Uttar Pradesh

यूपी के इस शहर में फाल्गुन महीने में होती है रामलीला,118 साल पुराना है इतिहास



शिवहरि दीक्षित/हरदोई: देश के अलग-अलग हिस्सों में अश्विन मास में रामलीला का मंचन होता है, लेकिन हरदोई में रामलीला की परंपरा अनूठी है. यहां गोस्वामी तुलसीदास रचित विनय पत्रिका के आधार पर फाल्गुन महीने में रामलीला का मंचन शुरू होता है जो 40 दिन बाद चैत्र में समाप्त होता है. यह रामलीला ब्रिटिश शासन काल के दौरान 1906 में शुरू हुई थी. तब से यह परंपरा निरंतर चली आ रही है.

हरदोई शहर के नुमाइश मैदान में इस ऐतिहासिक रामलीला का मंचन होता है. यह मैदान शहर के बीचोंबीच स्थित है और यहां रामलीला के लिए एक विशाल मंच बनाया जाता है. रामलीला कमेटी के अध्यक्ष राम प्रकाश शुक्ला बताते हैं कि यह रामलीला ब्रिटिश शासन काल के दौरान 1906 में शुरू हुई थी. अंग्रेज अधिकारी ए ओ ह्यूम ने सबसे पहले इस स्थान पर फ्लॉवर एग्जीबिशन आयोजित किया फिर कैटल एग्जीबिशन का आयोजन किया था. इस आयोजन के लिए एक कमेटी बनाई गई जिसका नाम रामलीला कमेटी रखा गया. तब से लेकर अब तक प्रति वर्ष इस मैदान में श्री रामलीला का मंचन होता आ रहा है.रामलीला का ये मेला हिंदू-मुस्लिम एकता की अद्भुत मिसाल है.

सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल है हरदोई की रामलीलाराम प्रकाश शुक्ला बताते हैं कि जैसे-जैसे होली का त्योहार नजदीक आता है वैसे-वैसे यहां पर रंगों की फुहार के साथ-साथ रामलीला की भी रौनक बढ़ जाती है. हरदोई की होली वाली रामलीला सांप्रदायिक सौहार्द के लिए इस मायने में भी जानी जाती है, क्योंकि इसमें मुस्लिम समाज हर मुमकिन सहयोग करके भाईचारे का संदेश देते हैं.

समय के साथ बदला रामलीला का स्वरूपरामप्रकाश शुक्ला बताते हैं कि शुरुआती दिनों में क्षेत्रीय लोग ही रामलीला में विभिन्न पात्रों की भूमिका निभाते थे. अब अलग-अलग जगहों की मंडली इसका मंचन करती है. इस ऐतिहासिक रामलीला के मंचन के साथ ही राम की बारात भी निकाली जाती है. इस बार राम बारात में अयोध्या में बने राम मंदिर की झांकी, चंद्रयान की झांकी, पर्यावरण से संबंधित झांकी व समाज को संदेश देने वाली झांकियों को इस शामिल किया जाएगा है.
.Tags: Hardoi News, Local18, Uttar Pradesh News HindiFIRST PUBLISHED : February 25, 2024, 22:27 IST



Source link

You Missed

Scroll to Top