पीलीभीत जिले में नेपाली हाथियों की आमद से किसानों को मिला सरदर्द
उत्तर प्रदेश के पीलीभीत जिले में बाघ और तेंदुए की आबादी की भी चहलकदमी तो मानो आम बात हो गई है, लेकिन इन दिनों पीलीभीत के तमाम इलाकों में नेपाली हाथी किसानों के लिए सरदर्द बने हुए हैं। प्रवासी हाथी जमकर फसलों को चट कर जा रहे हैं, आलम यह है कि किसानों को रात भर जागकर अपने खेतों की रखवाली करनी पड़ रही है।
पीलीभीत जिले में शारदा नदी के पार टाइगर रिजर्व का बराही रेंज का जंगल है, जो इंडो-नेपाल सीमा पर स्थित है। सीमा के पार नेपाल का शुक्लाफांटा अभ्यारण है। खुली सीमा के चलते आए दिन गेंडे और हाथी समेत तमाम जंगली जानवर भारत की सीमा में प्रवेश कर जाते हैं। कई बार ये जंगली जानवर जंगल से सटे आबादी वाले इलाकों में भी पहुंच जाते हैं।
बीते कुछ दिनों से पीलीभीत टाइगर रिज़र्व के बाराही रेंज से सटे तमाम इलाकों में हाथियों की चहलकदमी देखी जा रही है। एक तरफ़ जहाँ बीते दिनों हाथियों के झुंड ने सिमरा गाँव में किसानों की फसल और झोपड़ियों को नुक्सान पहुंचाया था, वहीं अब हाथी देर रात आबादी वाले इलाकों में दाख़िल होकर किसानों की फसलों को नुक़सान पहुँचा रहे हैं। ग़ौरतलब है कि धान की फ़सल आने वाले कुछ दिनों में ही काटी जानी है, ऐसे में लगभग तैयार हो चुकी फ़सल का नुक़सान होने के डर से किसान रात रात भर जागकर अपने खेतों की रखवाली में जुटे हुए हैं।
बीते दिनों ही मिला है तीन साल से अटका मुआवजा, यह पहला मौक़ा नहीं है जब प्रवासी हाथियों की आमद पीलीभीत ज़िले में दर्ज की गई हो, प्रवासी हाथी लगभग हर साल अपने परंपरागत रूट से होकर निकलते हैं। ऐसे चहलक़दमी के दौरान रास्ते में आने वाली फ़सल और घरों को ख़ासा नुक़सान पहुँचता है। प्रभावित किसानों को उनके नुक़सान की भरपाई करने के लिहाज़ से मुआवज़ा देने का भी प्रावधान है।
बीते दिनों ही ज़िले के 281 किसानों को तीन साल के दौरान हुए नुक़सान का मुआवज़ा दिया गया है। पीलीभीत जिले में नेपाली हाथियों की आमद से किसानों को मिला सरदर्द, खेतों में मचा रहे उत्पात, जानें कैसे।