Last Updated:June 21, 2025, 18:50 ISTसहारनपुर के प्रकृति कुंज में उगाया गया रस से भरा एक खास ‘रसगुल्ला आड़ू’ अब किसानों के लिए कमाई का नया जरिया बन गया है. सफेद और लाल रंग में मिलने वाला यह आडू न केवल स्वाद में लाजवाब है, बल्कि मार्केट में अन्य आड…और पढ़ेंहाइलाइट्ससहारनपुर के प्रकृति कुंज में खास ‘रसगुल्ला आड़ू’ उगाया गया है.यह आडू सफेद और लाल रंग का होता है.यह रसगुल्ला आडू किसानों को तगड़ी कमाई का मौका दे रहा है.सहारनपुर: उत्तर प्रदेश का सहासहारनपुर के प्रकृति कुंज में उगाया गया रस से भरा एक खास ‘रसगुल्ला आड़ू’रनपुर जिला फल और सब्जी उत्पादन के लिए जाना जाता है. यहां के किसान पारंपरिक फसलों के साथ-साथ नई किस्मों की खेती कर रहे हैं, जिससे उन्हें बेहतर मुनाफा भी मिल रहा है. इन्हीं में से एक है ‘रसगुल्ला आड़ू’ (Rasgulla Peach) एक ऐसी खास प्रजाति जिसे सहारनपुर के प्रकृति कुंज में किसान राजेंद्र अटल ने विकसित किया है. यह आड़ू न केवल स्वाद में जबरदस्त है, बल्कि इसकी मांग और कीमत भी तीन गुना अधिक होती है.राजेंद्र अटल बताते हैं कि यह आड़ू बाकी किस्मों से अलग है क्योंकि यह जून महीने के अंत में पकता है, जब बाजार में सामान्य आड़ू उपलब्ध नहीं रहते. इसी वजह से इसकी कीमत बाकी आड़ू के मुकाबले 3 गुना ज़्यादा होती है. यह आड़ू बाहर से हल्के हरे रंग का और अंदर से एकदम सफेद होता है. स्वाद में यह इतना रसदार है कि खाने वाला इसे सच में रसगुल्ला ही समझता है.
एक ही पेड़ पर उगते हैं सफेद और लाल रंग के आड़ूइस खास प्रजाति की एक और खासियत यह है कि एक ही पेड़ पर दो रंग के आड़ू लगते हैं सफेद और लाल. सफेद वाले को ‘रसगुल्ला आड़ू’ कहा जाता है, जबकि लाल रंग वाले को ‘लाल रसगुल्ला’. इस अनोखी विशेषता के कारण यह प्रजाति किसानों और ग्राहकों दोनों के लिए काफी आकर्षक बन गई है.
रस से भरपूर स्वाद, केसर जैसी खुशबू
राजेंद्र अटल ने लोकल 18 से बातचीत में बताया कि उन्होंने अपने जीवन में कई तरह के फलों का स्वाद लिया है, लेकिन इस आड़ू जैसी मिठास और खुशबू कहीं नहीं मिली. इसका स्वाद रसगुल्ले जैसा मीठा और रसदार है. जब इसे खाया जाता है तो इसमें से टप-टप रस गिरता है और इसमें केसर जैसी भीनी-भीनी खुशबू होती है, जो इसे और भी खास बनाती है.
किसान भी बढ़ा सकते हैं आमदनीप्रकृति कुंज में राजेंद्र अटल इस आड़ू की प्रजाति के पौधे तैयार कर रहे हैं ताकि आसपास के किसान भी इसे अपने खेतों में उगाकर मुनाफा कमा सकें. यह प्रजाति खास तौर पर सहारनपुर के किसानों के लिए वरदान साबित हो सकती है क्योंकि यह ऐसे समय में बाजार में आता है जब अन्य आड़ू की किस्में लगभग बंद हो जाती हैं. इसका मतलब है कि कम प्रतिस्पर्धा और अधिक मुनाफा.
रिसर्च और मेहनत से मिली कामयाबी
राजेंद्र अटल का बचपन से ही फलों से गहरा नाता रहा है. उन्होंने अपने अनुभव और रिसर्च से इस अनोखी किस्म को तैयार किया है. वे अपने दिल्ली रोड स्थित ‘प्रकृति कुंज’ में कई पौधों पर रिसर्च करते हैं और नई-नई किस्में तैयार करते हैं. उन्होंने बताया कि किसानों को यह पौधे सस्ते दामों पर उपलब्ध कराए जाएंगे, ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग इस किस्म की खेती से लाभ कमा सकें.
Location :Saharanpur,Uttar Pradeshhomeuttar-pradeshरस टपकता है, स्वाद ऐसा कि भूल जाएं मिठाई! आ गया सहारनपुर का ‘रसगुल्ला’ आडू