India unlucky cricketer 21 centuries and one triple century never got a place in Team India | भारत का बदनसीब क्रिकेटर…21 सेंचुरी और एक तिहरा शतक, फिर भी कभी टीम इंडिया में नहीं मिली जगह

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India unlucky cricketer 21 centuries and one triple century never got a place in Team India | भारत का बदनसीब क्रिकेटर...21 सेंचुरी और एक तिहरा शतक, फिर भी कभी टीम इंडिया में नहीं मिली जगह



India Unlucky Cricketer: भारत के लिए क्रिकेट खेलना हर क्रिकेटर का सपना होता है. 140 करोड़ की जनसंख्या वाले इस देश में यह ख्वाब हर किसी का पूरा नहीं हो पाता है. कुछ ऐसे भी खिलाड़ी रह जाते हैं जो फर्स्ट क्लास मैचों में जबरदस्त खेल दिखाने के बावजूद टीम इंडिया के लिए नहीं खेल पाते हैं. उन्हीं खिलाड़ियों में एक एम.वी. श्रीधर भी थे. दाएं हाथ का यह बल्लेबाज इंटरनेशनल क्रिकेट के लिए तरसता रह गया. उसे निराशा ही हाथ लगी.
फर्स्ट क्लास क्रिकेट में तिहरा शतक
श्रीधर ने 1988-89 और 1999-2000 के बीच अपने करियर में 21 फर्स्ट क्लास शतक लगाए. श्रीधर हैदराबाद के उन तीन बल्लेबाजों में से एक थे जिन्होंने प्रथम श्रेणी में तिहरा शतक लगाया था. उनके अलावा वीवीएस लक्ष्मण और अब्दुल अजीम ने ऐसा किया था. 1994 में आंध्र प्रदेश के खिलाफ उनकी 366 रनों की पारी रणजी ट्रॉफी में तीसरा सबसे बड़ा व्यक्तिगत स्कोर है. इससे बड़ी पारी भाऊसाहेब निंबालकर (नाबाद 443 रन) और संजय मांजरेकर (377 रन) ने खेली है.
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श्रीधर के नाम खास रिकॉर्ड
उस पारी के दौरान श्रीधर ने एक ऐसा रिकॉर्ड बनाया जो आज भी कायम है. जब वह विकेट पर थे, हैदराबाद ने 850 रन बनाए (वह 30 रन पर 1 विकेट पर आए और 880 रन पर 5 विकेट पर आउट हुए), जो किसी भी बल्लेबाज के क्रीज पर रहने के दौरान किसी टीम द्वारा बनाए गए सर्वाधिक रन थे. क्रिकेट से संन्यास के बाद श्रीधर कई भूमिकाओं में रहे. वे हैदराबाद क्रिकेट के सचिव पद पर भी रहे.
‘मंकीगेट’ विवाद में अहम किरदार
एम.वी. श्रीधर टीम इंडिया के मैनेजर भी रहे. साल 2008 में जब भारत की टेस्ट टीम ऑस्ट्रेलिया दौरे पर थी तो उन्होंने कुख्यात ‘मंकीगेट’ विवाद को सुलझाया था. विवाद को सुलझाने में उनका अहम योगदान था. इससे हरभजन को न केवल सजा से राहत मिली बल्कि भारतीय टीम की नैतिक जीत भी हुई. श्रीधर का पूरा परिवार क्रिकेट प्रेमी था, और उन्होंने कम उम्र में ही क्रिकेट में रुचि दिखानी शुरू कर दी थी.
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डॉक्टर भी थे श्रीधर
बहुत कम लोग जानते हैं कि क्रिकेटर के अलावा वह एक योग्य डॉक्टर थे और उन्होंने हैदराबाद के उस्मानिया मेडिकल कॉलेज से मेडिसिन की पढ़ाई की थी. इस कारण उन्हें डॉ. श्रीधर के नाम से भी जाना जाता था. क्रिकेट के साथ-साथ मेडिकल की पढ़ाई को संतुलित करना उनके लिए एक बड़ी चुनौती थी, लेकिन उन्होंने दोनों क्षेत्रों में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया. क्रिकेट के अलावा श्रीधर को नृत्य और संगीत में भी रुचि थी। वे कॉलेज में नाटकों का मंचन और स्क्रिप्ट लेखन भी करते थे. साल 2017 में 51 वर्षीय श्रीधर को अपने घर पर दिल का दौरा पड़ा. आनन-फानन में उन्हें अस्पताल पहुंचाया गया, जहां उन्हें मृत घोषित कर दिया गया.



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