How Hemochromatosis Affects Liver: बॉडी को हेल्दी रहने के लिए आयरन एक अहम न्यूट्रिएंट है. ये रेड ब्लड सेल्स के निर्माण, ऑक्सीजन के ट्रांसपोर्ट और कई दूसरे फंक्शंस के लिए जरूरी है. लेकिन क्या हो जब यही पोषक तत्व शरीर में जरूरत से ज्यादा जमा होने लगे? इस कंडीशन को हेमोक्रोमैटोसिस कहते हैं, एक ऐसा विकार जिसमें शरीर जरूरत से ज्यादा आयरन को एब्जॉर्ब करके अलग-अलग अंगों में जमा करना शुरू कर देता है. यह स्थिति, यदि अनुपचारित छोड़ दी जाए, तो जानलेवा हो सकती है, खासकर लिवर को गंभीर नुकसान पहुँचाकर।
हेमोक्रोमैटोसिस क्या है?
हेमोक्रोमैटोसिस एक जेनेटिक डिसऑर्डर है, जिसका सबसे कॉमन टाइप HFE जीन में म्यूटेशन के कारण होता है. इस जीन का काम शरीर में आयरन के एब्जॉर्ब्शन को कंट्रोल करना है. जब ये जीन सही ढंग से काम नहीं करता, तो आंतें भोजन से नॉर्मल से ज्यादा आयरन सोखने लगती हैं, जिससे शरीर में आयरन का ज्यादा एक्युमुलेशन होता है. इसे ‘आयरन ओवरलोड’ भी कहा जाता है. हालांकि ये खास तौर से हेरिडिटरी डिजीज है, लेकिन कुछ मामलों में ये दूसरी बीमारियों या बार-बार ब्लड ट्रासफ्यूजन के कारण भी हो सकती है.
लिवर को कैसे पहुंचाता है नुकसान?
लिवर शरीर का एक जरूरी अंग है जो शरीर को डिटॉक्सिफाई करने, पोषक तत्वों को संसाधित करने और पित्त बनाने जैसे कई अहम काम करता है. हेमोक्रोमैटोसिस में, एक्सट्रा आयरन सबसे पहले और सबसे ज्यादा लिवर में जमा होता है क्योंकि लिवर आयरन के मेटाबॉलिज्म में एक सेंट्रल रोल है.
हद से ज्यादा आयरन लिवर के सेल्स के लिए टॉक्सिक होता है. समय के साथ, ये टॉक्सिसिटी लिवर में सूजन और डैमेज का कारण बनती है. शुरुआती चरणों में इसके लक्षण क्लियर हो सकते हैं, जैसे थकान, जोड़ों का दर्द या पेट में दर्द. लेकिन जैसे-जैसे आयरन का जमाव बढ़ता है, लिवर डैमेज भी सीरियस हो जाता है. ये प्रॉसेस कई स्टेज में आगे बढ़ता है, जैसे-
1.लिवर में सूजन (Hepatitis): आयरन के हद से ज्यादा जमाव के कारण लिवर की कोशिकाएं सूज जाती हैं.
2. फाइब्रोसिस (Fibrosis): सूजन के कारण लिवर में स्कार टिशू (Scar tissue) बनने लगते हैं.
3. सिरोसिस (Cirrhosis): अगर फाइब्रोसिस का इलाज न किया जाए, तो ये सिरोसिस में बदल जाता है, जिसमें लिवर के टिशू वाइडली डैमेज हो जाते हैं और अपनी नॉर्मल स्ट्रक्चर खो देते हैं. सिरोसिस से लिवर का काम बुरी तरह अफेक्ट होता है.
4. लिवर फेलियर और लिवर कैंसर (Liver Failure and Liver Cancer): सिरोसिस के गंभीर होने पर लिवर पूरी तरह से काम करना बंद कर सकता है, जिसे लिवर फेलियर कहते हैं, जो जानलेवा होता है. इसके अलावा, हेमोक्रोमैटोसिस से पीड़ित लोगों में लिवर कैंसर (हेपेटोसेलुलर कार्सिनोमा) डेवलप होने का खतरा भी काफी बढ़ जाता है.
जान का खतरा
लिवर के अलावा, हद से ज्यादा आयरन हार्ट, पैंक्रियाज, ज्वॉइंट्स और पिट्यूटरी ग्लैंड जैसे दूसरी अंगों में भी जमा हो सकता है, जिससे हार्ट डिजीज (जैसे कार्डियोमायोपैथी), डायबिटीज, गठिया और हार्मोनल असंतुलन जैसे सीरियस कॉम्पलिकेशंस हो सकते हैं. लिवर फेलियर और हार्ट डिजीज के कारण हेमोक्रोमैटोसिस जानलेवा साबित हो सकता है.
डायग्नोसिस और ट्रीटमेंट
हेमोक्रोमैटोसिस का अर्ली डायग्नोसिस और ट्रीटमेंट जरूरी है. ब्लड टेस्ट (जैसे फेरिटिन स्तर और ट्रांसफरिन संतृप्ति) और जेनेटिक टेस्टिंग से इसको डायग्नोज किया जा सकता है. इसका मेन ट्रीटमेंट फ्लेबोटोमी (Phlebotomy) है, जिसमें शरीर से एक्सट्रा आयरन को निकालने के लिए नियमित रूप से खून निकाला जाता है. अगर वक्त पर इलाज किया जाए, तो ऑर्गन डैमेज को रोका जा सकता है या कम किया जा सकता है, और इंसान एक लंबा और हेल्दी लाइफ जी सकता है.
Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.