Uttar Pradesh

ये बकरी सारे बकरों की अम्मा…भैंसे की तरह बढ़ता है वजन, चराने की जरूरत नहीं, मीट रूई जितना मुलायम

शहरी बकरी: इस बकरी को पालना बाएं हाथ का खेल है, ज्यादा केयर की डिमांड नहीं करती. न चराने की जरूरत है और न इसे ज्यादा जगह चाहिए. वजन इसका तेजी से बढ़ता है, मालामाल बना सकती है. बलिया. अगर आप पशु पालक हैं, तो यह खबर आपके काम आ सकती है. पशुपालन के क्षेत्र में एक खास नस्ल की बकरी ने नई उम्मीदें जगाई हैं. इस बकरी का पालन-पोषण न केवल कम खर्चे में किया जा सकता है, बल्कि दूध और मांस के बेहतरीन उत्पादन के कारण पशुपालकों को मोटी कमाई भी हो सकती है. हम बात कर रहे हैं बरबरी नस्ल की बकरी की, जिसे स्थानीय लोग “शहरी बकरी” के नाम से भी जानते हैं. इस नस्ल की बकरी को कही भी कम जगह में भी पाला जा सकता है.

बरबरी नस्ल की बकरी औषधीय गुणों से भरपूर होती है. इसका दूध प्लेटलेट्स बढ़ाने में बहुत मददगार है. इसका दूध एंटी-ऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी जैसे कई लाभकारी तत्वों से भरपूर होता है. इसका मांस न केवल स्वादिष्ट और मुलायम होता है, बल्कि पोषण तत्वों से युक्त है. इसी वजह से बाजार में इसकी मांग हमेशा बनी रहती है और यह महंगे दामों में बिकती है.

राजकीय पशु चिकित्सालय नगर बलिया के उप मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डॉ. एसडी द्विवेदी बताते हैं कि बरबरी नस्ल की बकरी को चराने की भी ज्यादा जरूरत नहीं पड़ती है. इसे छत या छोटे से आंगन में भी आसानी से पाला जा सकता है. यही कारण है कि यह नस्ल शहरी क्षेत्रों में भी खास पसंद की जाती है. इस नस्ल की बकरी की डिमांड हमेशा रहती है. बरबरी नस्ल की बकरी सफेद रंग की होती है, जिसके ऊपर भूरे या लाल रंग के धब्बे होते हैं. इसका आकार तो छोटा होता है, लेकिन सुदृढ़ होता है. नर बकरे का वजन 35 से 40 किलो और मादा का वजन 25 से 30 किलो तक हो सकता है. यह नस्ल जल्दी प्रजनन करती है, जिसके कारण पशुपालकों को कम समय में अधिक कमाई हो जाती है.

बरबरी बकरी का दूध और मांस पालना आसान है और देखभाल में भी ज्यादा तामझाम नहीं होता है. पशुपालन शुरू करने वालों के लिए यह बकरी एक बेहतरीन विकल्प है. इसका दूध और मांस ऊर्जा और प्रोटीन युक्त आहार खिलाने से तेजी से बढ़ता है. इसके लिए लोबिया, बरसीम, चना, मक्का, जौ, भूसा और नीम के पत्ते आदि का उपयोग किया जा सकता है.

You Missed

Scroll to Top