फर्रुखाबाद: पुल में बड़े-बड़े गड्ढे, ज्वाइंट पूरी तरह खुले और जान जोखिम में डालकर आवाजाही कर रहे लोग… यह पूरी तस्वीर है फर्रुखाबाद शहर के पांचालघाट स्थित गंगा नदी पर बने पुल की. यह पुल ग्वालियर से लिपुलेख चीन बॉर्डर को जोड़ता है. इसकी मरम्मत 50 लाख रुपये में मार्च में हुई थी. इसके बावजूद 15 दिन में फिर से खराब हो गया. यहां कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है.
पांचालघाट पुल के नीचे से प्लास्टर उखड़ गया है. इससे लोहे की गली हुईं सरिया और गाटर तक नजर आने लगे हैं. इससे यह आशंका गहराने लगी है कि कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है. पुल में बने बड़े बड़े क्रेटर से वाहन गुजरते हैं. पुल में भयानक कंपन और झटके लगते हैं. इससे गुजरने वाला हर कोई एक अजीब डर में रहता है. यहां गड्ढे में कई बार वाहन फंसकर हादसे का शिकार हो चुके हैं. मगर, फिर भी प्रशासन मौन साधे हुए है.
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इटावा-बरेली हाईवे पर स्थित इस पुल का निमार्ण वर्ष 1971 में लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) ने किया था. इसकी लंबाई 750 मीटर है. मौजूदा समय में गंगा में आई बाढ़ के कारण पुल की संरचना पर और अधिक दबाव बना है. ऐसे में मरम्मत के बावजूद पुल की स्थिति बदतर हो गई है. मार्च 2025 में इस पुल को मरम्मत के लिए लगभग एक माह तक बंद रखा गया. यातायात को वैकल्पिक मार्गों पर डायवर्ट किया गया था.
लाखों खर्च कर की गई थी मरम्मत
31 मार्च को पुल को दोबारा चालू किया गया, लेकिन मात्र तीन माह बाद ही पुल की हालत फिर से खराब हो गई. खुले ज्वॉइंट, उधड़े सरिये और बाहर झांकते गाटर पुल की जर्जर स्थिति को दर्शा रहे हैं. पुल से प्रतिदिन लगभग 15 हजार बड़े वाहन गुजरते हैं. फर्रुखाबाद समेत पांच जिलों इटावा, कन्नौज, बरेली, शाहजहांपुर और हरदोई के वाहनों की आवाजाही इस पुल से होती है.
1 माह की बंदी दिखी बेअसरज्वॉइंट भरने के लिए कार्यदायी संस्था ने कंक्रीट डाली. मगर, यातायात के दबाव के चलते यह प्रयोग सफल नहीं हुआ. हद तो तब हो गई, जब पुल के बीचों बीच बड़ा गड्ढा भरने के लिए उसके ऊपर प्लाई रख दी गई. इसके ऊपर से गुजर रहे वाहन कभी भी फंस सकते हैं. हादसा होने के साथ ही जाम लगने से लोगों को काफी दिक्कत का सामना करना पड़ सकता है.
सेना के लिए महत्वपूर्ण है पुलयह पुल सेना के लिए काफी महत्वपूर्ण है. नेपाल और चीन की सीमा पर तनाव होने पर यहां से सेना के जवान सीधे पहुंच सकते हैं. इस पुल के अतिरिक्त बरेली, शाहजहांपुर, बदायूं, हरदोई, पीलीभीत आदि के लिए जाने को कोई दूसरा आसान रास्ता नहीं है.