लखनऊ. भारतीय सेना ने पहलगाम में हुए आतंकी हमले का बदला लिया ऑपरेशन सिंदूर से लिया. ऑपरेशन के दौरान 10 मई 2025 को भारत ने पाकिस्तान के सैन्य ठिकानों पर ब्रह्मोस मिसाइल से जवाबी हमला किया. 11 मई को लखनऊ में ब्रह्मोस मिसाइल यूनिट का शुभारंभ किया गया. इस दौरान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह दिल्ली से वर्चुअली जुड़े. राजनाथ ने इस दौरान कहा कि ब्रह्मोस की धमक रावलपिंडी तक सुनाई दी. सीएम योगी इस दौरान यूनिट में मौजूद थे. यूपी में लखनऊ से लेकर चित्रकूट तक में एक्सप्रेसवे के किनारे डिफेंस कॉरिडोर बन रहा है. इसके लिए जमीनों का अधिग्रहण तेजी से चल रहा है. डिफेंस कंपनियां अपनी यूनिट लगा रही हैं.
लखनऊ में बन रहे लखनऊ में बने ब्रह्मोस मिसाइल प्लांट की खासियत जानकर आप भी हैरान रह जाएंगे. ब्रह्मोस एयरोस्पेस डीआरडीओ और रूस की सरकारी कंपनी NPOM का प्रोजेक्ट है. भारत की इसमें हिस्सेदारी 50.5% है. ब्रह्मोस का प्लांट डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर के लखनऊ-कानपुर रोड पर है जिसकी लागत 300 करोड़ रुपये है. इस लागत में जमीन की कीमत शामिल नहीं है. दिसंबर 2021 में इस प्रोजेक्ट के लिए 80 हेक्टेयर भूमि आवंटित हुई थी.
अभी शुरुआत में ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल के कल पुर्जे लाकर जोड़े जाएंगे. बाद में इसी यूनिट से प्रोडक्शन भी शुरू होगा. बताया जा रहा है कि इस यूनिट में बनकर तैयार हुई ब्रह्मोस मिसाइल की रेंज 290-400 किलोमीटर होगी. इस मिसाइल को जमीन-समुद्र या हवा से लॉन्च किया जा सकता है. महज साढ़े तीन साल में बनकर तैयार हुई इस यूनिट में हर साल नई पीढ़ी की 100 से 150 ब्रह्मोस मिसाइलें बनाएगी. अगली पीढ़ी की मिसाइल का वजन सिर्फ 1,290 किग्रा होगा. रेंज 300 किलोमीटर से ज्यादा होगी. सुखोई जैसे लड़ाकू विमान तीन मिसाइलें ले जा सकेंगे. फिलहाल एक मिसाइल ही ले जा सकते हैं.
कानपुर, अलीगढ़, आगरा, झांसी और चित्रकूट जैसे छह शहर भी पाकिस्तान की टेंशन बढ़ा रहे हैं.
कानपुर : कानपुर में हल्के एयरक्राफ्ट, तोप, AK-47, कार्बाइन, पिस्टल, ड्रोन और स्नाइपर राइफल जैसे 41 तरह हथियार बनाने के लिए यहां अडाणी ग्रुप की डिफेंस कॉरिडोर की पहली यूनिट 250 एकड़ में बनकर तैयार हो गई है. यह एशिया का सबसे बड़ा एम्युनिशन कॉम्प्लेक्स है. भविष्य में दुनियाभर में हथियारों की सप्लाई यहीं से की जाएगी.
झांसी: झांसी में पूर्व सीडीएस जनरल विपिन रावत के नाम पर डिफेंस कॉरिडोर है. इसमें 16 कंपनियों को 531 हेक्टेयर जमीन दी जा चुकी है. भारत डायनामिक्स लिमिटेड यहां मिसाइलें बनाएगी. इसके अलावा हथियार और गोला-बारूद का निर्माण करने वाली कुछ कंपनियों को भी जमीन दी गई है.
आगरा: ताज नगरी आगरा में 123 हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण हो चुका है. यहां रडार और कम्युनिकेशन उपकरण बनेंगे. बीएचईएल 400 करोड़ रुपये से रडार बनाने की फैक्ट्री लगा रही है.
अलीगढ़: अलीगढ़ में 24 कंपनियां ड्रोन, काउंटर ड्रोन सिस्टम और रडार निर्माण में जुटी हैं.
चित्रकूट: चित्रकूट में ड्रोन और मिसाइल के अलावा हेलिकॉप्टर, रोबोटिक, मिसाइल, हथियार, टैंक, मोटर इंजन बनाने की यूनिट के लिए जमीन का अधिग्रहण 80% हो चुका है.