शकरकंद की खेती: कौशाम्बी जिले के किसान 90 दिनों में लाखों कमा रहे हैं
कौशाम्बी जिले के किसान शकरकंद की खेती कर 90 दिनों में लाखों कमा रहे हैं। कृषि अधिकारी भगवती प्रसाद ने सितंबर-अक्टूबर में बुवाई और 5 किस्मों की सलाह दी है। इन दिनों किसान आलू, मटर की खेती तो बहुत करते हैं, लेकिन किसान शकरकंद की खेती कर लें, तो वह 90 दिनों में लखपति बन सकते हैं।
क्योंकि पहले की तुलना में अब किसान शकरकंद की खेती करना पूरी तरह से भूल चुके हैं। इससे बाजारों में शकरकंद महंगे दामों में बिकता है। शकरकंद तैयार होने पर बाजारों में 40 से 50 प्रति किलो के भाव से बिकता है। कौशाम्बी जिले के तराई क्षेत्रों में अभी भी शकरकंद की खेती कर रहे हैं। इस तरह किसान मात्र 3 महीने में लाखों का मुनाफा कमा लेते हैं।
कृषि अधिकारी भगवती प्रसाद ने बताया कि शकरकंद की खेती के लिए सही समय सितंबर से अक्टूबर माह होता है। क्योंकि सितंबर के अंतिम माह तक बारिश का डर खत्म हो जाता है। ऐसे में फसल सड़ने का डर नहीं रहता है। शकरकंद की फसल अच्छे से समय पर तैयार हो जाती है और मुनाफा भी अच्छा हो जाता है।
शकरकंद की खेती मात्र 90-100 दिनों में तैयार हो जाती है। किसान एक बीघे खेत शकरकंद की खेती करने के लिए 10-12 हजार रुपये की लागत खर्च होता है। किसान 90 दिनों तक शकरकंद की खेती करके लाखों की कमाई कर सकता है। बाजारों में शकरकंद की औसत कीमत 40-50 रुपये प्रति किलो का भाव रहता है।
एक एकड़ में लाखों का मुनाफा कमा सकता है। शकरकंद फसल की बुवाई करने के लिए दोमट मिट्टी वाले खेत को चुनना पड़ता है। क्योंकि यह फसल ठंड के मौसम में ही की जाती है। इसके लिए तापमान कम से कम 20-21 डिग्री होना चाहिए। सितंबर से अक्टूबर महीने में इस फसल की बुवाई कर लें, जो दिसंबर से जनवरी तक यह फसल तैयार हो जाती है।
किसान 5 किस्म की शकरकंद की खेती जैसे – कोकड़ अश्वनी, श्रीभद्रा, पूसा सुनहरी, पूसा सफेद, इन सभी किस्म की खेती करने पर किसान को अधिक लाभ मिलता है। शकरकंद की खेती करने के लिए किसान को पौधे की रोपाई करनी पड़ती है। रोपाई करने से पहले किसान खेतों में गोबर की खाद का जरूर इस्तेमाल करें। इससे फसल की पैदावार में बढ़त होती है।