शरीर में फैट बढ़ने पर ना केवल काम करने में दिक्कत आती है बल्कि कई समस्या भी हो सकती है. मोटापा शारीरिक सेहत के साथ-साथ मानसिक सेहत पर भी असर डालता है. शरीर में फैट बढ़ना हर बार मोटापा नहीं बल्कि किसी बीमारी का लक्षण या संकेत हो सकता है. शरीर के निचले हिस्से में फैट बढ़ना लिपिडेमा का संकेत हो सकता है. आइए जानते हैं क्या होता है लिपिडेमा और लिपिडेमा के लक्षण.
क्या होता है लिपिडेमा लिपिडेमा एक ऐसी बीमारी है जो कि जांघों, पैरों और कूल्हों में एक्सट्रा फैट के जमने की वजह से होता है. यह बहुत ही खतरनाक बीमारी है. अक्सर लोग इस बीमारी को मोटापा समझकर इग्नोर कर देते हैं. वह इस बात से बिल्कुल अनजान होते हैं कि शरीर के किसी खास हिस्से में फैट का जमना लिपिडेमा हो सकता है. इस बीमारी में चर्बी जमने की वजह से स्किनकी सिलवटें बन जाती है जो कि कई बार दर्दनाक साबित हो सकती है.
लिपिडोमा के लक्षण लिपिडोमा होने पर इंसान के जाघों, कूल्हो और पिंडलियों में फैट जमा होने लगता है. कुछ लोगों को ऊपरी बाह में भी फैट बढ़ने लगते हैं. फैट बढ़ने की वजह से पैरों और शरीर के निचले हिस्से में काफी दर्द हो सकता है. पैरों में भारीपन महसूस होना पैरों और पिंडिलयों में सूजन का आना हर समय थकान और कमजोरी महसूस होना
लिपिडेमा के कारण लिपिडेमा होने का सही कारण का अभी तक पता नहीं लगाया गया है. लेकिन डॉक्टर इसे जेनेटिक्स विकार मानते हैं. इस रोग का सही कारण पता लगाना मुश्किल हो सकता है. कुछ संकेत की मदद से इस बीमारी का पता किया जा सकता है जैसे पैरों में सूजन को उंगली से दबाया नहीं जा सकता है. यह सूजन सिकाई से भी कम नहीं होती है.
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