उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर जिले में कई गांव ऐसे हैं जिनके नाम बड़े ही मजाकिया अंदाज में अंकित हैं। इन गांवों के नाम की अगर हम बात करें तो इसके पीछे भी एक अजब-गजब की कहानी है। इन गांवों की समृद्धि का एक और पहलू यह है कि यहां पर फसल से लेकर अन्य सभी ग्रामीण संसाधन उपलब्ध हैं।
“कुछ मुछ” गांव के रहने वाले मोहम्मद अली खान ने बताया कि हमारे गांव में पहले कई लोग पहलवान हुआ करते थे। एक बार जब कुश्ती हुई तो एक पहलवान से अधिक ताकतवर दूसरा पहलवान आया। जब उसने पहले पहलवान को उठाकर पटक दिया, तो पूछा “और कुछ” तो पहले पहलवान ने कहा नहीं, बस ‘मुछ’। इसी पर तब से इस गांव को “कुछ-मुछ” कहा जाने लगा। यह गांव सुल्तानपुर मुख्यालय से लगभग 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
लोकल 18 से बातचीत के दौरान स्थानीय निवासी राम अछैबर ने बताया कि बहुत पहले तीन भाई हुआ करते थे, जिसमें एक का नाम पूरन, दूसरे का नाम बालम और तीसरे का नाम महेश था। भारत की आजादी के बाद जिस गांव में पूरन जाकर बसे उसे पूरनपुर, जिस गांव में महेश जाकर बसे उसे महेशुआ और जिस गांव में बालम जाकर बसे उसका नाम बालमपुर पड़ गया।
स्थानीय निवासी वरिष्ठ पंडित राजेश चतुर्वेदी ने बताया कि तेरये गांव के नाम के पीछे काफी प्राचीन इतिहास रहा है। उन्होंने बताया कि इस गांव में 13 देवस्थान हैं, इन्हीं देव स्थलों के आधार पर इस गांव को तेरये कहा जाने लगा और आज इस गांव का नाम सुल्तानपुर जिले में काफी प्रसिद्ध नाम है।
अन्नपूर्णा नगर के निवासी तथा सुल्तानपुर के वरिष्ठ पत्रकार मनोराम पांडेय ने बताया कि उनके गांव के जमींदार जो कि एजाज हुसैन, कौतुक हुसैन, अमरेंद हुसैन आदि थे, ये लोग जायस जनपद रायबरेली के रहने वाले थे। ये लोग लड़ाई और गोरिल्ला युद्ध में हमेशा आगे रहते थे, जिस वजह से इनकी अधिक संख्या में शहादत भी हो गई। ऐसे में इस गांव में विधवाओं की संख्या अधिक हो गई, जिसके कारण इसका नाम रण्डौली पड़ा। हालांकि अब इसका नाम बदलकर अन्नपूर्णा नगर कर दिया गया है।
गांव के रहने वाले बुजुर्ग राजा राम ने बताया कि यहां पर मझौली राजवंश के लोग बसे हुए हैं। पास के ही गांव भरखरे राजवंश के लोगों ने मझौली राजवंश के यहां अपनी पुत्री की शादी की और 500 बीघा जमीन भी मझौली राजवंश के लोगों को प्रदान की। क्योंकि अपनी पुत्री का विवाह करने के कारण भरखरे गांव के लोग इस गांव में बसाए गए लोगों के यहां खाना नहीं खाते थे, जिसके कारण ऐसा माना गया कि यह गांव “हड़हा” है।
इन गांवों की कहानियां हमें यह सोचने पर मजबूर करती हैं कि कैसे एक छोटी सी बात के कारण एक गांव का नाम पड़ जाता है। इन गांवों की समृद्धि और ऐतिहासिक महत्व को जानने के लिए, हमें इन गांवों की कहानियों को जानना होगा।