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रिपोर्ट – निखिल त्यागी

सहारनपुर. टीबी रोग से पीड़ित व्यक्ति के लिए सरकार ने मुफ्त में पूरे इलाज की व्यवस्था की हुई है. हालांकि पहले के समय में यदि किसी व्यक्ति को टीबी का रोग हो जाता था, तो उसके खाने के बर्तन तक अलग कर दिए जाते थे. वहीं, टीबी को सांस से फैलने वाली बीमारी माना जाता है. इसलिए टीबी रोग की समाप्ति के लिए प्रति वर्ष 24 मार्च को विश्‍व टीबी दिवस (World TB Day 2023) मनाया जाता है. इस बीच सहारनपुर में टीबी रोगियों को इस बीमारी से बचाव के लिए आवश्यक देखभाल व दवाई लेने के लिए मानसिक रूप से जागरूक किया गया. सहारनपुर में एक कार्यक्रम के दौरान मैक्स हॉस्पिटल देहरादून के छाती रोग विशेषज्ञ डॉ. रहबर ने न्‍यूज़ 18 लोकल से कहा कि टीबी रोग को हम जड़ से खत्म कर सकते हैं. इसके लिए थोड़े प्रयास की जरूरत है.

डॉ. रहबर ने बताया कि आज के समय में टीबी लाइलाज रोग नहीं रहा है. यदि हम थोड़ा प्रयास करें तो इस रोग का जड़ से खात्मा संभव है. साथ ही डॉ. रेहबर ने बताया कि टीबी रोग के कई प्रकार होते हैं. टीबी केवल बलगम वाली ही होती है, ऐसा कई नहीं है. उन्होंने बताया कि यदि किसी व्यक्ति को दौरे पड़ते हैं, तो उसे दिमागी टीबी कहते हैं. घुटनों में दर्द व सूजन होने से बोन टीवी होती है. महिलाओं की बच्चेदानी में भी टीबी हो सकती है. उन्होंने बताया कि नाखून से लेकर घुटने जोड़ों व सांस की नली में गांठ पड़ना आदि में भी टीबी रोग के लक्षण हैं. उन्‍होंने बताया कि बलगम से होने वाली टीबी संक्रमित होती है. संक्रमित होने का मतलब इस टीबी के मरीज का संक्रमण दूसरे व्यक्ति में जा सकता है. बलगम के अलावा किसी की छाती में यदि पानी भर जाए तो उसको भी मेडिकल की भाषा में टीबी ही कहते हैं. इनमे थोड़ी जागरूकता, देखभाल व मानसिक मजबूती की जरूरत होती है.

ये होते हैं टीबी के लक्षणडॉ. रहबर ने बताया कि फेफड़ों वाली टीबी के कई लक्षण शरीर मे नजर आते हैं. जैसे खांसी में खून आना, 3 हफ्ते तक लगातार खासी रहना, बुखार आना, लगातार व्यक्ति के शरीर का वजन कम होना आदि लक्षण होते हैं. हालांकि फेफड़ों में पानी भरना और लगातार खांसी रहना इसके मुख्य लक्षण होते हैं.

क्या है टीबी से बचाव का इलाजडॉ. रहबर ने बताया कि टीबी रोग से बचाव करने का सबसे पहला सिद्धान्त जागरूकता है . टीबी रोगी को अपने स्वास्थ्य को बनाये रखने के लिए पौष्टिक आहार आवश्यक रूप से लगातार लेना होगा. रोगी बंद कमरे में ना रहे. जबकि नमी वाली जगह पर रहने से परहेज करें. उन्होंने कहा कि घर में 10-15 लोग एक ही जगह इकट्ठा ना रहे हैं. यदि घर में परिवार के लोगों की संख्या 10 से 15 है, तो थोड़ा दूरी बनाकर रहना चाहिए. उन्होंने कहा कि यदि घर में किसी व्यक्ति को बलगम वाली टीबी है, तो उस रोगी की 6 हफ्ते तक निगरानी रखने की जरूरत है. हालांकि उस व्यक्ति को टीबी रोगी मानकर उसके बर्तन, कपड़े और खाने पीने का सामान अलग करना सही नहीं है. बचाव के लिए टीबी रोग से पीड़ित व्यक्ति को मास्क लगाना चाहिए. परिवार के सदस्यों को उस व्यक्ति से थोड़ा दूरी बनाकर रहना होता है. डॉक्टर ने बताया कि यदि किसी टीबी रोगी व्यक्ति को शुगर या एचआईवी जैसी बीमारी है, तो उससे थोड़ी दूरी बनाना आवश्यक हो जाता है.

सरकार द्वारा दिया जाता है मुफ्त इलाजडॉ. रहबार के मुताबिक, टीबी रोग का इलाज सरकार द्वारा बिल्कुल मुफ्त किया जाता है. प्रत्येक सरकारी अस्पताल में जांच से लेकर दवाइयां तक मुफ्त देने के साथ ही टीबी रोगी को सरकार द्वारा आर्थिक रूप से कुछ सहयोग राशि भी दी जाती है. यदि हम व्यक्तिगत रूप से टीबी की जांच कराएं तो हमारा खर्च दो से तीन हजार रुपये आता है, लेकिन सरकारी अस्पताल में बिल्कुल मुफ्त किया जाता है. उन्होंने कहा कि जांच के बाद यदि किसी व्यक्ति को टीबी रोग की पुष्टि हो जाती है, तो उस व्यक्ति को लगातार दवाई खाते रहना चाहिए. 2 महीने बाद उस रोगी को अपने शरीर में खुद बदलाव नजर आएंगे.
ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी|Tags: Saharanpur news, UP news, World Tuberculosis DayFIRST PUBLISHED : March 24, 2023, 16:30 IST

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