Uttar Pradesh

ये है बिना कैश काउंटर वाला अस्‍पताल, दिल के मरीज बच्‍चों को मिलता है इलाज, खाना सब फ्री



नई दिल्‍ली. जन्‍म से ही दिल की गंभीर बीमारियों के साथ पैदा होने वाले बच्‍चों के लिए देश में एक ऐसा भी अस्‍पताल है जो वरदान साबित हो रहा है. इस अस्‍पताल में न केवल बीमार बच्‍चों के लिए दवाएं, इलाज, जांच और सर्जरी सभी मुफ्त में उपलब्‍ध कराई जाती हैं बल्कि बीमार बच्‍चे को इलाज के लिए लाने वाले माता-पिताओं और परिजनों के रहने और खाने का इंतजाम भी करता है. खास बात है कि इस अस्‍पताल में एक भी कैश काउंटर नहीं है. यहां किसी भी चीज के लिए पैसे नहीं देने पड़ते. यहां सभी व्‍यवस्‍थाएं निशुल्‍क हैं. यह अस्‍पताल हरियाणा के पलवल स्थित बघोला में बना श्री सत्य साई संजीवनी चिकित्सालय है.आंकड़े बताते हैं कि अपने देश में हर साल दो लाख 40 हजार नवजात बच्‍चे ह्रदय संबंधी बीमारियों के साथ पैदा होते हैं. चूंकि बच्‍चों के होने के कारण इसकी जानकारी देरी से मिल पाती है ऐसे में कुछ ही समय में यह गंभीर हो जाता है. लिहाजा ज्‍यादातर मामलों में विशेषज्ञों के द्वारा इलाज और सर्जरी की जरूरत पड़ती है. वहीं ग्रामीण इलाकों में जागरुकता की कमी, आर्थिक रूप से कमजोर स्थिति और डॉक्‍टरों तक पहुंच कम होने के कारण ज्‍यादातर बच्‍चों को समय पर इलाज नहीं मिल पाता. निजी अस्‍पतालों में दिल की बीमारियों के इलाज का खर्च में इलाज में बाधा बनता है. ऐसे में ये अस्‍पताल काफी राहत देने वाला है.संजीवनी अस्‍पताल के मैनेजिंग डायरेक्‍टर डॉ. सी श्रीनिवास न्‍यूज 18 हिंदी से बातचीत में बताते हैं कि भारत में इसी तरह के दो और अस्‍पताल भी जन्‍मजात ह्रदय रोगों से पीड़‍ित बच्‍चों के लिए काम कर रहे हैं. इनमें से एक रायपुर और दूसरा महाराष्‍ट्र के नवी मुंबई में है. इस अस्‍पताल में दिल के रोगों से संबंधित सभी आधुनिक और बेहतरीन किस्‍म की मशीनें और उपकरण मौजूद हैं. यहां तक कि जो सुविधाएं इस अस्‍पताल में हैं ऐसी कई सुविधाएं मल्‍टी सुपर स्‍पेशलिटी अस्‍पतालों में भी नहीं हैं. यहां भारत के किसी भी कोने से मरीज आ सकते हैं, सभी को इलाज दिया जाता है. यहां इनवेसिव और नॉन इनवेसिव (कैथ हस्‍तक्षेप) दोनों ही प्रकार की सर्जरी की जाती हैं.रोजाना 150 तक मरीजों को भर्ती करने की क्षमता डॉ. सी श्रीनिवास ब‍ताते हैं कि चूंकि यह पूरी तरह निशुल्‍क अस्‍पताल है और अब लोग इसके बारे में जानने भी लगे हैं तो यहां रोजाना मरीजों की भीड़ भी रहती है. हालांकि अस्‍पताल में रोजाना 125 से 150 मरीज बच्‍चों को भर्ती करने की क्षमता है लेकिन ऐसी व्‍यवस्‍था की गई है कि इससे ज्‍यादा मरीज आने पर उनका अगले दिन का नंबर लगा दिया जाता है और उन्‍हें टोकन दे दिया जाता है. वहीं अगर कोई मरीज इमरजेंसी की हालत में आता है तो उसे तत्‍काल भर्ती किया जाता है. ऑनलाइन भी कर सकते हैं रजिस्‍ट्रेशन डॉ. श्रीनिवास कहते हैं कि ऑफलाइन आने वाले मरीजों के अलावा ऑनलाइन रजिस्‍ट्रेशन कराने की भी सुविधा है. यहां आने से पहले भी मरीज अपाइंटमेंट फिक्‍स कर सकते हैं. इससे कई बार भीड़ होने पर उन्‍हें अगले दिन के लिए इंतजार नहीं करना पड़ता. उसी दिन बच्‍चे को एडमिट करने के बाद उसके इलाज की प्रक्रिया शुरू हो जाती है. ऑनलाइन भी कर सकते हैं रजिस्‍ट्रेशन आगे पढ़ेंब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी|FIRST PUBLISHED : October 01, 2022, 14:39 IST



Source link

You Missed

जीएसटी दरों में कटौती से होने वाले नुकसान की भरपाई पर क्या बोलीं वित्त मंत्री
Uttar PradeshSep 19, 2025

२८ लाख दीपों से जगमगेगा राम नगरी, ३५,००० स्वयंसेवकों के साथ विदेशी रामलीला की दिखेगी झांकी

अयोध्या में दीपोत्सव की तैयारियां शुरू, 28 लाख दीपों से जगमगेगा राम नगरी अयोध्या में दीपोत्सव की तैयारियां…

Scroll to Top