विकाश कुमार/ चित्रकूट: गोस्वामी तुलसीदास की लिखी रामचरितमानस से आप सभी जरूर वाकिफ होंगे. भगवान राम को आमजन तक पहुंचाने में महाकाव्य रामचरितमानस की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण मानी जाती है. चित्रकूट में भी रामचरितमानस की एक खास पुस्तक मौजूद है. गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित रामचरितमानस की रचना 966 दिन में पूरी की गई थी.इसके लिए खुद तुलसीदास ने अयोध्या, काशी, समेत तमाम उन स्थानों का भ्रमण किया था. जहां भगवान राम से जुड़े साक्ष्य मौजूद थे. दरअसल, चित्रकूट भगवान श्री राम की तपोस्थली के राजापुर में आज भी गोस्वामी तुलसीदास की हस्तलिखित रामचरितमानस कई साल बाद भी सहेज कर रखी गई है. श्रद्धालु यहां गोस्वामी तुलसीदास की हस्तलिखित रामचरित मानस को देखते और पढ़ते भी हैं.दर्शन करने से दूर होते हैं कष्टतुलसीदास की रामचरितमानस अभी भी उनके पैतृक गांव चित्रकूट जिले के राजापुर में मौजूद है. गोस्वामी तुलसीदास जी के द्वारा खुद से लिखी गई सैकड़ों साल पुरानी कृति आज भी सुरक्षित रखी हुई है. मंदिर के संत शरद कुमार त्रिपाठी बताते हैं कि इस महाकाव्य का निर्माण 76 साल की उम्र में तुलसीदासजी ने किया था. अब केवल अयोध्या कांड बचा है, बाकी सब विलुप्त हो गए लेकिन ये जो आप लिखावट देख रहे हैं ये तुलसीदासजी के हैं. उन्होंने बताया कि बस अयोध्या कांड बचा है जिसको यहा आकर देखा जा सकता है.चित्रकूट में मौजूद है हस्तलिखित रामचरितमानसहस्तलिखित रामचरितमानस के सेवक रामाश्रय ने बताया कि तुलसीदासजी की हस्तलिखित रामकथा अब पढ़ने की समझ रखने वाले बस वे एक शख्स हैं. रामाश्रय तुलसीदास के शिष्य की 11वी पीढ़ी के हैं और पिछले 500 साल से इनका परिवार इस महाग्रंथ की सेवा कर रहा है. असल में रामाश्रय कहते हैं कि हिंदी लिखने में पिछले 50 सालों में 6 अक्षर बदल तो सोचिए कि 500 साल में हिंदी के अक्षरों में कितना बदलाव आया होगा..FIRST PUBLISHED : November 1, 2023, 20:58 IST
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