यूपी में गांवों की सड़कें अब देंगी एक्‍सप्रेस को टक्‍कर! लोगों की शिकायत होंगी दूरी, शुरू होने जा रहा है काम

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Last Updated:August 11, 2025, 19:30 ISTकेंद्रीय सड़क अनुसंधान संस्थान (सीआरआरआई) अब उत्‍तर प्रदेश के ग्रामीण इलाके में ऐसी सड़के बनाने जा रहा है, जो लोहालाट होंगी. यह पहल पीएमजीएसवाई के तहत बनने वाली सड़कों पर लागू होगी.नई तकनीक से बनी सड़क के निरीक्षण के दौरान औद्योगिक अनुसंधान विभाग की सचिव एवं सीएसआईआर महानिदेशक डॉ. एन. कलैसेल्वी व सीआरआरआई के वरिष्‍ठ वैज्ञानिक. नई दिल्‍ली. उत्‍तर प्रदेश में यमुना एक्‍सप्रेसवे, ताज एक्‍सप्रेसवे या पूर्वांचल एक्‍सप्रेसवे सब अपने आप में खास हैं. इस वजह से लोगों का सफर आसान हो गया है, लेकिन अब ग्रामीण इलाकों की सड़कें एक्‍सप्रेसवे से कमजोर नहीं होंगी. इनकों भी लोहालाट बनाया जाएगा. यानी मजबूरी के मामले में एक्‍सप्रेसवे को टक्‍कर देंगी. ये सड़कें प्रयागराज, लखनऊ, रायबरेली, सुल्‍तानपुर, गोंडा और बाराबंकी में बनेंगी.

केंद्रीय सड़क अनुसंधान संस्थान (सीआरआरआई) सड़कों को मजबूत बनाने के लिए नई तकनीक एमएसएस इजाद की है. उत्तर प्रदेश रूरल रोड डेवलपमेंट अथॉरिटी प्रदेश में सड़कों के निर्माण में इसी तकनीक का इस्‍तेमाल करेगी. करीब 202 किलोमीटर लम्‍बी पीएमजीएसवाई सड़कों का निर्माण इस वर्ष किया जाना है. इसी वजह से भारत सरकार के वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान विभाग की सचिव एवं सीएसआईआर महानिदेशक डॉ. एन. कलैसेल्वी द्वारा इस तकनीक से निर्मित गोंडा जिले में मानकपुर नवाबगंज मार्ग से बक्सरा वाया अम्बरपुर मार्ग का निरीक्षण किया गया.

ये है तकनीक

सीआरआरआई के निदेशक डॉ. मनोरंजन परिड़ा ने बताया कि एमएसएस+ तकनीक में गिट्टी व बिटुमिन को गर्म करने की आवश्यकता नहीं पड़ती है, जिससे इस तकनीक के माध्यम से सभी मौसमों में सड़क निर्माण किया जा सकता है. इस तकनीक द्वारा बनी सड़क हॉट मिक्स द्वारा बनी सड़क के मुकाबले अच्छी गुणवत्ता वाली मजबूत होती हैं. इस तकनीक के शोधकर्ता वरिष्ठ प्रधान वैज्ञानिक सतीश पांडे ने बताया कि इस तकनीक का विकास संस्थान ने जेएमवीडी इंडस्ट्रीज के साथ मिलकर दो वर्षों के शोध के बाद किया. इस तकनीक के द्वारा प्रदेश में प्रथम सड़क का निर्माण का प्रयोग वर्ष 2022 में लखनऊ के पास किया गया था. 3 साल बाद भी सड़क बेहतर कंडीशन में है. इसलिए प्रदेश में इस तकनीक द्वारा बड़े रूप में सड़क निर्माण किया जा रहा है.

कार्बन उत्सर्जन में कमी आएगी

डॉ. एन. कलैसेल्वी ने निरीक्षण करने के बाद तकनीक से बनी सड़क की गुणवत्ता को सराहा और बताया कि सीएसआईआर-सीआरआरआई द्वारा विकसित तकनीक के द्वारा सड़क निर्माण के दौरान होने वाले कार्बन उत्सर्जन में बहुत कमी आती है जो कि संयुक्त राष्ट्र सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल के अनुसार ग्रीन स्‍ट्रक्‍चर के निर्माण के लिए एक महत्वपूर्ण आवश्यकता है. प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत उत्तर प्रदेश में इस तकनीक बन रही सड़क देश में हरित सड़कों के निर्माण को बढ़ावा देगी. इस मौके पर भवन अनुसन्धान संस्थान के निदेशक डॉ. पी प्रदीप कुमार, सीएसआईआर-एसईआरसी की निदेशक डॉ एन. आनंदवल्ली, उत्तर प्रदेश ग्रामीण सड़क विकास अभिकरण के मुख्य कार्यपालन अधिकारी अखंड प्रताप सिंह मौजूद रहे.Location :Lucknow,Lucknow,Uttar PradeshFirst Published :August 11, 2025, 19:27 ISThomeuttar-pradeshयूपी में गांवों की सड़कें अब देंगी एक्‍सप्रेस को टक्‍कर! काम जल्‍द शुरू

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