Last Updated:June 26, 2025, 22:19 ISTKanpur News Today: कानपुर का जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज अब सेंटर ऑफ एक्सीलेंस बनने की ओर बढ़ रहा है. यहां इमरजेंसी स्किल लैब बनाई जा रही है, जिसमें डॉक्टरों और स्टाफ को आपात स्थितियों से निपटने की ट्रेनिंग दी जाएगी.हाइलाइट्सजीएसवीएम मेडिकल कॉलेज अब सेंटर ऑफ एक्सीलेंस बनने की ओर बढ़ रहा है.यहां इमरजेंसी स्किल लैब बनाई जा रही है.इसमें डॉक्टरों और स्टाफ को आपात स्थितियों से निपटने की ट्रेनिंग दी जाएगी.कानपुर: उत्तर भारत के सबसे पुराने और बड़े सरकारी मेडिकल कॉलेजों में शुमार जीएसवीएम (गणेश शंकर विद्यार्थी मेडिकल कॉलेज) अब एक नई पहचान की ओर बढ़ रहा है. सिर्फ इलाज तक सीमित न रहकर अब यह कॉलेज एक ऐसा संस्थान बनने जा रहा है, जहां डॉक्टरों, जूनियर रेजिडेंट्स, नर्सों और पैरामेडिकल स्टाफ को इमरजेंसी जैसी गंभीर स्थितियों से निपटने की ट्रेनिंग दी जाएगी. इसके लिए कॉलेज में एक खास ‘सेंटर ऑफ एक्सीलेंस’ तैयार किया जा रहा है, जो आने वाले वक्त में पूरे देश के लिए मिसाल बन सकता है.जीएसवीएम में पहली बार बनेगी इमरजेंसी स्किल लैब
कॉलेज में पहली बार इमरजेंसी स्किल लैब बनाई जा रही है. इस लैब में खासतौर पर सरकारी अस्पतालों में रोजाना आने वाली इमरजेंसी परिस्थितियों जैसे एक्सीडेंट, डिलीवरी केस, CPR (कार्डियो पल्मोनरी रेससिटेशन) जैसी स्थितियों से निपटना सिखाया जाएगा. इस ट्रेनिंग से अस्पताल का स्टाफ और ज्यादा प्रोफेशनल तरीके से काम कर सकेगा और मरीजों को बेहतर इलाज मिलेगा.
स्वास्थ्य मंत्रालय ने मांगा प्रस्तावस्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की ओर से हाल ही में एक पहल की गई, जिसमें उत्तर प्रदेश के डायरेक्टरेट जनरल ऑफ मेडिकल एजुकेशन (DGMGE) ने जीएसवीएम से सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के लिए प्रस्ताव मांगा. जीएसवीएम के प्राचार्य डॉ. संजय काला ने यह प्रस्ताव शासन को भेज दिया है और उम्मीद है कि जल्दी ही एमओयू (MoU) पर साइन कर दिए जाएंगे. इसके बाद इसकी आधिकारिक घोषणा होगी.
छात्रों को मिलेगा प्रैक्टिकल अनुभव
डॉ. संजय काला का कहना है कि इस योजना से छात्रों को बेहतर प्रैक्टिकल नॉलेज और रिसर्च का मौका मिलेगा. इससे न सिर्फ डॉक्टर और मेडिकल स्टाफ की स्किल्स बढ़ेंगी बल्कि उन्हें नई तकनीकों की जानकारी भी मिलेगी. कॉलेज को स्टेटस मिलने के बाद अतिरिक्त बजट भी मिलेगा, जिससे सुविधाएं और संसाधन और बेहतर हो जाएंगे.
पहले से मौजूद हैं सभी ज़रूरी सुविधाएंडॉ. काला ने यह भी बताया कि सेंटर ऑफ एक्सीलेंस बनने के लिए कुछ जरूरी शर्तें होती हैं जैसे1. कॉलेज में कम से कम 500 बेड होने चाहिए2. हर साल 5000 यूनिट ब्लड डोनेशन3. इमरजेंसी मेडिसिन और दूसरे अहम विभाग पहले से होने चाहिए.इन सभी शर्तों को जीएसवीएम पहले से पूरा करता है.इसलिए इसमें कोई शक नहीं कि कॉलेज को यह दर्जा जल्द ही मिल जाएगा.
ट्रेनिंग से सुधरेगा सरकारी अस्पतालों का सिस्टमइस पूरी योजना का बड़ा उद्देश्य है कि सरकारी अस्पतालों में इलाज का स्तर सुधरे और डॉक्टर, नर्सिंग स्टाफ, पैरामेडिकल प्रोफेशनल्स को इमरजेंसी केस में बेहतर ढंग से काम करने की ट्रेनिंग मिले. खास बात यह भी है कि उत्तर भारत में इस तरह की पहल करने वाला जीएसवीएम पहला मेडिकल कॉलेज बन सकता है.Location :Kanpur Nagar,Uttar Pradeshhomeuttar-pradeshअब डॉक्टर नहीं, एक्सपर्ट तैयार करेगा जीएसवीएम! कानपुर को मिला मेडिकल सुपरपावर