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What is side effects of cooking idli on plastic sheet why Karnataka government ban this cooking method | प्लास्टिक शीट पर बैटर रखकर इडली पकाने के नुकसान, कर्नाटक सरकार ने क्यों बैन किया ये तरीका?



कर्नाटक सरकार ने प्लास्टिक शीट पर इडली पकाने की प्रथा पर सख्त रुख अपनाते हुए इसे पूरी तरह से बैन कर दिया है. स्वास्थ्य मंत्री दिनेश गुंडू राव ने इसे जनस्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा बताते हुए कहा कि इस प्रथा से टॉक्सिक केमिकल्स इडली में मिल सकते हैं, जिससे लोगों की सेहत पर बुरा असर पड़ता है.
स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि राज्यभर में 251 होटलों की जांच की गई, जिनमें से 51 होटल प्लास्टिक शीट का इस्तेमाल करते पाए गए. इन सभी को नोटिस जारी कर दिया गया है. मंत्री ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट करते हुए कहा कि इडली पकाने में प्लास्टिक का इस्तेमाल सेहत के लिए खतरनाक है. जब प्लास्टिक को गर्म किया जाता है, तो उसमें से हानिकारक केमिकल्स निकलकर खाने में मिल जाते हैं, जिससे गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं.
प्लास्टिक में इडली बनाने के खतरेविशेषज्ञों का कहना है कि प्लास्टिक को गर्म करने से उसमें से कैंसर पैदा करने वाले केमिकल (कार्सिनोजेनिक पदार्थ) निकलते हैं. जब प्लास्टिक शीट पर इडली का बैटर रखा जाता है और उसे भाप में पकाया जाता है, तो यह जहरीले तत्व इडली में घुल सकते हैं. इससे हार्मोनल असंतुलन, कैंसर, लिवर डैमेज और अन्य गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है. स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि पारंपरिक तौर पर सूती कपड़े का इस्तेमाल इडली पकाने में किया जाता था, लेकिन अब कई होटल वाले सुविधा के लिए प्लास्टिक शीट का इस्तेमाल कर रहे हैं. यह एक खतरनाक प्रथा है और इससे जनता की सेहत से समझौता नहीं किया जा सकता.
कर्नाटक सरकार का सख्त कदमराज्य सरकार ने प्लास्टिक शीट के उपयोग पर सख्ती बरतते हुए कहा है कि अब से इडली पकाने में प्लास्टिक शीट का इस्तेमाल पूरी तरह बैन रहेगा. यदि कोई होटल या भोजनालय इस नियम का उल्लंघन करता है, तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी. मंत्री ने जनता से भी अपील की कि यदि वे किसी होटल या भोजनालय में इस प्रथा को जारी रखते देखें, तो इसकी सूचना प्रशासन को तुरंत दें.
हेल्दी ऑप्शन अपनाने की अपीलस्वास्थ्य विभाग ने सभी होटलों से आग्रह किया है कि वे प्लास्टिक शीट के बजाय स्टेनलेस स्टील प्लेट या केले के पत्तों का उपयोग करें. ये विकल्प न केवल सेहत के लिए सुरक्षित हैं, बल्कि पर्यावरण के अनुकूल भी हैं.



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