अमेरिका के शोधकर्ताओं ने एक नई आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) तकनीक विकसित की है, जो अचानक कार्डियक डेथ (हार्ट से जुड़ी अचानक मौत) के खतरे को पहले से पहचानने में मदद कर सकती है. यह तकनीक मौजूदा मेडिकल गाइडलाइन से कहीं अधिक सटीक और प्रभावी मानी जा रही है. जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों द्वारा विकसित इस मॉडल का नाम ‘मल्टीमॉडल एआई फॉर वेंट्रिकुलर अरिदमिया रिस्क स्ट्रैटिफिकेशन’ (MARS) है.
यह एआई मॉडल मरीजों की कार्डियक एमआरआई इमेज और हेल्थ रिकॉर्ड को मिलाकर दिल में छिपे उन संकेतों को पहचानता है, जो डॉक्टरों के लिए सामान्य तौर पर देख पाना मुश्किल होता है. यह स्टडी ‘नेचर कार्डियोवास्कुलर रिसर्च’ जर्नल में प्रकाशित हुई है. इसमें हाइपरट्रॉफिक कार्डियोमायोपैथी (एक अनुवांशिक दिल की बीमारी) पर फोकस किया गया है, जो युवाओं में अचानक हार्ट फेल होने का एक बड़ा कारण है.
89-93 प्रतिशत सटीक रिजल्ट
शोधकर्ताओं के अनुसार, यह एआई मॉडल 89% तक की सटीकता से यह अनुमान लगा सकता है कि किसी मरीज को अचानक कार्डियक अरेस्ट का कितना खतरा है. खास बात यह है कि मौजूदा मेडिकल गाइडलाइंस केवल 50% तक ही सटीक जानकारी दे पाती हैं, जबकि यह नया एआई मॉडल 40 से 60 साल की उम्र वाले सबसे अधिक जोखिम वाले मरीजों के लिए 93% तक सटीकता दिखा रहा है.
मॉडल की खासियत
इस तकनीक में खास बात यह है कि यह कंट्रास्ट-एन्हांस्ड एमआरआई स्कैन का विश्लेषण कर दिल में मौजूद सूक्ष्म घावों के पैटर्न को समझता है. डीप लर्निंग तकनीक की मदद से यह मॉडल उन चेतावनी संकेतों को पहचान लेता है, जो भविष्य में अचानक हार्ट फेल का कारण बन सकते हैं. जॉन्स हॉपकिन्स के कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. जोनाथन क्रिस्पिन के अनुसार, यह मॉडल न केवल अधिक सटीकता से जोखिम का अनुमान लगाता है, बल्कि यह चिकित्सा फैसलों को भी बेहतर बना सकता है. इससे उन मरीजों की सही पहचान संभव है, जिन्हें सच में डिफाइब्रिलेटर की जरूरत है, और उन लोगों को इससे बचाया जा सकता है, जिन्हें इसकी जरूरत नहीं है.”
इन बीमारियों में यूज होगा AI मॉडल
शोधकर्ताओं की योजना है कि इस एआई मॉडल को अब और बड़े स्तर पर मरीजों पर आजमाया जाए और इसे कार्डियक सारकॉइडोसिस और एराइथमॉजेनिक राइट वेंट्रिकुलर कार्डियोमायोपैथी जैसी अन्य दिल की बीमारियों के इलाज में भी इस्तेमाल किया जाए.
एजेंसी