मिर्जापुर में बेचूबीर धाम: एक रहस्य और आस्था का संगम
मिर्जापुर जिले में स्थित बेचूबीर धाम एक ऐसा स्थान है जो विज्ञान और टेक्नोलॉजी के इस आधुनिक दौर में भी अपनी प्राचीन परंपरा और आस्था के साथ जीवित है। यहां हर साल लाखों लोग भूत-प्रेत बाधा, रोग-व्याधि और संतानहीनता जैसी समस्याओं से मुक्ति पाने की उम्मीद लेकर पहुंचते हैं। कार्तिक माह की नवमी से एकादशी तक यहां तीन दिन का अनोखा मेला लगता है, जिसे लोग “भूतों का मेला” कहते हैं।
बेचूबीर धाम का इतिहास लगभग 350 साल पुराना है, लेकिन आज भी यह परंपरा उतनी ही श्रद्धा और रहस्य के साथ जीवित है। यह धाम मिर्जापुर मुख्यालय से लगभग 70 किलोमीटर दूर बरही गांव में स्थित है, जो धार्मिक मान्यताओं का केंद्र है। कहा जाता है कि बेचूबीर बाबा के दरबार में जो सच्चे मन से प्रार्थना करता है, उसकी हर मनोकामना पूरी होती है।
श्रद्धालुओं की प्रक्रिया
यहां आने वाले श्रद्धालु पहले भक्सी नदी में स्नान करते हैं, पुराने वस्त्र त्यागते हैं और नए कपड़े पहनकर बाबा के दर्शन करने जाते हैं। यह प्रक्रिया आत्मशुद्धि और नकारात्मक ऊर्जा से मुक्ति का प्रतीक मानी जाती है। धाम में आने वाले भक्त अक्षत, माला, कपूर, फूल और अगरबत्ती लेकर बाबा की आराधना करते हैं। पूजा के बाद मनरी बजने पर अक्षत बांटे जाते हैं, जिसे पवित्र प्रसाद माना जाता है।
अंधविश्वास और आस्था
यहां पहुंचने वाले कई श्रद्धालु खुद को भूत-प्रेत बाधित मानते हैं और बाबा के दरबार में नाचने-चिल्लाने लगते हैं। यह दृश्य विज्ञान की दृष्टि से भले ही अंधविश्वास लगे, लेकिन आस्था रखने वालों के लिए यह शुद्धिकरण की प्रक्रिया होती है। बेचूबीर बाबा की कथा के अनुसार, वे भगवान शिव के परम भक्त थे और एक बार उन पर शेर ने हमला किया था। बाबा ने शेर से वीरतापूर्वक संघर्ष किया, लेकिन घायल हो गए। गंभीर अवस्था में वे बरही गांव पहुंचे और वहीं उन्होंने अपने भक्तों को आपबीती सुनाई।
आज भी लाखों लोगों की आस्था
बेचूबीर धाम में आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या हर साल लगभग पांच लाख से अधिक होती है। कोई संतान की कामना लेकर कोई बीमारी से राहत पाने की उम्मीद में और कोई अपनी आत्मा की शांति की तलाश में यहां आता है। गाजीपुर से आए शिव सिंह यादव ने बताया कि बेचूबीर बाबा में हमारी गहरी आस्था है। यहां पर आने से हर संकट खत्म हो जाते हैं। हर वर्ष हम यहां पर आते हैं।
निष्कर्ष
बेचूबीर धाम एक ऐसा स्थान है जो विज्ञान और आस्था के बीच एक अनोखा संगम प्रस्तुत करता है। यहां आने वाले श्रद्धालुओं की आस्था और विश्वास को देखकर यह साबित होता है कि आज भी लोगों के दिलों में आस्था का विज्ञान जिंदा है।

