रजत भट्ट/गोरखपुर: गोरखपुर में जायके का स्वाद लेने के लिए बहुत ज्यादा घूमने की जरूरत नहीं पड़ती है. क्योंकि हर गली और चौराहे पर खाने-पीने के कई वैरायटी उपलब्ध रहते हैं. लेकिन शहर में कुछ ऐसी दुकानें हैं जो वर्षों से अपने जायके का स्वाद शहरवासियों के जुबां पर डालते चले आ रहे हैं. इन दुकानों पर एक बार जायके का स्वाद लेने के बाद लोग वहां दोबारा जाते ही जाते हैं. वहीं गोरखपुर के अलहदादपुर तिराहे पर पिछले 86 सालों से समोसा और जलेबी का एक ऐसा स्वाद है. जो लोगों के जुबान पर छाया हुआ बस लोगों को खाते मजा ही आ जाता है.

गोरखपुर के अलहदादपुर तिराहे पर लोगों के समोसे और जलेबी की डिमांड को पिछले लंबे समय से सत्तू भाई की दुकान पूरी करती आ रही हैं. इनकी गरम-गरम जलेबी और समोसा और उसके साथ चटनी पिछले लंबे समय से लोगों के जुबा पर चढ़ा हुआ है. साल 1937 में इस दुकान की नीव सोशी राम गुप्त ने रखी थी. तब दुकान पर सिर्फ मिठाई बिका करती थी. लेकिन उनके बेटे संत कुमार सत्तू दुकान पर बैठे और इसका दायरा बढ़ाकर जलेबी और समोसे की शुरुआत की. इसके बाद लोगों को यह इतना पसंद आया कि देर पहुंचने पर ना जलेबी ना समोसा कुछ भी हाथ नहीं लगता.

चौथी पीढ़ी चला रही है दुकानगोरखपुर के अलहदादपुर पुर तिराहे पर संत भाई सत्तू के समोसे आज भी लोगों के जुबां पर राज कर रहे हैं. इस दुकान को इनकी चौथी पीढ़ी चला रही है. दुकान पर मौजूद कुशल गुप्त बताते हैं कि, 2009 में जब सत्तू भाई की तबीयत बिगड़ने लगी तो फैजाबाद से उनके नाती कुशल गोरखपुर आ गए. 2011 में सत्तू जब नहीं रहे तो दुकान की जिम्मेदारी अब कुशल गुप्ता ही संभालते हैं. कुशल कहते हैं कि आज भी कस्टमर के स्वाद और हाइजीन के साथ कोई समझौता नहीं किया जाता.

बड़े मन से बनाते थे सत्तू भाई समोसेदुकान पर मौजूद कुशल गुप्ता बताते हैं कि, सत्तू भाई ने जब समोसे और जलेबी की शुरुआत की थी तो कुछ ही दिन में यहां लोगों की भीड़ लगने लगी थी. समोसे और जलेबी बनाने के लिए वह बड़े इत्मीनान से बैठते थे और बड़े प्यार से अपने हाथों से ही बनाया करते थे. कुछ खास मसाले नहीं इस्तेमाल करते थे बस कस्टमर की डिमांड पर चीजों को तैयार करते थे. आज एक समोसे के दाम 10 रुपये और जलेबी 40 रुपये पाव दी जाती है.
.Tags: Food 18, Local18FIRST PUBLISHED : August 17, 2023, 16:47 IST



Source link