Uttar Pradesh

लखनऊ समाचार: एफआईआर अवैध, गिरफ्तारी गलत.. हाईकोर्ट लखनऊ बेंच ने एंटी लव जिहाद कानून के तहत दर्ज मामले में सरकार पर लगाया 75 हजार का जुर्माना

उत्तर प्रदेश के संवेदनशील धर्मांतरण कानून के तहत दर्ज एक एफआईआर को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने अवैध करार देते हुए खारिज कर दिया है. कोर्ट ने आरोपी उबैद खान उर्फ उमेद की गिरफ्तारी को भी गैरकानूनी ठहराया और उनकी तत्काल रिहाई का आदेश जारी किया. साथ ही, राज्य सरकार पर 75 हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया, जिसमें से 50 हजार रुपये आरोपी को मुआवजे के रूप में दिए जाएंगे. शेष 25 हजार रुपये कोर्ट की विधिक सहायता निधि में जमा करने का निर्देश दिया गया है.

यह फैसला जस्टिस अब्दुल मोइन और जस्टिस बबीता रानी की बेंच ने 30 अक्टूबर को सुनाया. कोर्ट ने पुलिस की कार्रवाई पर तीखी टिप्पणी करते हुए कहा कि यह मामला राज्य के अधिकारियों द्वारा एफआईआर के आधार पर ‘अंक बटोरने’ की होड़ का स्पष्ट उदाहरण है. बेंच ने जोर देकर कहा कि पीड़िता के बयान के बावजूद आरोपी को जेल में रखना न्याय का अपमान है.

क्या है पूरा मामला मामला बहराइच जिले के मटेरा थाने से जुड़ा है. 13 सितंबर 2025 को पंकज कुमार ने एफआईआर दर्ज कराई थी, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया कि उनकी पत्नी वंदना वर्मा को पांच लोगों ने बहला-फुसलाकर घर से भगा लिया. उन्होंने दावा किया कि वंदना जेवर और नकदी लेकर चली गईं और आरोपी अवैध धर्म परिवर्तन का गैंग चला रहे थे. इस आधार पर पुलिस ने उत्तर प्रदेश अवैध धर्मांतरण निषेध अधिनियम, 2021 के तहत मामला दर्ज किया, साथ ही भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 140 (अपहरण) के तहत कार्रवाई की.

18 सितंबर को उबैद खान को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया. शुरुआत में 15 सितंबर को वंदना ने पुलिस को दिए बयान में पति के आरोपों का समर्थन किया. लेकिन 19 सितंबर को मजिस्ट्रेट के समक्ष उनके बयान ने पूरी कहानी बदल दी. वंदना ने कहा कि उनका पति उनसे मारपीट करता था, इसलिए वे स्वेच्छा से दिल्ली चली गई थीं. हाईकोर्ट में दाखिल हलफनामे में वंदना ने स्पष्ट किया कि पुलिस के सामने दिया गया उनका बयान पति के दबाव में था.

कोर्ट की सख्त फटकार हाईकोर्ट ने पीड़िता के बयान को आधार बनाते हुए कहा कि अपहरण या धर्मांतरण का कोई केस नहीं बनता. “पीड़िता का बयान दर्ज होने के बाद सब साफ हो गया था. फिर भी पुलिस ने फाइनल रिपोर्ट दाखिल करने के बजाय आरोपी को जेल में सड़ने दिया. कोर्ट ने आगे कहा, “यह वर्तमान मामला इस बात का उदाहरण है कि राज्य के अधिकारी एफआईआर के आधार पर एक-दूसरे से आगे निकलने की होड़ में लगे हैं.” बेंच ने बीएनएस की धारा 183 के तहत दर्ज बयान को प्राथमिक सबूत माना और कहा कि आरोपी को डेढ़ महीने जेल में बिताने पड़े, जो पूरी तरह अनुचित है. कोर्ट ने राज्य को निर्देश दिया कि वह दोषी अधिकारियों और फर्जी एफआईआर दर्ज कराने वाले पंकज कुमार के खिलाफ कार्रवाई करे.

मुआवजे का आदेश जुर्माने के रूप में लगाए गए 75 हजार रुपये में से 50 हजार उबैद खान को तत्काल उपलब्ध कराने का आदेश दिया गया. बाकी राशि विधिक सहायता सेवा केंद्र को हस्तांतरित होगी. कोर्ट ने यह भी कहा कि संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत यह हस्तक्षेप न्याय की रक्षा के लिए आवश्यक था.

You Missed

Air India’s SFO–Delhi flyers face freezing Mongolia detour after midair snag
Top StoriesNov 5, 2025

एयर इंडिया के एसएफओ–दिल्ली उड़ानों के यात्रियों को मध्य विमान संबंधित खराबी के बाद जमीन से नीचे बर्फीले मंगोलिया के मार्ग में कठिनाई का सामना करना पड़ा

नई दिल्ली: मंगलवार को हुए एक तकनीकी खराबी के कारण एयर इंडिया के सैन फ्रांसिस्को-दिल्ली बोइंग 777 विमान…

Scroll to Top