सौरभ वर्मा/ रायबरेली : कहते हैं एक आईडिया आपकी दुनिया बदल सकता है. ऐसा ही कुछ हुआ रायबरेली जिले के रहने वाले रविंद्र कुमार के साथ, जिनके दोस्त से मिले आइडिया ने उनकी दुनिया ही बदल दी. बता दें कि रायबरेली जिले के महाराजगंज कस्बे के निवासी रविंद्र कुमार परंपरागत फसलों धान और गेहूं के साथ ही सब्जियों की खेती करते थे. परंतु वह सामान्य तौर तरीकों से ही सब्जियों की खेती कर रहे थे. जिससे उन्हें ज्यादा मुनाफा नहीं हो रहा था.
पानी के जमाव से सब्जियां हो जाती थी खराब
बारिश के मौसम में तो ज्यादा बारिश होने पर उनकी फसल खराब हो जाती थी. इसकी वजह से वह परेशान रहते थे, लेकिन एक दिन वह खेतों में तैयार सब्जी (बैंगन) को लेकर बाराबंकी के बाजार में बिक्री के लिए गए हुए थे. जहां उनकी मुलाकात बाराबंकी के रहने वाले संतोष चौधरी से हुई. तो उन्होंने अपनी पूरी बात उनको बताई, तभी उनके दोस्त संतोष ने कहा कि आप परेशान ना हों. हम आपको एक नई विधि बता रहे हैं, जिससे बारिश के मौसम में भी आपकी फसल खराब नहीं होगी.
लोकल 18 से बात करते हुए रविंद्र कुमार बताते हैं कि हमारे दोस्त ने हमें मचान विधि के बारे में खेती करने का आईडिया दिया. उन्हीं के द्वारा मिले आइडिया से उन्होंने 1.5 एकड़ में मचान विधि से सब्जी की खेती शुरू कर दी. अब बारिश के मौसम में उनकी फसल सुरक्षित भी है. वह किसी भी प्रकार का जल जमाव से फसल के नुकसान होने का डर भी नहीं है.
इस तरह तैयार होता है मचान
रविंद्र कुमार बताते हैं कि मचान बनाने के लिए बांस, लोहे का तार, सूत की रस्सी की जरूरत पड़ती है. उसके बाद खेत की अच्छे से जुताई करके उसमे बांस के टुकड़े को पंक्तिवार तरीके से ढाई से तीन फीट गहरे गड्ढे खोदकर उसी में बांस के टुकड़े गाड़ दिए जाते हैं. फिर लोहे के तार से या सूत की रस्सी से सभी को आपस में बांधकर जाल बना कर तैयार कर दिया जाता है.
मचान तैयार होने के बाद उन्हीं बांस के टुकड़ों के पास पौधे की रोपाई कर दी जाती है. जैसे-जैसे पौधा बढ़ता है. उसकी बेल को सूत की पतली रस्सी के सहारे उसी जाल पर चढ़ा दिया जाता है, जिससे फल आने पर वह फल नीचे की ओर जमीन पर लटक जाते हैं. इस तरह सब्जी की खेती करने पर खेत में जल जमाव होने पर भी फल का नुकसान नहीं होता है.
लता वर्गीय सब्जियों के लिए सबसे उपयोगी है मचान विधि
रविंद्र कुमार बताते हैं कि लता वर्गीय सब्जियों के लिए मचान विधि सबसे उपयोगी है. क्योंकि इसमें किसी भी मौसम में फसल के खराब होने का खतरा नहीं रहता है. साथ ही वह बताते हैं कि वह एक एकड़ में मचान विधि से लौकी की खेती करके अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं.एक एकड़ में लगभग 90 हजार से एक लाख रुपए तक लागत आती है तो वहीं, लागत के सापेक्ष सालाना दो से ढाई लाख का मुनाफा हो जाता है. आगे की जानकारी देते हुए बताते हैं कि वह मौसम के अनुसार सब्जियों की खेती करते हैं.
इस समय उनके पास 1 .5 एकड़ में लौकी और एक बीघे में बैंगन की सब्जी तैयार है. खेतों में तैयार सब्जियों को वह रायबरेली, बाराबंकी, लखनऊ के बाजारों में बिक्री के लिए भेजते हैं. जहां से उन्हें अच्छा मुनाफा मिल जाता है.
एक आइडिया ने बदली किस्मत
किसान रविंद्र कुमार बताते हैं कि बाराबंकी के रहने वाले उनके दोस्त संतोष चौधरी के आइडिया ने उनकी तकदीर बदल दी है, जिससे वह अब सालाना लाखों रुपए की कमाई कर रहे हैं. अब उन्हें फसल के खराब होने का खतरा भी नहीं सताता है.