Uttar Pradesh

यूपी के इस शहर में है, अतीत की विरासत को सहेजे एक अनोखा संग्रह, जिसे देखकर हर कोई रह जाता है हैरान

Last Updated:August 07, 2025, 23:38 ISTAligarh News: अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी का मूसा डाकरी संग्रहालय 9वीं सदी का दुर्लभ वकत्र स्तम्भ सहेज रहा है, जिसमें महावीर स्वामी की मूर्ति है. यह स्तम्भ एएमयू की विरासत और सर सैयद की सोच का प्रतीक है.अलीगढ़: जहां एक ओर तकनीक और विज्ञान की दुनिया तेजी से आगे बढ़ रही है, वहीं इतिहास प्रेमियों और पुरातत्व में रुचि रखने वालों के लिए अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) का मूसा डाकरी संग्रहालय बीते समय की अमूल्य धरोहरों को सहेजने का केंद्र बन गया है. इसी संग्रहालय में रखा गया 9वीं सदी का एक दुर्लभ वकत्र स्तम्भ इन दिनों खास चर्चा में है. इस स्तम्भ पर बनी महावीर स्वामी की मूर्ति और उसकी कलात्मक बनावट दर्शकों को अपनी ओर खींचती है. यह स्तम्भ आकार में 1.59 मीटर ऊंचा और 0.63 मीटर चौड़ा है, जिसकी डिज़ाइन चारों ओर से एक जैसी है और सममितीयता इसकी खूबसूरती को और बढ़ा देती है.

सर सैयद का इतिहास और धरोहरों से जुड़ावएएमयू के संस्थापक सर सैयद अहमद ख़ान केवल एक शिक्षाविद नहीं, बल्कि इतिहास और संस्कृति के गहरे जानकार भी थे. उन्हें प्राचीन वस्तुओं और ऐतिहासिक धरोहरों से खास लगाव था. उन्होंने हमेशा इस बात पर जोर दिया कि इन वस्तुओं की सुरक्षा और संरक्षण हम सभी की जिम्मेदारी है. सर सैयद ने कई ऐतिहासिक इमारतों और स्मारकों पर गहन अध्ययन किया और उनके बारे में विस्तार से लिखा. उनके इसी जुनून का नतीजा है कि एएमयू में संग्रहालय की स्थापना हुई, जिसमें उन्होंने अपने द्वारा एकत्र की गई ऐतिहासिक वस्तुओं को जगह दी.

कैसे पहुंचा यह वकत्र स्तम्भ संग्रहालय तक
मूसा डाकरी संग्रहालय में रखा गया यह स्तम्भ भी सर सैयद के उसी दृष्टिकोण का प्रतीक है. इसकी स्थापना की कहानी भी काफी रोचक है. विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग में कार्यरत और पुरातत्व विशेषज्ञ प्रोफेसर एम के पुंडीर बताते हैं कि पहले यह स्तम्भ एएमयू के कुलपति लॉज के मुख्य दरवाजे पर लगाया गया था. लेकिन उस समय के कुलपति महमूदुर्रहमान ने इसे वहां से हटवाकर इतिहास विभाग को सौंप दिया. इसके बाद इसे संग्रहालय में स्थापित कर दिया गया, ताकि शोधकर्ता, पर्यटक और आम लोग इसे पास से देख सकें और इसके ऐतिहासिक महत्व को समझ सकें.
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इतिहास, कला और संस्कृति का प्रतीकप्रोफेसर पुंडीर बताते हैं कि यह स्तम्भ सिर्फ एक मूर्ति नहीं है, बल्कि भारत की प्राचीन कला, शिल्प और वास्तुकला की जीवंत मिसाल है. यह स्तम्भ महावीर स्वामी की मूर्ति को दर्शाता है, जो उस समय की धार्मिक और सांस्कृतिक सोच को भी सामने लाता है. देश-विदेश से आने वाले लोग इस स्तम्भ को देखकर उसकी बारीकी और सुंदरता की सराहना करते हैं. इस तरह की ऐतिहासिक वस्तुएं न केवल हमारे अतीत की गवाही देती हैं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को भी अपनी सांस्कृतिक जड़ों से जोड़ने का काम करती हैं.

मूसा डाकरी संग्रहालय में रखा यह स्तम्भ एएमयू की विरासत और सर सैयद की सोच को जीवित रखने का एक मजबूत उदाहरण है. यह न केवल एक कला का नमूना है, बल्कि इस बात की याद दिलाता है कि अगर हम अपने अतीत को सहेजकर रखें, तो वह भविष्य के लिए एक दिशा और प्रेरणा बन सकता है.Location :Aligarh,Uttar PradeshFirst Published :August 07, 2025, 23:38 ISThomeuttar-pradeshयूपी के इस शहर में है, अतीत की विरासत को सहेजे एक अनोखा संग्रह….

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