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Why Golden Hour Is Crucial For Stroke Patient After Early detection Symptoms Said Neurosurgeon | Stroke Symptoms: स्ट्रोक के लक्षणों को कैसे पहचानें? न्यूरोसर्जन से जानिए ‘गोल्डन ऑवर’ में एक्ट करना क्यों है जरूरी



Why ‘Golden Hour’ Is Crucial For Stroke Patient: स्ट्रोक एक खतरनाक मेडिकल कंडीशन है, लेकिन इसका अर्ली डिटेक्शन मरीजों की सेहत सुधारने और लॉन्ग टर्म डिसेबलिटी को दूर करने के लिए बेहद जरूरी है. मशहूर न्यूरोसर्जन डॉ. पयोज़ पांडेय (Dr. Payoz Pandey) ने कहा, “ऐसे में ‘गोल्डन ऑवर’ वो कॉन्सेप्ट है जिसके तहत स्ट्रोक आने के पहले घंटे के भीतर लक्षणों का तेज निपटारा करना अहम है. इस क्रिटिकल विंडो के दौरान, मेडिकल इंटरवेंशन की मदद से ब्रेन डैमेज के खतरे को काफी कम किया जा सकता है और साथ ही रिकवरी के चांसेज को भी बढ़ाना मुमकिन होता है.”
स्ट्रोक के लक्षणों को कैसे पहचानेंडॉ. पयोज़ का कहना है कि अगर हम कुछ वॉर्निंग साइन को याद रखेंगे तो स्ट्रोक का अर्ली डिटेक्शन हो सकता है. आइए जानते हैं कि वो लक्षण कौन-कौन से हैं.
1. फेस ड्रॉपिंग (Face Drooping)
ये एक चिंताजनक स्थिति होती है जिसमें चेहरे का एक हिस्सा सुन्न पड़ने लगता है, या काम करना कम कर देता है
2. बाहों में कमजोरी (Arm Weakness)
क्या एक हाथ कमजोर या सुन्न पड़ गया है. आप जब भी ऐसे मरीज देखें तो उसे दोनों हाथों को ऊपर उठाने को कहें, क्या एक बांह नीचे की तरफ झुक रही है?
3. सही से बोलने में दिक्कत (Speech Difficulty)
क्या किसी इंसान को सही तरीके से बोलने या बात करने में दिक्कतें आ रही हैं. आप उसे सिंपल बातें बोलने को कहें. 
 

इमरेंजी सर्विस को बुलाएं
जब कभी आप अपने आसपास या किसी करीबी में ऐसी वॉर्निंग साइन देखें तो सतर्क हो जाएं, भले ही ये लक्षण गायब हो जाएं, फिर भी आप तुरंत इमरजेंसी सर्विस को बुलाएं. इसके अलावा दूसरे लक्षणों जैसे तेज सिर दर्द, चलने फिरने में दिक्कत, चक्कर आना या माइंड कंफ्यूज होना वगैरह को इग्नोर नहीं किया जा सकता है.
‘गोल्डन ऑवर’ इस बात की अहमित को बताता है कि स्ट्रोक के लक्षणों को पहचानकर तुरंत मेडिकल हेल्प लेना कितना जरूरी है. जल्दी से इवैलुएट करके ट्रीटमेंट करना चाहिए जिसमें टिश्यू प्लाज्मिनोजन एक्टिवेटर ( Tissue Plasminogen Activator) और मेकेनिकल क्लॉट रिट्रीवल (Mechanical Clot Retrieval) जैसे मेडिकेशन की मदद से ब्रेन में ब्लड फ्लो को वापस लाकर आगे होने वाले डैमेज को कम किया जा सकता है.
 
Disclaimer: प्रिय पाठक, संबंधित लेख पाठक की जानकारी और जागरूकता बढ़ाने के लिए है. जी मीडिया इस लेख में प्रदत्त जानकारी और सूचना को लेकर किसी तरह का दावा नहीं करता है और न ही जिम्मेदारी लेता है. हमारा आपसे विनम्र निवेदन है कि उपरोक्त लेख में उल्लेखित संबंधित समस्या के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श लें. हमारा उद्देश्य आपको जानकारी मुहैया कराना मात्र है.



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