Health

Why is the risk of autoimmune diseases higher in women X chromosome might have answer | महिलाओं में ऑटोइम्यून बीमारियों का खतरा ज्यादा क्यों? X क्रोमोसोम दे सकता है जवाब



ऑटोइम्यून डिजीज एक प्रकार की बीमारी होती हैं जिसमें इम्यून सिस्टम हेल्दी शरीर के टिशू पर हमला करती है. यह तब होता है जब इम्यून सिस्टम गलती से शरीर के अपने टिशू को दुश्मन के रूप में पहचान लेती है. ल्यूपस और मल्टीपल स्केलेरोसिस जैसी बीमारियां इसी का उदाहरण हैं.
पुरुषों की तुलना में महिलाओं में ऑटोइम्यून बीमारियों का खतरा अधिक होता है. अब एक नए अध्ययन ने इस रहस्य को सुलझाने की दिशा में संकेत दिया है. ‘सेल’ जर्नल में प्रकाशित इस शोध से पता चलता है कि महिलाओं में पाए जाने वाले एक्स्ट्रा X क्रोमोसोम पर काम करने वाले विशेष मॉलिक्यूल (अणु) कभी-कभी इम्यून सिस्टम को भ्रमित कर सकते हैं.क्या मॉलिक्यूल ही एकमात्र वजह?हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि ये मॉलिक्यूल ही एकमात्र कारण नहीं हो सकते. लेकिन अगर यह शोध आगे के प्रयोगों में सही साबित होता है, तो मौजूदा दवाओं की तुलना में इन मॉलिक्यूल पर आधारित नए उपचार विकसित किए जा सकते हैं. वर्तमान में इस्तेमाल होने वाली दवाएं पूरे इम्यून सिस्टम को कमजोर करती हैं. अध्ययन का लीड करने वाले एक जेनेटिसिस्ट और डर्मेटोलॉजिस्ट (स्किन एक्सपर्ट) डॉ. हॉवर्ड चांग का कहना है कि शायद यह एक बेहतर रणनीति साबित हो सकती है.
X, Y क्रोमोसोमपुरुष और महिला भ्रूण दोनों में 22 समान जोड़ी क्रोमोसोम होते हैं. 23वां जोड़ा अलग होता है. महिलाओं में दो एक्स-क्रोमोसोम होते हैं, जबकि पुरुषों में एक X और एक Y होता है, जिससे पुरुष के यौन अंगों का विकास होता है. हर एक क्रोमोसोम में जीन होते हैं, जो एक्टिव होने पर सेल्स के अंदर काम करने के लिए प्रोटीन बनाते हैं. आप उम्मीद कर सकते हैं कि दो X क्रोमोसोम वाली महिलाएं पुरुषों की तुलना में दोगुना एक्स प्रोटीन बनाती हैं. लेकिन ऐसा नहीं होता है, वे लगभग समान मात्रा में प्रोटीन बनाती है. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि दो X में से एक को बेकार कर दिया जाता है.
क्या कहते हैं एक्सपर्ट?डॉ. हॉवर्ड चांग बताते हैं कि एक्सिस्ट नामक मॉलिक्यूल दूसरे एक्स-क्रोमोसोम से वेल्क्रो (दो कपड़ों को चिपकाने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली पट्टियां) की तरह चिपक जाता है. सैकड़ों एक्सिस्ट मॉलिक्यूल एक्स-क्रोमोसोम के चारों ओर लपेटकर उसे बेकार कर देते हैं. 2015 में चांग को यह विचार आया कि इस बेकार एक्स-क्रोमोसोम का भी एक नुकसान हो सकता है.
बीमारी की शुरुआत?डॉ. हॉवर्ड चांग को संदेह है कि ऑटोइम्यून बीमारियां महिलाओं के शरीर में सेल्स के सामान्य रूप से मरने की प्रक्रिया के दौरान हो सकती हैं. जब सेल्स मरती हैं, तो वे खुल जाती हैं और अपने मॉलिक्यूल्स को खून के फ्लो में छोड़ देते हैं. महिलाओं में इस मलबे में एक्सिस्ट मॉलिक्यूल और उनसे जुड़े प्रोटीन शामिल होते हैं. जब एक इम्यून सेल एक्सिस्ट मॉलिक्यूल्स से मिलती है, तो वह उससे जुड़े प्रोटीन को भी ढूंढती है. यह असामान्य अनुभव इम्यून सेल्स को भ्रमित कर सकता है, जो तब गलती से एक्सिस्ट प्रोटीन के लिए एंटीबॉडी बनाना शुरू कर देते हैं.
कैसे रिएक्ट करता है इम्यून सिस्टम?एक बार जब इम्यून सिस्टम एक्सिस्ट प्रोटीन को दुश्मन के रूप में मान लेती है, तो वह शरीर के अन्य हिस्सों पर भी हमला करना शुरू कर सकती है. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि हर एक सेल्स अपने प्रोटीन के टुकड़ों को अपनी सतह पर चिपका देती है, जहां इम्यून सेल्स उनकी जांच कर सकती हैं. चांग का कहना है कि अगर एक इम्यून सेल एक्सिस्ट प्रोटीन के टुकड़े से मिलती है, तो वह उस सेल को मार डालेगी. अब चुनौती यह समझने की है कि महिलाओं में इन बीमारियों के ज्यादा होने के पीछे ये सभी फैक्टर कैसे मिलकर काम करते हैं.



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