उत्तर प्रदेश के अमेठी में रहने वाले 60 वर्षीय राम सुमेर प्रजापति ने अपने जीवन को मिट्टी के दीयों, कुल्हड़ और खिलौनों के निर्माण में बिताया है. पिछले 60 सालों से वे अपने परिवार का पालन-पोषण इसी कारोबार से करते आ रहे हैं और हर रोज़ उम्मीद की नई किरण जगाते हैं. उनकी पत्नी श्याम कली के साथ मिलकर वे साइकिल पर डेढ़ क्विंटल से अधिक का भार लादकर निकल पड़ते हैं और अपने कारोबार को आगे बढ़ाते हैं।
राम सुमेर प्रजापति का परिवार 15 सदस्यों का है, जिसमें उनकी पत्नी, बेटे-बेटियां और अन्य सदस्य शामिल हैं. वे बताते हैं कि इसी मिट्टी के कारोबार से उन्होंने न सिर्फ परिवार चलाया बल्कि बेटियों की शादी भी की और पूरे परिवार का खर्च उठाया. उनके बेटे अंकित ने बताया कि यह काम उनके दादा-परदादा करते थे, पिताजी से उन्होंने सीखा और अब वे भी यही काम सीख रहे हैं।
राम सुमेर के कारोबार में इलेक्ट्रॉनिक चाक ने उनकी मदद की है. इससे उनका काम आसान हो गया है और कमाई भी बढ़ी है. वे बताते हैं कि पहले हाथ के चाक से उम्र के इस पड़ाव में इतना काम कर पाना मुश्किल था, लेकिन अब इलेक्ट्रॉनिक चाक से काम आसान हो गया है और कमाई भी बढ़ी है. सामान्य दिनों में वे 500 से 1000 रुपए का कारोबार करते हैं, जबकि दीपावली के सीजन में यह कारोबार 2000 रुपए तक पहुंच जाता है।
राम सुमेर की कहानी एक संघर्षशील शख्स की कहानी है, जिसके पास न जमीन है, न कोई बड़ी दुकान. लेकिन है तो मिट्टी से जलती उम्मीद की नई किरण, जो हर दीपावली उसके घर को जगमग कर देती है. उनकी कहानी हमें यह सिखाती है कि कठिनाइयों के बावजूद भी हम अपने लक्ष्य को हासिल कर सकते हैं और अपने परिवार का पालन-पोषण कर सकते हैं।