Uttar Pradesh

जन्माष्टमी से पहले गाजीपुर के माखन कटोरी पेड़ ने खींचा श्रद्धालुओं का ध्यान, भगवान कृष्ण की बाल लीलाओं से जुड़ी है मान्यता

Last Updated:August 14, 2025, 22:25 ISTगाजीपुर के शिव वाटिका में स्थित माखन कटोरी पेड़ (Ficus benghalensis var. krishnae) भगवान कृष्ण की बाल लीलाओं से जुड़ा है. इसके कटोरी जैसे पत्ते पुराने जमाने की परंपरा और मक्खन छुपाने की कहानी याद दिलाते हैं. जन…और पढ़ेंजन्माष्टमी का पर्व नजदीक आते ही गाजीपुर के शिव वाटिका में स्थित माखन कटोरी पेड़ ने लोगों का ध्यान अपनी ओर खींच लिया है. स्थानीय मान्यता है कि यह पेड़ भगवान कृष्ण की बाल लीलाओं से जुड़ा हुआ है. बचपन में श्रीकृष्ण इसी पेड़ के पत्तों से कटोरी और चम्मच बनाकर मक्खन खाते थे और गोपियों से छुपाने के लिए मक्खन इसी पेड़ के पत्तों में छिपाते थे.

माखन कटोरी पेड़ की पत्तियां ही इसे खास बनाती हैं. बड़ी, मोटी, चमकदार और प्राकृतिक रूप से घुमावदार पत्तियां पानी या मक्खन जैसे तरल पदार्थ को आसानी से पकड़ सकती हैं. सालभर हरा-भरा रहने वाला यह पेड़, अपनी स्थिर जड़ों और झड़ने में धीमी पत्तियों के कारण आकर्षक और टिकाऊ भी है. इस पेड़ की पत्तियों से निकलने वाला सफेद तरल आयुर्वेदिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण माना जाता है. स्थानीय फुलकी वाले बालाजी और अन्य भक्त इसे खाने के व्यंजनों में भी इस्तेमाल करते हैं। बालाजी कहते हैं. इन पत्तियों पर खाने से स्वाद बढ़ जाता है. यह पर्यावरण के लिए भी लाभकारी है.

पत्तियों में भगवान कृष्ण छुपाकर खाते थे माखनधार्मिक दृष्टि से यह पेड़ अत्यंत महत्वपूर्ण है. वट अमावस्या और जन्माष्टमी के अवसर पर इसका विशेष पूजन किया जाता है. भक्त मानते हैं कि यह पेड़ सुख-शांति, समृद्धि और दीर्घायु प्रदान करता है. शिव वाटिका में आने वाले बच्चे इसके नीचे खेलते हैं, पत्तियों का निरीक्षण करते हैं और जन्माष्टमी के दौरान पूजा सामग्री तैयार करते हैं. माखन कटोरी पेड़ पर्यावरणीय दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है. यह ऑक्सीजन छोड़ता है और कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करता है. उत्तर प्रदेश के कई हिस्सों में पाए जाने वाले इस पेड़ की धार्मिक, सांस्कृतिक और पर्यावरणीय महत्ता इसे गाजीपुर के लोगों के लिए और भी खास बनाती है. जन्माष्टमी से ठीक पहले यह पेड़ भक्तों और पर्यटकों का केंद्र बन गया है. लोग इसके पत्तों को देखकर आनंदित हो रहे हैं. भगवान कृष्ण की बाल लीलाओं को जीवंत महसूस कर रहे हैं. शिव वाटिका आने वाले लोग इसे देखकर न केवल धार्मिक और सांस्कृतिक अनुभव ले रहे हैं, बल्कि प्रकृति और पर्यावरण के महत्व को भी समझ रहे हैं.
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