Last Updated:June 26, 2025, 22:31 ISTKaushambi Latest News: उत्तर प्रदेश का कौशांबी जिला भगवान बुद्ध की तपोस्थली के रूप में दुनियाभर में प्रसिद्ध है. यहां श्रीलंका, थाईलैंड, कम्बोडिया समेत कई देशों से श्रद्धालु आते हैं. बुद्ध नगरी में भव्य मंदिर ह…और पढ़ेंहाइलाइट्सकौशांबी को गौतम बुद्ध की नगरी के रूप में जाना जाता है.भगवान बुद्ध ने कौशांबी में चातुर्मास किया था इसलिए यह जगह इतनी खास है.श्रीलंका और कम्बोडिया ने यहां भव्य बौद्ध मंदिर बनवाया, जहां बौद्ध अनुनायी आते हैकौशांबी: उत्तर प्रदेश के कौशांबी जिले के यमुना तट पर बसा ‘कौशाम्बी’ ना सिर्फ ऐतिहासिक नजरिए से प्रसिद्ध है, बल्कि इसे गौतम बुद्ध की नगरी के रूप में भी पूरी दुनिया में पहचान मिली हुई है. कहा जाता है कि भगवान बुद्ध ने अपने जीवनकाल में कौशाम्बी में चातुर्मास किया था. यही वजह है कि यह स्थान बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए बेहद खास माना जाता है.इतिहासकारों के अनुसार, प्राचीन समय में कौशाम्बी को ‘कोसम’ के नाम से भी जाना जाता था. इसी ‘कोसम ईनाम’ में भगवान बुद्ध ने अपनी साधना की थी. कहा जाता है कि जब तक बौद्ध धर्म के अनुयायी कौशाम्बी नहीं पहुंचते, तब तक उनकी तीर्थ यात्रा अधूरी मानी जाती है. यही वजह है कि श्रीलंका, कम्बोडिया, थाईलैंड सहित दुनियाभर से बौद्ध श्रद्धालु हर साल बड़ी संख्या में यहां आते हैं.
बौद्ध और जैन धर्म का केंद्र रहा है कौशांबीकौशांबी जिले को बौद्ध धर्म के साथ-साथ जैन धर्म का भी पुराना केंद्र माना जाता है. माना जाता है कि भगवान महावीर और भगवान बुद्ध दोनों ही कभी इस भूमि पर आए थे. नेपाल के लुंबिनी गांव में जन्मे भगवान गौतम बुद्ध ने यहां आकर बौद्ध धर्म का प्रचार-प्रसार किया. यही कारण है कि कौशांबी बौद्ध अनुयायियों के लिए एक प्रमुख धार्मिक स्थल बन चुका है.
विदेशी सरकारों ने बनवाया भव्य बौद्ध मंदिर
बौद्ध धर्म के अनुयायियों की भावना और यहां की ऐतिहासिक महत्ता को देखते हुए श्रीलंका और कम्बोडिया की सरकारों ने कौशांबी में भगवान बुद्ध का एक भव्य मंदिर बनवाया है. यह मंदिर न सिर्फ भारत, बल्कि विदेशों में भी कौशांबी की पहचान को और मजबूत करता है. इस मंदिर में देश-विदेश से श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं और यहां की आध्यात्मिक ऊर्जा का अनुभव करते हैं.
हालांकि, एक बड़ी समस्या यह है कि देश-विदेश से आने वाले पर्यटकों और श्रद्धालुओं के लिए अभी तक रात को रुकने की कोई समुचित व्यवस्था नहीं है. इसके कारण लोगों को दिन में दर्शन कर शाम होते ही वापस लौटना पड़ता है. कई बार श्रद्धालु चाहते हैं कि वो यहां रुकें, लेकिन ठहरने की सुविधा न होने से उन्हें दिक्कत होती है.
बौद्ध धर्म से जुड़ी इस ऐतिहासिक नगरी की सुंदरता, धार्मिक महत्ता और यहां की संस्कृति को देखने और महसूस करने के लिए हर साल हजारों श्रद्धालु कौशांबी पहुंचते हैं. अगर यहां रात्रि निवास की बेहतर व्यवस्था हो जाए, तो यह पर्यटन और स्थानीय अर्थव्यवस्था दोनों के लिए बेहद फायदेमंद साबित हो सकता है.Location :Kaushambi,Uttar Pradeshhomeuttar-pradeshयूपी में है बौद्धों की आस्था का ऐसा केंद्र, जहां आए बिना पूरी नहीं होती यात्रा