न ही चमत्कारी हैं.’ इस दौरान उन्होंने संत प्रेमानंद को चुनौती देते हुए कहा, ‘अगर उनमें क्षमता है तो वो मेरे सामने संस्कृत का एक अक्षर या फिर संस्कृत के श्लोक का अर्थ ही समझाकर दिखाएं.’

इतना ही नहीं, उन्होंने आगे कहा कि वो तो मेरे सामने बालक समान हैं, शास्त्र जिसको आए वही चमत्कार है. हालांकि, संत रामभद्राचार्य ने कहा कि मैं प्रेमानंद से द्वेष नहीं रखता हूं, फिर कह रहा हूं वो मेरे बालक जैसे हैं. मैं उन्हें ना तो विद्वान कह रहा हूं, ना साधक ना चमत्कारी.

इमेज चमकाने के लिए आते है सेलेब्रिटीसंत रामभद्राचार्य ने कहा कि किडनी का डायलिसिस तो होता रहता है. जो वो करना चाहते हैं, उन्हें करने दीजिए. सारे सेलेब्रिटी अपनी इमेज चमकाने के लिए उनके पास आते हैं. जैसे ही ये वीडियो वायरल हुआ तो सोशल मीडिया पर लोगों का गुस्सा फूट गया. किसी ने जगद्गुरु को अहंकारी बताया तो किसी ने प्रेमानंद महाराज की तारीफों के पुल बांध दिए.

रामभद्राचार्य-प्रेमानंद महाराज विवाद पर कौन क्या बोला
इस विवाद पर अब बाल कथावाचक अभिनव अरोड़ा भी कूद पड़े हैं. अभिनव अरोड़ा ने न्यूज 18 के साथ बातचीत में कहा, ‘किसी भी संत पर टिप्पणी करने के लिए मैं बहुत छोटा हूं. खासकर इतने बड़े संतों को लेकर. मेरा मानना है कि संतों के बीच विवाद नहीं होना चाहिए. मुझे रामभद्राचार्य जी में प्रभु श्री राम और प्रेमानंद महाराज जी में मेरी किशोरी जी के दर्शन होते हैं.

वहीं, संत जगद्गुरु रामभद्राचार्य के उत्तराधिकारी आचार्य रामचंद्र दास ने इस विवाद पर सफाई देते हुए कहा, जगद्गुरु सबके गुरु होते हैं और सारी प्रजा उनके पुत्र के समान होती है. जगद्गुरु की बातों को इस तरह से प्रस्तुत नहीं किया जाना चाहिए था. प्रेमानंद जी से गुरुदेव को किसी प्रकार की ईर्ष्या नहीं है. लेकिन कुछ कूप-मंडूक दो महापुरुषों के विषय में बात कर रहे हैं.

इस विवाद पर हनुमान गढ़ी मंदिर के पुजारी महंत राजू दास की प्रतिक्रिया भी सामने आई है. उन्होंने कहा, ‘दोनों महान संत हैं और ऐसे बयान नहीं दिए जाने चाहिए.’ वहीं, संत दिनेश फलाहारी महाराज ने कहा, ‘प्रेमानंद महाराज जी एक बहुत महान और दिव्य संत हैं और उनपर रामभद्राचार्य द्वारा दिया गया बयान बहुत गलत है.’ आचार्य मधुसूदन महाराज ने कहा कि संत रामभद्राचार्य महाराज की टिप्पणी पूरी तरह से निराधार और निंदनीय हैं.

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