वसीम अहमद/अलीगढ़: आपने हिंदू धर्म ग्रंथों में त्रेता युग की कई कहानियां पढ़ी होंगी, जिनमें श्रवण कुमार के अंधे माता-पिता को कांधे पर बिठाकर तीर्थाटन कराने का जिक्र है. लेकिन आज हम आपको कलयुग के एक नहीं तीन श्रवण कुमार की कहानी बताने जा रहे हैं. जो बांस के दो किनारों पर रस्सी के सहारे खटोले बांधकर उसमें अपने माता-पिता को बैठाकर तीर्थ पर ले जाते नजर आए. ये तीनों उन्हें सासनी से बालेश्वर धाम मंदिर में भगवान शिव का गंगाजल से अभिषेक करवाने के लिए ले जा रहे थे.दरअसल, 75 वर्षीय नेत्रहीन बदन सिंह बघेल और उनकी पत्नी अनार देवी हाथरस के हरी नगर कॉलोनी में रहते हैं. उनके तीनों पुत्र रमेश, विपिन और योगेश राम घाट में गंगा स्नान कराने के बाद अपने कंधों पर कावड़ और उसी में बंधे खटोला पर माता-पिता को बैठाकर ले गए. तीनों बेटे कंधे पर उन्हें उठाकर सासनी कस्बे के विलेश्वर धाम मंदिर के लिए चल पड़े.कंधे पर बैठाकर माता-पिता को कराई यात्रानेत्रहीन माता-पिता के मझले पुत्र विपिन ने जानकारी देते हुए कहा, ‘करीब 4 दिन पहले मैं अपने माता पिता को लेकर चला था. हर 15 किलोमीटर चलने के बाद हमलोग थोड़ा विश्राम करते हैं और उसके बाद उन्हें ले कर चल देते हैं. हम इसी तरीके से अपने माता-पिता को सासनी तक ले जाएंगे. पूरे परिवार साथ मे है. मेरे बड़े भाई और छोटे भाई के अलावा सब की पत्नियां साथ में है. मैं सभी को यह संदेश देना चाहता हूं कि मेरी तरह सभी अपने माता-पिता की श्रद्धा से सेवा करें’..FIRST PUBLISHED : July 20, 2023, 10:36 IST
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