भाई दूज पर्व सदियों से होता चला आ रहा है, जो दिवाली के दो दिन बाद मनाया जाता है. यह पर्व भाई-बहन के रिश्ते को और गहरा करने वाला है. इस पर्व का सीधा संबंध यमराज और उनकी बहन यमुना से जुड़ा हुआ है.
भाई दूज पर्व को ‘यम द्वितीया’ भी कहा जाता है, क्योंकि इसका सीधा संबंध यमराज और उनकी बहन यमुना जी की कथा से जुड़ा हुआ है. यह कथा काफी चर्चित है. प्राचीन मान्यता के अनुसार, यमराज अपनी बहन यमुना जी के घर उनके सम्मान और स्नेह का आदर करने गए थे. यमुना जी ने उन्हें तिलक किया, आरती उतारी और भोजन कराकर अपना प्रेम और सेवा का भाव दिखाया. इस पर यमराज ने वचन दिया कि जो भाई अपनी बहन को इस दिन बुलाकर तिलक और भोजन कराएगा, उसकी बहन हमेशा सुरक्षित, सुखी और समृद्ध रहेगी. इस वजह से भाई दूज को “यम द्वितीया” कहा गया और यह पर्व भाई-बहन के रिश्ते में सुरक्षा, स्नेह और आशीर्वाद का प्रतीक बन गया.
भाई दूज पर्व का महत्व और भी गहरा है. इस दिन बहनें अपने भाई की लंबी उम्र, खुशहाली और समृद्धि की प्रार्थना करती हैं. भाई भी बहन को उपहार देते हैं. यह पर्व केवल उपहार और तिलक का अवसर नहीं है, बल्कि भाई-बहन के पारंपरिक संबंध में सुरक्षा, सम्मान और जिम्मेदारी की भावना को भी उजागर करता है.
भाई दूज पर्व के दौरान, भाई अपनी बहन का चरण वंदन करता है और बहन भाई को गोले का अखंड श्रीफल अर्पण करती है ताकि भाई का स्वास्थ्य इत्यादि दीर्घायु बना रहे. यह पर्व सदियों से होता आया है और इसका महत्व भाई-बहन के रिश्ते में बहुत अधिक है.