Uttar Pradesh

टीचिंग एलिजिबिलिटी टेस्ट (टीईटी) अनिवार्यता के विरोध में शिक्षक संगठनों का प्रदर्शन तेज हो रहा है।

अमेठी में सरकारी शिक्षक टीईटी अनिवार्यता के विरोध में प्रदर्शन कर रहे हैं

अमेठी में सरकारी शिक्षकों ने टीईटी अनिवार्यता और बाध्यता के विरोध में बड़े पैमाने पर प्रदर्शन किया है. उनका कहना है कि यह नियम शिक्षकों पर काला कानून थोपने जैसा है और सेवा सुरक्षा को खतरे में डालता है. अमेठी में शिक्षक संगठन ने कहा है कि इतने समय बाद इस तरह की अनिवार्यता लागू करना शिक्षकों पर काला कानून थोपने जैसा है. ऐसे में इस पर संशोधन बेहद जरूरी है. अगर ऐसा नहीं हुआ तो हम सब दिल्ली तक जाएंगे.

क्या है पूरा मामला

लोकल 18 से बातचीत में शिक्षकों ने बताया कि यह बेहद खराब फैसला है. शिक्षक अशोक मिश्र ने कहा कि जिस शर्तों के आधार पर शिक्षक की भर्ती हुई थी, उन सेवा शर्तों में टीईटी का उल्लेख नहीं था. जब राइट टू एजुकेशन लागू किया गया, तो हमारे शिक्षकों ने टीईटी लेकर नौकरी की. इसके पहले के जो शिक्षक हैं, जिनकी सेवा शर्तों में टीईटी नहीं है, उनके लिए ऐसा कानून लाना उनकी सेवा सुरक्षा को खतरे में डालना है. इसमें तुरंत संशोधन करके शिक्षकों को सेवा सुरक्षा प्रदान की जानी चाहिए, अन्यथा संघर्ष होगा और वह भीषण होगा.

नया नियम लगाना गलत

वहीं, एक अन्य शिक्षक आनंद कुमार ने कहा कि निर्णय तो बदलना ही चाहिए. हम टीईटी परीक्षा भले ही उत्तीर्ण कर लें, लेकिन जिस शर्तों के साथ नौकरी की है, उसमें बीच में संशोधन करके नया नियम लागू करना पूर्ण रूप से गलत है.

रोजी-रोटी छिनने की साजिश

शिक्षक शशांक शुक्ला ने कहा कि शिक्षक अधिकार अधिनियम 2009 है, जो 27 जुलाई 2011 को लागू किया गया था. शिक्षक टीईटी परीक्षा पास करने के बाद ही नियुक्त हुए हैं, लेकिन उसके बाद इस तरह का नियम लाना प्राकृतिक न्याय के प्रतिकूल है. अगर जबरदस्ती शिक्षकों से उनकी रोजी-रोटी छीनी गई, तो हम सब दिल्ली तक जाएंगे.

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