Indian blind cricket (कपिल वशिष्ठ/किरन चोपड़ा) : क्रिकेट से जुड़ा एक ऐसा मुद्दा है.. जिसके बारे में कोई बात नहीं करना चाहता. हम आज देश में ब्लाइंड क्रिकेट की बदहाल दशा और दिशा के बारे में आपको बताने जा रहे हैं.. ये ऐसा मुद्दा है जो किसी की नजर में नहीं आता. कितने दुख की बात है कि जिस देश में क्रिकेट को पूजा जाता है और क्रिकेटर्स को भगवान समझा जाता है, उस देश में ब्लाइंड क्रिकेट और ब्लाइंड क्रिकेटर्स गुमनामी के अंधेरे में खो गये हैं. 
भारतीय ब्लाइंड क्रिकेट का अगला वर्ल्डकप कब?आपको ये तो पता होगा कि कपिल देव और धोनी की अगुवाई में भारतीय क्रिकेट टीम ने अबतक तीन वर्ल्डकप जीते हैं. लेकिन हम गारंटी से ये दावा कर सकते हैं कि आपको ये नहीं पता होगा कि भारतीय ब्लाइंड क्रिकेट टीम पांच वर्ल्डकप जीत चुकी है. आपको ये तो पता होगा कि अगला IPL सीज़न कब शुरु होने वाला है. लेकिन क्या आपको पता है कि भारतीय ब्लाइंड क्रिकेट का अगला वर्ल्डकप कब और कहां खेला जाएगा?
भारतीय ब्लाइंड क्रिकेट टीम का मौजूदा कप्तान कौन है?
शायद आपको ये भी पता होगा कि भारतीय क्रिकेट टीम में कब-कब कौन-कौन कप्तान रह चुके हैं. लेकिन क्या आपको पता है कि भारतीय ब्लाइंड क्रिकेट टीम का मौजूदा कप्तान कौन है? आपमें से कई लोगों को तो ये भी नहीं पता होगा कि भारत की कोई ब्लाइंड क्रिकेट टीम है. लेकिन गलती आपकी नहीं है. जिन लोगों और संस्थाओं को भारत में ब्लाइंड क्रिकेट को प्रमोट करना चाहिए था, वो तो इस तरफ आंखें बंद करके बैठे हैं. लेकिन हम अतीत की बात नहीं करेंगे क्योंकि हम भारत में ब्लाइंड क्रिकेट के सुनहरे भविष्य को देखना चाहते हैं.
Zee News के सवाल
Zee News के सवाल एकदम सीधे और सिंपल हैं. आखिर ब्लाइंड क्रिकेट के प्रति सरकार और BCCI की आंखें बंद क्यों हैं? भारतीय ब्लाइंड क्रिकेट टीम को BCCI की मान्यता कब मिलेगी? Zee News सवाल करता है कि दुनिया का सबसे अमीर क्रिकेट बोर्ड आखिर ब्लाइंड क्रिकेट को गोद लेने के लिए तैयार क्यों नहीं है? Zee News सवाल करता है कि विदेशी टीमों को गोद लेने वाला BCCI. ब्लाइंड क्रिकेट को सपोर्ट करने से क्यों कतरा रहा है? Zee News सवाल करता है कि IPL में विदेशी खिलाड़ियों को करोड़ों रुपये फीस देने वाला BCCI.. ब्लाइंड क्रिकेटर्स को वित्तीय मदद देने के बारे में इतना उदासीन क्यों है?
भारत के ब्लाइंड क्रिकेटर्स के बारे में कोई क्यों नहीं सोचता?
ब्लाइंड क्रिकेटर भी वैसे ही देश के लिए खेलते हैं जैसे बाकी क्रिकेटर. ब्लाइंड क्रिकेट टीम भी देश के लिए टूर्नामेंट्स जीतती है. लेकिन उनके बारे में कोई क्यों नहीं सोचता? ब्लाइंड क्रिकेटर भी किसी से कम टैलेंटेड नहीं हैं. वो भी साल भर क्रिकेट खेलते हैं..ट्रेनिंग करते हैं. देश का प्रतिनिधित्व करते हैं. आपको जानकर हैरानी होगी कि जहां एक तरफ BCCI..क्रिकेट पर पानी की तरह पैसा बहाता है. और हर साल क्रिकेट से हजारों करोड़ रुपये कमाता है. हर क्रिकेटर पर पैसों की बरसात होती है. तो वहीं ब्लाइंड क्रिकेटर्स को एक Fixed Salary तक नहीं मिलती.
ब्लाइंड क्रिकेटर्स को मैच फीस के तौर पर सिर्फ तीन हजार रुपये मिलते हैं. और ये पैसे भी उन्हें ट्रस्ट को दान में मिले पैसों से दिये जाते हैं. इतने पैसे तो आप अपने दोस्तों के साथ पार्टी करने पर उड़ा देते होंगे. अब अगर ब्लाइंड क्रिकेटर्स की मैच फीस की तुलना करें तो रोहित शर्मा की टीम के हर खिलाड़ी को एक वनडे मैच खेलने के लिए 6 लाख रुपये सिर्फ मैच फीस के मिलते हैं. जबकि एक टी-20 मैच खेलने की फीस 3 लाख रुपये है.
सिर्फ तीन हजार रुपये
एक तरफ तो bcci रोहित शर्मा की टीम को एक वनडे मैच खेलने के लाखों रुपये दे रही है और दूसरी तरफ देश को ब्लाइंड क्रिकेट वर्ल्ड कप जिताने वाले क्रिकेटर्स को सिर्फ तीन हजार रुपये मिलते हैं. इतना ही नहीं… पांच वर्ल्ड जीतने वाली ब्लाइंड क्रिकेट टीम के पास कोई Fixed Coach तक नहीं है. ब्लाइंड क्रिकेटर्स को अगर मैच खेलना हो या प्रैक्टिस करनी हो तो उनके लिए पूरे देश में कोई एक Fixed Ground या Stadium तक नहीं है. अगर किसी टूर्नामेंट में हिस्सा लेना हो तो ब्लाइंड क्रिकेट टीम फेडरेशन को उन्हें कोई स्पॉन्सर तक मिलना मुश्किल हो जाता है. किराये पर स्टेडियम लेकर टूर्नामेंट करवाने पड़ते हैं.
पांच वर्ल्ड कप जीतना कोई आसान काम नहीं
इतनी कठिनाइयों के बावजूद भारत की ब्लाइंड क्रिकेट टीम पूरी दुनिया में देश का नाम रोशन कर रही है. बिना किसी सरकारी मदद के पांच वर्ल्ड कप जीतना कोई आसान काम नहीं है. इसी से पता चलता है कि अगर ब्लाइंड क्रिकेटर्स को सही दिशा मिले..सही कोच मिले…तो वो क्या कर सकते हैं. इसलिए हम BCCI से डिमांड कर रहे हैं कि ब्लाइंड क्रिकेट को मान्यता दी जाए.
पांरपरिक क्रिकेट से ब्लाइंड क्रिकेट कितना अलग?
आपको ये भी जानना चाहिए कि पांरपरिक क्रिकेट से ब्लाइंड क्रिकेट कितना अलग होता है और कितना ज्यादा चैलेंजिंग होता है. इंटरनेशनल क्रिकेट हो या फिर गली क्रिकेट, नियम सभी में कमोबेश एक जैसे होते हैं. गली क्रिकेट में कई बार जगह के हिसाब से कुछ नियम बदल दिए जाते हैं. Blind क्रिकेटर्स के लिए भी क्रिकेट के नियम अलग होते हैं. दृष्टिबाधित लोगों के लिए नियम भी उनकी सहूलियत के हिसाब से बदले गए हैं. अगर आप क्रिकेट खेलते हैं तो एक बार जरा आंखें बंद करके क्रिकेट खेलने की कोशिश कीजिएगा. आपको अंदाजा हो जाएगा कि ये कितना मुश्किल है. इसीलिए Blind क्रिकेटर्स के लिए नियमों में कुछ बदलाव किए जाते हैं. इनका क्रिकेट कुछ अलग स्टाइल का होता है.
टीम अलग तरीके से चुनी जाती है
Blind क्रिकेटर्स की टीम भी अलग तरीके से चुनी जाती है. हालांकि इसमें भी बैटर, बॉलर और फील्डर होते हैं. टीम में खिलाड़ियों की संख्या भी मैदान में 11 ही रखी जाती है.
– Blind क्रिकेट की टीम में मूलरूप से 11 दृष्टिबाधित खिलाड़ी खेलते हैं.- दृष्टिबाधित खिलाड़ियों के चुनाव में 3 श्रेणियां B1, B2 औऱ B3 बनाई गई हैं.- 4 खिलाड़ी B1 श्रेणी के होते हैं, ये पूरी तरह दृष्टिहीन होते हैं. ये खिलाड़ी बिल्कुल नहीं देख पाते.- 4 खिलाड़ी B2 श्रेणी से होते हैं, ये आंशिक रूप से दृष्टिहीन होते हैं. ये खिलाड़ी 2 से 4 मीटर तक ही देख पाते हैं.- 3 खिलाड़ी B3 श्रेणी से होते हैं, ये दृष्टिबाधित खिलाड़ी 4 से 6 मीटर तक ही देख पाते हैं.
बॉल का आकार बड़ा होता है
Blind Cricket खेलने वाले क्रिकेटर्स के लिए जो क्रिकेट बॉल तैयार की जाती है, वो भी सामान्य बॉल से अलग होती है. Blind Cricket की बॉल का आकार सामान्य बॉल से बड़ा होता है और इसके अंदर बॉल बियरिंग डाली जाती है, जिससे घुंघरू जैसी आवाज़ आती है. इस आवाज़ के आधार पर ही बैटर और फील्डर बॉल की दूरी का अंदाजा लगाते हैं. Blind Cricket में बॉलर को अंडर आर्म बॉलिंग करनी होती है. यानी सामान्य क्रिकेट की तरह बॉलर हाथ घुमाकर ऊपर से बॉल नहीं फेंकता, बल्कि वो हाथ नीचे करके बॉल फेंकता है. सामान्य क्रिकेट में ऐसा करने पर नो बॉल होती है, लेकिन Blind Cricket में इसका उल्टा होता है.
बॉलर को रखना होता है इस बात का ध्यान
Blind Cricket में बॉलर को इस बात का ध्यान रखना होता है कि बैटर तक बॉल दो टप्पे खाने के बाद यानी दो bounce के बाद पहुंचनी चाहिए. पिच पर एक लाइन खींची जाती है, बॉल को उससे पहले ही बाउंस करवाना होता है. Blind Cricket में बॉल फेंकने से पहले बैटर को ‘Ready’ कहकर तैयार होने के लिए कहा जाता है. इसके बाद बैटर के Yes कहने पर ही बॉल फेंकी जाती है, ऐसा ना होने पर No ball हो जाती है.
बॉल फेंकने के बाद ‘Play’ भी बोलना होता है
Blind Cricket में बॉलर को बॉल फेंकने के बाद ‘Play’ भी बोलना होता है. Blind Cricket में बैटर के शॉट खेलते ही, आंशिक रूप से देख सकने वाला फील्डर, बॉल की दिशा बोलता है, जिसके बाद उस दिशा में खड़ा फील्डर, बॉल की आवाज सुनकर उसे पकड़ने की कोशिश करता है. आमतौर पर Blind Cricket में बॉल नीचे ही रहती है इसलिए ज्यादातर बैटर स्वीप शॉट ही खेलते हैं. B1 कैटेगरी यानी पूरी तरह दृष्टिबाधित, यानि जिन्हें बिल्कुल दिखाई नहीं देता, उस बैटर के रन दो गुना जोड़े जाते हैं, यानी चौका लगा तो 8 रन और छक्का लगा तो 12 रन जोड़े जाते हैं.
Blind Cricket में कैच के नियम अलग
Blind Cricket में कैच के नियम अलग हैं. अगर बॉल किसी ऐसे खिलाड़ी के पास जाती है जो पूरी तरह दृष्टिबाधित है, तो एक बाउंस के बाद भी बॉल पकड़ लेने पर उसे कैच माना जाता है. Blind Cricket में स्टंप्स स्टील के बने होते हैं और वो आपस में जुड़े होते हैं, ताकि गेंद से टकराकर विकेट गिरे तो आवाज़ हो, और खिलाड़ियों को पता चल जाए. Blind Cricket में पिच का साइज 22 गज ही होता है, लेकिन बाउंड्री लाइन 40 से 50 मीटर की होती है. इसके अलावा Blind Cricket में क्रिकेट के सामान्य नियम ही लागू होते हैं, जैसे No Ball पर फ्री हिट या आउट होने के अन्य नियम. आप सोचकर देखिए कि एक दृष्टिबाधित खिलाड़ी को इस तरह से क्रिकेट खेलने के लिए कितनी प्रैक्टिस और मेहनत करनी पड़ती होगी.
पाकिस्तान में ब्लाइंड क्रिकेटर्स को मान्यता
पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड ने भी अपने यहां ब्लाइंड क्रिकेट टीम को मान्यता दी है, जबकि हमारे देश में क्रिकेट को धर्म की तरह माना जाता है. फिर ब्लाइंड क्रिकेटर्स के साथ इतना भेदभाव क्यों किया जाता है. यहां सवाल उठते हैं कि दुनिया का सबसे अमीर क्रिकेट बोर्ड BCCI ब्लाइंड क्रिकेट को सपोर्ट क्यों नहीं करता? भारतीय ब्लाइंड क्रिकेट टीम के पास बड़े स्पॉन्सर क्यों नहीं है? ब्लाइंड क्रिकेट टीम के खिलाड़ियों की मैच फीस कुछ हज़ार रुपये ही क्यों है? क्यों हमारी ब्लाइंड क्रिकेट टीम को दिल्ली की तंग गलियों के होटल्स में रुकना पड़ता है?
..तो इन क्रिकेटर्स की जिंदगी 360 डिग्री तक बदल जाएगी
अगर BCCI ब्लाइंड क्रिकेट को मान्यता देती है, तो हमारे देश के इन क्रिकेटर्स की ज़िंदगी 360 डिग्री तक बदल जाएगी. भारतीय ब्लाइंड क्रिकेट और क्रिकेटर्स को नई पहचान मिलेगी. मौजूदा समय में ब्लाइंड क्रिकेटर को कोई सालाना सैलरी नहीं मिलती है, बल्कि प्रति मैच 3000 रुपये मैच फीस मिलती है. मैच फीस का खर्च ट्रस्ट उठाता है. BCCI से मान्यता मिलने के बाद ब्लाइंड खिलाड़ियों को सालाना फिक्स सैलरी और लाखों रुपये मैच फीस मिल सकती है.
किराये पर लेना पड़ता है स्टेडियम
मौजूदा समय में ब्लाइंड क्रिकेट टीम ट्रस्ट के पैसों से स्टेडियम किराये पर लेती है, जिसका किराया 20 हज़ार रुपये प्रतिदिन होता है. जबकि मान्यता मिलने के बाद ब्लाइंड क्रिकेटर्स को खेलने के लिए BCCI के स्टेडियम मिलें सकेंगे. अभी तक ब्लाइंड क्रिकेट टीम के टूर्नामेंट …..ट्रस्ट और कुछ चुनिंदा निजी कंपनियों की स्पॉन्सरशिप से आयोजित कराए जाते हैं. मान्यता के बाद BCCI मैच कराएगा, जिससे ज्यादा स्पॉन्सर आकर्षित होंगे. भारतीय ब्लाइंड क्रिकेट टीम को वर्ल्ड कप के लिए निजी स्पॉन्सर के भरोसे रहना पड़ता है, जबकि वर्ल्ड कप का खर्च 60 से 70 लाख रुपये होता है. मान्यता मिलने के बाद ब्लाइंड क्रिकेटर ज्यादा सुविधाओं के साथ वर्ल्ड कप में हिस्सा ले सकेंगे.
Fixed कोच भी नहीं
मौजूदा समय में ब्लाइंड क्रिकेट टीम के लिए कोई Fixed कोच नहीं है, कोच को मैच से एक दिन पहले ही बुलाया जाता है. ऐसा ही फिजियो को लेकर है. BCCI से मान्यता मिलने के बाद ब्लाइंड क्रिकेट टीम को अनुभवी कोच और फिजियो मिलेंगें. ब्लाइंड क्रिकेटर नेशनल क्रिकेट एकेडमी जैसे सुविधाओं का लाभ उठा सकेंगे, ब्लाइंड खिलाड़ियों को गुमनामी से बाहर निकले में मदद मिलेगी और इन खिलाड़ियों के जीवन स्तर में सुधार होगा.
BCCI की कमाई के आंकड़े चौंकाने वाले
सामान्य क्रिकेट में A+ कैटेगरी के खिलाड़ी को 7 करोड़ रुपये सालाना सैलरी देने वाले BCCI के लिए ब्लाइंड क्रिकेट टीम को मान्यता देने से कोई खास फर्क नहीं पड़ेगा. बल्कि दुनिया का सबसे अमीर क्रिकेट बोर्ड इससे आय के नए साधन जुटाने में ही सफल होगा. वैसे भी BCCI की कमाई के आंकड़े भी चौंकाने वाले हैं. अगस्त 2023 में वित्त राज्यमंत्री पंकज चौधरी ने BCCI की Income को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में राज्यसभा में आंकड़े सार्वजनिक किये थे. जिसके मुताबिक वित्त वर्ष 2018 से 22 के बीच BCCI की 27 हज़ार 411 करोड़ रुपये की कुल आय हुई. BCCI को ये आय मीडिया राइट्स, स्पॉन्सरशिप और ICC के साथ रेवेन्यू शेयरिंग से हुई. वित्त वर्ष 2021-22 में BCCI को 7,606 करोड़ रुपये की आय हुई, जबकि खर्च 3,064 करोड़ रुपये थे.
ब्लाइंड क्रिकेटर्स को कब मिलेगी पहचान?
इससे पहले वित्त वर्ष 2020-21 में BCCI को 4,735 करोड़ रुपये की आय हुई थी, तब खर्च 3,080 करोड़ रुपये था. यहां कहने का मतलब ये कि अगर ब्लाइंड क्रिकेट टीम को BCCI मान्यता देकर कुछ करोड़ रुपये उनपर खर्च कर देता है, तो BCCI के ख़जाने पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा. लेकिन पहचान को मोहताज हमारे ब्लाइंड क्रिकेटर्स को ना सिर्फ नई पहचान मिलेगी बल्कि उनके जीवन स्तर में भी सुधार होगा. Blind Cricket खेलने वाले खिलाड़ियों के लिए कुछ खास नियमों में ही बदलाव किए गए हैं. लेकिन क्रिकेट के बेसिक नियमों को एक जैसा रखा गया है. जिस तरह से टीम इंडिया के खिलाड़ी देश की जीत के लिए दम लगाते हैं, ठीक वैसे Blind Cricket टीम के खिलाड़ी भी अपनी पूरी क्षमता का इस्तेमाल करके, विपक्षियों को हराने की कोशिश करते हैं.
..उतनी ही मेहनत ये भी कर रहे
जितनी मेहनत टीम इंडिया के खिलाड़ी करते हैं,उतनी ही मेहनत ये भी कर रहे हैं. जीत हासिल करने का जो जज्बा आप विराट, रोहित या किसी अन्य खिलाड़ी में देखते हैं, वैसा ही जज्बा Blind Cricketers के अंदर भी होता है. लेकिन अफसोस इनको वो सब नहीं मिल पाता है, जो बाकी Cricketers को मिलता है. इसी महीने 17 तारीख को Women’s Premier League का फाइनल मैच खेला जाना है. आपमें से बहुत से लोगों को ये मालूम होगा. लेकिन बहुत ज्यादा नहीं, करीब 10 वर्ष पहले अगर हमने आपसे महिला क्रिकेट को लेकर कुछ पूछा होता, तो शायद आपको कुछ भी पता नहीं होता.
ये सब BCCI की वजह से हुआ
आज आप कई महिला क्रिकेटर्स के नाम जानते होंगे, उनके रिकॉर्ड भी जानते होंगे. यही नहीं आज महिला क्रिकेट मैच के दौरान स्टेडियम भी फुल नजर आते हैं. ये सब BCCI की वजह से हुआ है. हम ऐसा क्यों कह रहे हैं ये आपको बताना चाहते हैं. आपको हैरानी होगी जानकर, कि वर्ष 1973 में Women’s Cricket Association Of India बनाया गया था, जिसका मकसद भारत में महिला क्रिकेट को बढ़ावा देना था. WCAI, International Women’s Cricket Council से जुड़ी हुई थी. IWCC को International Cricket Council ने क्रिकेट में महिलाओं को बढ़ावा देने के मकसद से बनाया था. वर्ष 2006-2007 में Women’s Cricket Association Of India का विलय BCCI में हो गया. BCCI से जुड़ने के बाद भारत में महिला क्रिकेटर्स को बढ़ावा मिला.
महिला क्रिकेट को नई पहचान मिली
भारत में क्रिकेट को बढ़ावा देने वाली संस्था BCCI से जुड़ने के बाद महिला क्रिकेट को नई पहचान मिली. BCCI की मदद के बाद ही आज महिला क्रिकेटर्स को पुरुष टीम के बराबर वेतन मिलने लगा है. एक प्रोफेशनल क्रिकेटर की तरह की महिला खिलाड़ियों को भी वेतन और बाकी सुविधाएं मिलने लगी हैं. आज IPL की तर्ज पर Women’s Premier League भी हो रही है, बड़ी संख्या में दर्शक स्टेडियम में मैच देखने आने लगे हैं. स्पॉन्सरशिप मिलने लगी है जिससे भारत में महिला क्रिकेट की दशा और दिशा बदल गई.
Blind Cricketers को भी बढ़ावा मिले
हमारी मुहिम है कि हम अपने देश के Blind Cricketers को भी उनका हक दिलवाएं. हमारी अपील है कि BCCI, उन Blind Cricketers को भी बढ़ावा दे, जो विदेश में जाकर भारत का नाम रौशन कर रहे हैं. जिस तरह से महिला क्रिकेट को BCCI ने बढ़ावा दिया है, उसी तरह से Blind Cricketers को भी मदद मिलनी चाहिए. हम ऐसा इसलिए भी कह रहे हैं क्योंकि अभी तक सिर्फ भारत में ही Blind Cricketers को वहां के क्रिकेट बोर्ड ने मान्यता नहीं दी है.
– दुनिया के 10 देशों के Blind Cricketers पूरे साल अलग-अलग तरह के टूर्नामेंट खेलते हैं.
– इन देशों में ऑस्ट्रेलिया, बांग्लादेश, इंग्लैंड, भारत, पाकिस्तान, नेपाल, वेस्टइंडीज़, न्यूजीलैंड, साउथ अफ्रीका और श्रीलंका हैं.
– ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, इंग्लैड, जिम्बाब्वे, श्रीलंका, बांग्लादेश और पाकिस्तान के क्रिकेट बोर्ड ने तो अपने Blind Cricketers को मान्यता तक दी है.
Blind Cricketers को मदद मिलनी चाहिए
तो क्या भारत की क्रिकेट संस्था BCCI को अपने यहां के Blind Cricekters को मान्यता नहीं देनी चाहिए? हमारी BCCI से अपील है कि वो Blind Cricketers की संस्था CABI यानी CRICKET ASSOCIATION FOR THE BLIND IN INDIA के साथ जुड़कर, Blind Cricketers की मदद करे. इससे भारत के Blind Cricketers को मदद मिल सकेगी.
देश का नाम रोशन किया
ब्लाइंड क्रिकेटर्स ने देश का नाम रोशन किया है, मुश्किल हालात में, बिना किसी सपोर्ट के दुनिया में तिरंगा लहराया है. वनडे और टी-20 वर्ल्ड कप में टीम इंडिया चैंपियन बनी है…लेकिन क्या आपको पता है कि ब्लाइंड क्रिकेट की शुरूआत कहां से हुई…इसको लेकर आपको EXTRA जानकारी देते है.
-ब्लाइंड क्रिकेट की शुरूआत वर्ष 1922 में ऑस्ट्रेलिया के मेलबर्न से हुई थी.-1922 में मेलबर्न में दो दृष्टिबाधित श्रमिकों ने टिन के एक डिब्बे का इस्तेमाल कर इस खेल में सुधार किया था. इस टिन के डिब्बे में पत्थर थे.-इसके बाद वर्ष 1922 में विक्टोरियन ब्लाइंड क्रिकेट एसोसिएशन का गठन हुआ.-वर्ष 1928 में दृष्टिहीनों के लिए मेलबर्न में विशेष क्रिकेट ग्राउंड बनाया गया.-1996 में वर्ल्ड ब्लाइंड क्रिकेट काउंसिल (WBCC) की स्थापना भारत में हुई, जिसका मुख्यालय बेंगलुरु में है.-ऑस्ट्रेलिया, बांग्लादेश, इंग्लैंड, भारत, न्यूजीलैंड, दक्षिण अफ्रीका, श्रीलंका, पाकिस्तान, वेस्टइंडीज और नेपाल, WBCC के 10 सदस्य देश हैं.
बीसीसीआई की नजर उनपर पड़े
भारतीय नेत्रहीन क्रिकेट टीम चाहती है कि बीसीसीआई की नजर उनपर पड़े, उन्हें अच्छी ट्रेनिंग मिले, अच्छा कोच मिले, ब्लाइंड क्रिकेट को भी मान्यता मिले…और ये इन खिलाड़ियों का हक भी है. क्योंकि ये देश के लिए खेल रहे है, देश का नाम रोशन कर रहे है…भारतीय क्रिकेट टीम अबतक 5 बार वर्ल्ड चैंपियन बन चुकी है.
-वर्ष 2014 और 2018 में भारतीय ब्लाइंड क्रिकेट टीम ने वनडे वर्ल्डकप जीता था.-जबकि वर्ष 2012, 2017 और 2022 में ब्लाइंड क्रिकेट टीम ने T20 विश्व कप जीतकर देश का नाम रोशन किया था.
ब्लाइंड क्रिकेटर्स को उनका हक मिले
हमारा मकसद ये है कि ब्लाइंड क्रिकेट टीम के भी अच्छे दिन आएं, ये भी भारत के स्टार हैं, चैंपियन हैं, देश का नाम रोशन कर रहे है. लेकिन इसके बावजूद BCCI की नजर इनपर नहीं पड़ रही है. और यही इनका दुर्भाग्य है.  इसलिए हम चाहते हैं कि bcci..देश की ब्लाइंड क्रिकेट टीम को भी मान्यता दे और ब्लाइंड क्रिकेटर्स को उनका हक मिले.
देखिए #DNA LIVE #ZeeLive #ZeeNews #Cricket #BlindCricket @kapil_vashisht @kiri_chopra https://t.co/eiCNWDQsuC
— Zee News (@ZeeNews) March 12, 2024



Source link