Health

Women should not take too much stress during pregnancy period baby mental health may affect | प्रेग्नेंसी के दौरान ज्यादा तनाव न लें महिलाएं, बच्चे की मेंटल हेल्थ में हो सकती हैं समस्याएं



प्रेग्नेंसी के दौरान मां की एंग्जाइटी और तनाव के स्तर और बच्चे के बिहेवियर संबंधी समस्याओं के बीच एक गहरा संबंध है. यह खुलासा अमेरिकन साइकोलॉजिकल एसोसिएशन द्वारा प्रकाशित अध्ययन में हुआ है. इसके अनुसार, जिन बच्चों की मां प्रेग्नेंसी के दौरान अधिक तनाव का अनुभव करती हैं, वे बचपन और किशोरावस्था के दौरान आक्रामक बिहेवियर प्रदर्शित करते हैं और मानसिक समस्याओं का अभाव होता है.
अध्ययन के लेखक इरीन तुंग (पीएचडी, कैलिफोर्निया स्टेट यूनिवर्सिटी) ने कहा कि हमारे शोध से पता चलता है कि प्रेग्नेंसी के दौरान मनोवैज्ञानिक संकट का बच्चों के आक्रामक, निष्क्रिय और आवेगी व्यवहार के जोखिम पर स्थायी प्रभाव पड़ता है. इन रिजल्ट से इस सबूत में इजाफा होता है कि गर्भावस्था के दौरान व्यापक रूप से उपलब्ध मानसिक स्वास्थ्य देखभाल और सहायता प्रदान करना बचपन की व्यवहार संबंधी समस्याओं को रोकने में मदद करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है.45 हजार लोगों पर हुआ अध्ययनयह शोध 55 अध्ययनों के डेटा का विश्लेषण करने के बाद किया गया था, जिसमें कुल 45,000 से अधिक प्रतिभागी शामिल थे. इस अध्ययन में, शोधकर्ताओं ने विशेष रूप से उन मामलों की जांच की जहां गर्भावस्था के दौरान और बाद में माताओं के मनोवैज्ञानिक संकट का आकलन किया गया था. गर्भवती महिलाओं को मानसिक स्वास्थ्य देखभाल प्रदान करने के कई फायदे हैं. मानसिक स्वास्थ्य देखभाल से गर्भवती महिलाओं को अपने तनाव और चिंता का प्रबंधन करने में मदद मिल सकती है, जो उनके बच्चे के व्यवहार पर प्वॉजिटिव प्रभाव डाल सकती है. इसके अलावा, मानसिक स्वास्थ्य देखभाल से गर्भवती महिलाओं को डिप्रेशन और चिंता जैसे मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं को विकसित करने के खतरे को कम करने में मदद मिल सकती है.
शोधकर्ताओं ने क्या पाया?उन्होंने पाया कि, बाद में होने वाले प्रसवोत्तर संकट को ध्यान में रखते हुए भी, गर्भावस्था के दौरान संकट का अनुभव बच्चों में बाहरी समस्याओं के विकास के जोखिम को बढ़ा देता है. यह प्रभाव लड़कों और लड़कियों दोनों के लिए और अलग-अलग आयु समूहों में समान रहा: प्रारंभिक बचपन (2-5), मध्य बचपन (6-12) और किशोरावस्था (13-18), जिसमें प्रारंभिक बचपन में सबसे मजबूत प्रभाव देखा गया.



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