Health

Why Heart Patients Are More Vulnerable to Heat Stroke Related Complications | हीट स्ट्रोक से बच कर रहें दिल के मरीज, डॉक्टर ने दी चेतावनी, लापरवाही से हार्ट अटैक का रिस्क



How Heat Stroke Affects Heart Conditions: हाल के कुछ सालों में, गर्मियां और ज्यादा गर्म और परेशानी से भरी हो गई हैं. जब तापमान 40°C या 45°C से ऊपर बढ़ जाता है, तो ये खतरनाक हो सकता है, खासकर दिल के मरीजों के लिए. हद से ज्यादा हीट से जो एक सीरियस प्रॉब्लम हो सकती है वो है हीट स्ट्रोक. डॉ. जितेंद्र सिंह मक्कर द्वारा, चेयरमैन ए़ंड एचओडी, कार्डियोलॉजी, इटरनल हॉस्पिटल, जयपुर, ने बताया कि ये बॉडी और हार्ट पर बहुत दबाव डालता है. दिल की मरीजों के लिए, इससे इर्रेगुलर हार्ट बीच, लो ब्लड प्रेशर, या यहां तक कि दिल का दौरा जैसी परेशानियां हो सकती हैं.
हीट स्ट्रोक के खतरे को कैसे पहचानें?
1. शरीर के तापमान में इजाफा, थकान, दिल की धड़कन और बेहोशी के दौरे सभी हीट स्ट्रोक के लक्षण हैं और अक्सर वो स्ट्रोक के लक्षणों की नकल कर सकते हैं.
2. हीट स्ट्रोक की वजह से इंसान के बेहोश होने या होश खोने से पहले, उसे घुटन, चिपचिपापन और हद से ज्यादा पसीना आना शुरू हो सकता है. ये कुछ चेतावनी संकेत हैं जिन पर ध्यान देने की जरूरत है, खासकर अगर उन्हें दिल से जुड़ी परेशानियां हैं.
3. हीट स्ट्रोक लंबे समय तक धूप के एक्सपोजर में रहने या हॉट एनवायरनमेंटल कंडीशन, जैसे कि लू या हाई टेम्प्रेचर और ह्यूमिडिटी का एक्सटेंडेड पीरियड, या खराब हवादार वातावरण में रहने के कारण हो सकता है.

हीट स्ट्रोक हार्ट का दुश्मन क्यों है? 
1. हद से ज्यादा गर्मी में, शरीर को ठंडा करने में मदद करने के लिए दिल ज्यादा मेहनत करता है और तेजी से पंप करता है, जिससे हार्ट रेट बढ़ जाता है. ये हार्ट पर एक्सट्रा प्रेशर डालता है, खासकर जिन लोगों को पहले से ही दिल की बीमारियां हैं.
2. हद से ज्यादा गर्म वातावरण में रहने से डिहाइड्रेशन और पसीना आने से बहुत ज्यादा फ्लूइड लॉस भी हो सकती है, जिससे खून की मात्रा कम हो जाती है. इससे ब्लड प्रेशर में गिरावट आती है, जिससे दिल के लिए दूसरे अहम अंगों को खून की सप्लाई करना मुश्किल हो जाता है.
3. हद से ज्यादा गर्मी में, शरीर बहुत स्ट्रेस में आ जाता है. इससे सूजन हो सकती है और दिल की मांसपेशियों में कुछ डैमेज हो सकता है. इस कंडीशन को मायोकार्डियल इजरी कहा जाता है. जिन लोगों को पहले से हार्ट प्रॉब्लम है, वो भी अफेक्ट हो सकते हैं.

4. हाइपरटेंशन, हार्ट फेलियर, या कोरोनरी आर्टरी डिजीज वाले लोगों को बहुत ज्यादा रिस्क होता है. हीट स्ट्रोक से होने वाला स्ट्रेन दिल के दौरे को ट्रिगर कर सकता है या हार्ट फेलियर की कंडीशन को और खराब कर सकता है.

आपको क्या करना चाहिए? 
1. हीट स्ट्रोक एक मेडिकल इमरजेंसी है जो सिर्फ ब्रेन या स्किन को अफेक्ट नहीं करता है, ये हार्ट पर गंभीर रूप से दबाव डाल सकता है या उसे नुकसान पहुंचा सकता है, खासकर जब शरीर का तापमान 40°C से ऊपर बढ़ जाता है. हाइड्रेटेड रहना, धूप के पीक आवर्स से बचना, और शुरुआती लक्षणों को पहचानना इन गंभीर असर को रोकने में मदद कर सकता है.
2. जो लोग ड्यूरेटिक्स, एंटीहिस्टामाइन, बीटा-ब्लॉकर्स और स्टीमुलेंट्स जैसी कुछ दवाओं पर हैं, उनमें हीट स्ट्रोक डेवलप होने का ज्यादा रिस्क होता है, क्योंकि ये शरीर की तापमान को कंट्रोल करने की क्षमता में रुकावट डाल सकते हैं या पसीना आने से फ्लूइड लॉस बढ़ा सकते हैं, और उन्हें गर्म दिनों में धूप में बाहर रहने से बचने के लिए एक्सट्रा सावधानी बरतनी चाहिए.
3. हीट स्ट्रोक को मेडिकल इमरजेंसी मानें, और  फर्स्ट एड के तौर पर एक्ट्रा कपड़े उतार दें, और मदद आने से पहले शरीर को ठंडा करने में मदद करने के लिए कूलिंग पंखे का इस्तेमाल करें. यानी जहां तक मुमकिन हो खुद को ठंडा करने की कोशिश करें. ऐसे में आप खुद को हार्ट अटैक से बचा पाएंगे.
Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें



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