नेपाल में फंसे प्रोफेसरों ने बताया आंखों देखा हाल
उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के तीन प्रोफेसर और उनके परिवार नेपाल से सुरक्षित लौट आए हैं। ये सभी 6 से 8 सितंबर 2025 तक काठमांडू के सेन्ट्रल कॉलेज में आयोजित “विश्व जलवायु परिवर्तन कांग्रेस (CCIE-2025)” में भाग लेने के लिए गए हुए थे। अचानक नेपाल में भड़की हिंसा के कारण टीडी कॉलेज बलिया के प्रो. अशोक कुमार सिंह, प्रो. बृजेश सिंह, डॉ. अजीत कुमार सिंह, डॉ. अनिल कुमार सिंह और दो परिजन भी फंस गए थे।
वापस आने के बाद प्रोफेसर अशोक कुमार सिंह और प्रोफेसर बृजेश कुमार सिंह ने अपनी आंखों देखी भयावह घटना बताई। उन्होंने कहा कि सम्मेलन के बाद सभी ने पशुपतिनाथ मंदिर, चन्द्रगिरी हिल, बुद्ध स्तूप, स्वयंभूनाथ, बुढ़ा नीलकंठ, सांगा शिव, हनुमानढोका दरबार, पाटन दरबार, बोटेनिकल गार्डन और डोलेश्वर प्रख्यात महादेवकैलेश्वर बहुत ऊंची पहाड़ पर स्थित नाथ का दर्शन किया, लेकिन 8 सितंबर को हुए Nepal Zen Z Protest ने स्थिति भयावह बना दी।
आंदोलन में 19 छात्रों की मौत के बाद पूरा नेपाल जलने लगा। सड़कों पर आगजनी, हिंसा और तोड़फोड़ शुरू हो गई। उन्होंने कहा कि एकदम अंदर से डर लगने लगा। प्रदर्शनकारियों ने पुलिस के हथियार छीन लिए थे। बलिया के प्रोफेसर अशोक कुमार सिंह ने बताया कि हर 100 मीटर पर टायर और लकड़ियां जल रही थीं। पुलिस और सेना सड़कों से गायब थीं। भाषा की समस्या के कारण डर और भी बढ़ रहा था।
9 सितंबर को नेपाली सेना ने एक दिन के लिए शासन संभाला और हालात पर थोड़ा काबू पाया। 10 सितंबर को नेपाल शांत रहा और सभी पर्यटक सुरक्षित अपने देश लौटने लगे, तो थोड़ा जान में जान आई। बलिया लौटे सभी लोग बेहद खुश हैं और भगवान पशुपतिनाथ की कृपा मान रहे हैं कि वह सकुशल वापस आ सके हैं।
उन्होंने नेपाल में देखी भयावह स्थिति को कभी न भूल पाने वाला अनुभव बताया है। उन्होंने कहा कि वहां के लोगों के मुताबिक वहां भ्रष्टाचार बढ़ गया था, जिसका अंत हुआ है। आंदोलन करना चाहिए, लेकिन अपने ही संसद को और अपने ही देश की संपत्ति को क्षति पहुंचाना किसी भी तरीके से न्यायोचित नहीं है।