Uttar Pradesh

ADR Report says 45 MLA may Not Contest Uttar Pradesh Chunav as Chrages Framed by Court against These Sitting MLAs of UP Assembly Election 2017



लखनऊ: उत्तर प्रदेश (UP Chunav) में अगले साल की शुरुआत में होने वाले विधानसभा चुनाव (Uttar Pradesh Vidhansabha Chunav) में मौजूदा 396 विधायकों में से 45 विधायक ऐसे हैं, जो चुनाव लड़ पाएंगे या नहीं, यह कहना बहुत ही मुश्किल है. उत्तर प्रदेश में कुल 45 ऐसे विधायक हैं, जिनके इस बार चुनाव लड़ने पर खतरा मंडराया हुआ है, इसकी वजह हैं उन पर लगे आरोप. प्रदेश के मौजूदा 396 में से 45 विधायकों के चुनाव लड़ने पर संशय है, क्योंकि इन पर कोर्ट द्वारा आरोप तय कर दिए गे हैं. चुनावी सीटों और कैंडिडेटों का बहीखाता रखने वाली संस्था एसोसिएट डेमोक्रेटिक रिफार्म यानी एडीआर (ADR Report) ने अपनी शुक्रवार को जारी रिपोर्ट में दावा किया है कि उत्तर प्रदेश के मौजूदा 45 विधायकों पर एमपी-एमएलए कोर्ट में आरोप तय हो गए हैं. ऐसे मे उनके चुनाव लड़ने पर संशय पैदा हो गया है.
दरअसल, आरपी अधिनियम (रिप्रेजेन्टेशन ऑफ पीपुल एक्ट/लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम) 1951 की धारा 8(1), (2) और (3) के तहत सूचीबद्ध अपराधों में कोर्ट द्वारा ये आरोप तय हुए हैं. इस तरह से देखा जाए तो ऐसे में इन मामलों में कम से कम छह महीने की सजा होने पर ये विधायक चुनाव नहीं लड़ सकेंगे. हालांकि, यह भी फैसला चुनाव आयोग के हाथ में है, क्योंकि चुनाव लड़ने को योग्य या अयोग्य तय करने का अधिकार चुनाव आयोग के पास है. एडीआर द्वारा जारी दागी उम्मीदवारों की रिपोर्ट में सबसे अधिक दागी विधायक भारतीय जनता पार्टी के ही हैं.
रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय जनता पार्टी के 32, सपा के पांच, बसपा व अपना दल के 3-3 और कांग्रेस व अन्य दल का एक-एक विधायक शामिल है. इतना ही नहीं, रिपोर्ट के मुताबिक, इन 45 विधायकों के खिलाफ आपराधिक मामले लंबित रहने की औसत संख्या 13 वर्ष है. इनमें से 32 विधायकों के खिलाफ दस साल या उससे अधिक समय से कुल 63 आपराधिक मामले लंबित हैं.
एडीआर रिपोर्ट में उन विधायकों की पूरी सूची है, जिनके ऊपर आरोप तय हुए हैं. इसमें यह भी बताया गया है कि किसके खिलाफ कितने साल से मामले लंबित हैं. इन सबके ऊपर मर्डर से लेकर अटेंप्ट टू मर्डर और कई तरह के आरोप हैं. इस लिस्ट में भाजपा विधायक रमाशंकर सिंह टॉप पर हैं तो वहीं बसपा विधायक और बाहुबली मुख्तार अंसारी दूसरे नंबर पर हैं, जिनके ऊपर 20 साल से अधिक समय से मामले लंबित हैं. इन पर अलग-अलग आरोप हैं.
क्या है आर.पी अधिनियम, 1951 की धारा 8(1) (2) और (3)दरअसल, जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 8 में राज्य में संसद के किसी भी सदन के सदस्य के साथ-साथ विधानसभा या विधान परिषद के सदस्य के रूप में होने और चुने जाे वाले व्यक्तियों के लिए अयोग्यता का प्रावधान है. अधिनियम की धारा 8 की उप-धाराएं (1), (2) और (3) में प्रावधान है कि इनमें से किसी भी उपधारा में उल्लेखित अपराध के लिए दोषी व्यक्ति को दोषसिद्धि की तारीख से अयोग्य घोषित किया जाएगा और उसकी रिहाई के छह साल बाद तक की अवधि के लिए वह अयोग्य बना रहेगा. इसमें हत्या से बलात्कार, डकैती से लेकर अपहरण और रिश्वत जैसे अपराध भी शामिल हैं.

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