कन्नौज. हाई स्कूल से लेकर इंटरमीडिएट की किताबों में मुगल साम्राज्य के पाठ्यक्रम हटाए जाने के बाद अब शिक्षा जगत में इसकी चर्चा तेजी से होने लगी है. कन्नौज जिले के शिक्षकों का अपना अलग ही तर्क है. कुछ मानते हैं कि इससे फर्क पड़ेगा, तो कुछ मानते हैं कि आखिर इतिहास की जानकारी क्यों न हो सभी को. बोर्ड के छात्र इन चीजों को जानेंगे तो उनका मानसिक विकास अलग स्तर से होगा. पहले मुगलों के बारे में ज्यादा पढ़ाया जाता था और भारत की महान विभूतियों की चर्चा गौण रहती थी. इसको लेकर इस तरह के संशोधन की बात भी कहीं न कहीं सामने आ रही है. जिसको लेकर कन्नौज के टीचरों का अपना अलग मत है.करीब 70 साल से ज्यादा वक्त से मुगलों का इतिहास किताबों में दर्ज है, जिन्हें आज तक छात्र पढ़ते चले आ रहे हैं. इसके बाद अब नई पीढ़ी के छात्रों को उन मुगल इतिहास के बारे में नहीं पढ़ने को मिलेगा. ऐसे में जानकारी का अभाव भी होगा, इतिहास की बहुत महत्वपूर्ण चीजों से छात्र महरूम भी रह जाएंगे, वहीं कन्नौज के अध्यापकों की मानें तो अगर इसमें कोई गलत है तो उसका संशोधन किया जाना चाहिए और अगर कोई चीज सही है तो उसको उसी तरह से आगे बढ़ा देना ही सही रहेगा.अध्यापक संतोष चतुर्वेदी का कहना है कि शिक्षा को शिक्षा की दृष्टि से देखना चाहिए. जिस तरह से इतिहास पढ़ाया गया है, उसमें तो ऐसा कुछ नहीं है, लेकिन अगर किसी और भावना से इसको संशोधित किया जा रहा है तो वह सही नहीं है. भारत देश की आजादी में सभी ने अपना संपूर्ण योगदान दिया था. चाहे वह किसी धर्म का हो. ऐसे में जिन शासकों ने किस तरह का राज किया, जिस तरह उनका कार्यकाल रहा, वह इतिहास में दर्ज है और वह शिक्षा का एक पार्ट भी माना जाता है. वहीं एक और अध्यापक का मानना है कि हमारे देश में कई और महान विभूतियां रही हैं, उनके बारे में जानना भी बहुत जरूरी है, जबकि अब तक इतिहास के पन्नों से वे लोग गायब रहे हैं. ऐसे में अगर संशोधन हो रहा है तो वह गलत नहीं है, क्योंकि समय समय पर शिक्षा नीति में संशोधन होता रहा है और आगे भी होता रहेगा, यह शिक्षा के लिए बहुत अच्छी पहल है.ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी|FIRST PUBLISHED : April 06, 2023, 22:57 IST
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