भारतीय क्रिकेट टीम के सिक्सर किंग और सबसे बेस्ट ऑलराउंडर युवराज सिंह आज (12 दिसंबर) 42 साल के हो गए हैं. देखा जाए तो ये युवराज सिंह का दूसरा जन्म हैं, क्योंकि 2011 क्रिकेट विश्व कप के दौरान उन्हें मीडियास्टिनल सेमिनोमा हो गया है. यह एक दुर्लभ प्रकार का कैंसर है, जो फेफड़ों के बीच होता है. 2011 में भारत को क्रिकेट विश्व कप जीताने के बाद उन्होंने अमेरिका में इलाज करवाया और 1 साल में कैंसर को मात दी.
एक इंटरव्यू में युवराज सिंह ने बताया था कि 2011 की शुरुआत में उन्हें सांस फूलना, मुंह से खून आना और स्टेमिना में कमी होना जैसी समस्याएं शुरू हो गई थीं. लेकिन, वह वर्ल्ड कप से बाहर नहीं होना चाहते थे, इसलिए उन्होंने इन समस्याओं को नजरअंदाज कर दिया. उन्होंने 2011 क्रिकेट वर्ल्ड कप में बॉल और बैट दोनों से धमाल मचाया और मैन ऑफ द टूर्नामेंट का खिताब हासिल किया.फेफड़ों के बीच कैंसरआपको बता दें कि युवराज सिंह को फेफड़े का नहीं, बल्कि फेफड़ों के बीच कैंसर हुआ था. इसे मीडियास्टिनल सेमिनोमा कहा जाता है, जो दुनिया में केवल एक फीसदी लोगों में ही पाया जाता है. मीडियास्टिनल सेमिनोमा एक प्रकार का सेमिनोमा है, जो एक प्रकार का टेस्टिकल कैंसर है. हालांकि, मीडियास्टिनल सेमिनोमा टेस्टिकल कैंसर से उत्पन्न नहीं होता है. यह कैंसर मीडियास्टिनम में होता है, जो सीने के बीच की जगह है. मीडियास्टिनम में दिल, फेफड़े, थाइमस ग्रंथि और अन्य महत्वपूर्ण अंग होते हैं.
युवराज ने कैसे दी कैंसर को मातइस दुर्लभ कैंसर के दौरान युवराज सिंह को कई सारी शारीरिक और मानसिक सामस्याओं का सामना करना पड़ा था. युवराज सिंह ने अपनी विल पावर और इच्छाशक्ति से एक साल में न केवर कैंसर को मात दी, बल्कि क्रिकेट के मैदान में भी वापसी की. कैंसर को हराने के बाद युवराज सिंह ने 2012 में यू वी कैन संस्था शुरू की थी. यह संस्था लोगों को कैंसर के बारे में जागरूकता फैलाना और उससे लड़ने में मदद करती है.
India will not remain silent over Bangladesh’s repeated threats of merging Northeast with it: CM Himanta
“I want to tell Bharat in clear terms that if you keep sheltering those who do not believe…

