रायबरेली के किसान ने मचान विधि से बदली किस्मत, लाखों में हो रही कमाई
रायबरेली जिले के महाराजगंज कस्बे के निवासी रविंद्र कुमार परंपरागत फसलों धान और गेहूं के साथ ही सब्जियों की खेती करते थे. परंतु वह सामान्य तौर तरीकों से ही सब्जियों की खेती कर रहे थे. जिससे उन्हें ज्यादा मुनाफा नहीं हो रहा था. बारिश के मौसम में तो ज्यादा बारिश होने पर उनकी फसल खराब हो जाती थी. इसकी वजह से वह परेशान रहते थे, लेकिन एक दिन वह खेतों में तैयार सब्जी (बैंगन) को लेकर बाराबंकी के बाजार में बिक्री के लिए गए हुए थे. जहां उनकी मुलाकात बाराबंकी के रहने वाले संतोष चौधरी से हुई. तो उन्होंने अपनी पूरी बात उनको बताई, तभी उनके दोस्त संतोष ने कहा कि आप परेशान ना हों. हम आपको एक नई विधि बता रहे हैं, जिससे बारिश के मौसम में भी आपकी फसल खराब नहीं होगी.
रविंद्र कुमार ने बताया कि उनके दोस्त ने उन्हें मचान विधि के बारे में खेती करने का आईडिया दिया. उन्हीं के द्वारा मिले आइडिया से उन्होंने 1.5 एकड़ में मचान विधि से सब्जी की खेती शुरू कर दी. अब बारिश के मौसम में उनकी फसल सुरक्षित भी है. वह किसी भी प्रकार का जल जमाव से फसल के नुकसान होने का डर भी नहीं है.
मचान विधि के बारे में जानकारी देते हुए रविंद्र कुमार ने बताया कि मचान बनाने के लिए बांस, लोहे का तार, सूत की रस्सी की जरूरत पड़ती है. उसके बाद खेत की अच्छे से जुताई करके उसमे बांस के टुकड़े को पंक्तिवार तरीके से ढाई से तीन फीट गहरे गड्ढे खोदकर उसी में बांस के टुकड़े गाड़ दिए जाते हैं. फिर लोहे के तार से या सूत की रस्सी से सभी को आपस में बांधकर जाल बना कर तैयार कर दिया जाता है. मचान तैयार होने के बाद उन्हीं बांस के टुकड़ों के पास पौधे की रोपाई कर दी जाती है. जैसे-जैसे पौधा बढ़ता है. उसकी बेल को सूत की पतली रस्सी के सहारे उसी जाल पर चढ़ा दिया जाता है, जिससे फल आने पर वह फल नीचे की ओर जमीन पर लटक जाते हैं. इस तरह सब्जी की खेती करने पर खेत में जल जमाव होने पर भी फल का नुकसान नहीं होता है.
रविंद्र कुमार ने बताया कि लता वर्गीय सब्जियों के लिए मचान विधि सबसे उपयोगी है. क्योंकि इसमें किसी भी मौसम में फसल के खराब होने का खतरा नहीं रहता है. वह एक एकड़ में मचान विधि से लौकी की खेती करके अच्छा मुनाफा

