पीलीभीत भी अनदेखी का शिकार 10 वीं सदी का ये टीला… ग्रामीण उखाड़ ले गए ईंटें, देखें रिपोर्ट

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पीलीभीत भी अनदेखी का शिकार 10 वीं सदी का ये टीला... ग्रामीण उखाड़ ले गए ईंटें,

Last Updated:June 21, 2025, 16:05 ISTPilibhit News : पीलीभीत की ऐतिहासिक धरोहरें बदहाल हैं. हालांकि, शाहगढ़ मंदिर के पास प्राचीन टीले का सर्वे हुआ, लेकिन संरक्षण के कदम नहीं उठाए गए. हालत ये है कि ग्रामीण टीले की ईंटें उखाड़कर ले गए. प्रशासन की ला…और पढ़ेंहाइलाइट्सपीलीभीत की ऐतिहासिक धरोहरें बदहाल स्थिति में हैं.शाहगढ़ मंदिर के पास प्राचीन टीले का सर्वेक्षण हुआ.प्राचीन ईंटें ग्रामीणों द्वारा घरों में इस्तेमाल की जा रही हैं.पीलीभीत. प्राकृतिक संसाधनों के साथ ही साथ पीलीभीत जिला सांस्कृतिक और ऐतिहासिक रूप से भी काफी अधिक महत्वपूर्ण है. पीलीभीत में तमाम प्राचीनतम धरोहर मौजूद हैं लेकिन दुर्भाग्य है कि इनमें से सब ही बदहाल है. बीते साल सामाजिक कार्यकर्ता के प्रयासों के चलते शाहगढ़ मंदिर के समीप मौजूद टीले का राज्य पुरातत्व सर्वेक्षण की टीम ने ग्राउंड सर्वे भी किया. टीम ने यह भी माना कि यह टीला काफी अधिक प्राचीन है. लेकिन बावजूद इसके इस मंदिर के साथ ही साथ टीले के संरक्षण की दिशा में कोई कदम नहीं उठाए गए.दरअसल, ऐसी मान्यता है कि पीलीभीत के शाहगढ़ इलाके में महाभारत काल के समकालीन शासक राजा वेणु का किला हुआ करता था. इसके किले के शाहगढ़ में मौजूद होने की पुष्टि ब्रिटिशकालीन भारत के पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के प्रथम निदेशक एलेक्जेंडर कनिंघम ने सन 1862,1963,1964 में प्रकाशित अपनी सर्वे रिपोर्ट में भी किया था.

अनदेखी की शिकार हो रही विरासतयह महत्वपूर्ण विरासत भी अनदेखी का शिकार हो रहा था. आलम यह है कि और पुरातात्विक महत्व रखने वाले इस टीले की ज़मीनों पर खेती की जा रही है. वहीं गांव के अधिकांश घरों में इस टीले से निकली गई प्राचीन ईंटें इस्तेमाल की गई हैं. इस ऐतिहासिक व सांस्कृतिक धरोहर को संजोने के लिए लंबे अरसे से शहर के युवा सामाजिक कार्यकर्ता शिवम कश्यप प्रयास कर रहे हैं.

सर्वे के बाद मिले थे अहम सबूत
लंबी पैरवी के बाद बीते वर्ष राज्य पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग की तीन सदस्यीय टीम पीलीभीत पहुंची थी. टीम ने टीले का विस्तृत भ्रमण किया, तकरीबन 3 घंटे चले सर्वे में टीम को कई महत्वपूर्ण साक्ष्य भी मिले थे. टीम कार्बन डेटिंग समेत तमाम परीक्षणों के लिए कुछ सैंपल भी यहां से लेकर गई. पुरातत्वविदों की टीम ने भी माना कि यह टीला काफ़ी प्राचीन है.

प्रशासन की अनदेखी की शिकार पीलीभीत की धरोहरसांस्कृतिक विरासतों को संजोने के की तमाम अभियान व जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं. तो वहीं दूसरी ओर स्थानीय प्रशासन के लापरवाही भरे रवैए के चलते कई ऐतिहासिक धरोहर मिट्टी में मिल रही हैं. अगर पीलीभीत की बात करें तो यहां ब्रिटिशकाल, रूहिल्ला शासनकाल से लेकर महाभारत काल तक की तमाम धरोहरें मौजूद हैं. लेकिन इन धरोहरों में से किसी एक के प्रति भी स्थानीय प्रशासन सजग व गंभीर नहीं है. वहीं अगर राज्य पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग की बात करें तो उनकी ओर से भी धरोहरों के संरक्षण को लेकर समय रहते ठोस क़दम नहीं उठाए जा रहे हैं.Location :Pilibhit,Pilibhit,Uttar Pradeshhomeuttar-pradeshपीलीभीत भी अनदेखी का शिकार 10 वीं सदी का ये टीला… ग्रामीण उखाड़ ले गए ईंटें,

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