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What is Growing Teratoma Syndrome AIIMS doctors remove 12 kg tumor from woman body in 3 phases | Growing Teratoma Syndrome क्‍या है? तीन फेज में महिला के शरीर से निकाला गया 12 kg का ट्यूमर



दिल्ली के अखिल भारतीय चिकित्सा संस्थान (एम्स) में डॉक्टरों की एक टीम ने 24 साल की महिला के शरीर से 12 किलो का ट्यूमर निकालने में सफलता हासिल की है. यह ट्यूमर महिला के शरीर के कई अंगों – लिवर, यूनरी ब्लैडर, रेक्टम, प्रमुख ब्लड वैसेल्स और मसल्स में फैल चुका था. तीन चरणों में किए गए इस दुर्लभ ऑपरेशन के बाद महिला की जान बचाई जा सकी है.
महिला की सर्जरी करने वाले डॉक्टरों ने बताया कि ग्रोइंग टेरटोमा सिंड्रोम (जीटीएस) ओवरी के नॉन-सेमिनोमेटस जर्म सेल ट्यूमर (एनएसजीसीटी) से पीड़ित मरीजों में पाया जाने वाली एक दुर्लभ बीमारी है. आमतौर पर ऐसे मरीजों में ट्यूमर कीमोथेरेपी के बाद भी फैलता और बढ़ता रहता है, लेकिन उनके खून में ट्यूमर मार्कर सामान्य हो जाते हैं.क्या बोले एक्सपर्टटीओआई में छपी एक खबर के अनुसार, एम्स में सर्जिकल ऑन्कोलॉजी विभाग के प्रोफेसर एमडी रे ने बताया कि तीन चरणों में ट्यूमर को पूरी तरह से निकालने के बाद मरीज के वजन में 12 किलो की कमी आई है. सर्जरी के समय महिला का लिवर केवल 30% ही काम कर रहा था और बाकी लिवर में ट्यूमर फैल चुका था. यह वही न्यूनतम सीमा है, जिस पर मरीज का ऑपरेशन किया जा सकता है. अन्यथा मरीज को लिवर फेलियर हो जाता.
डॉ. रे ने आगे बताया कि पेट के अलग-अलग हिस्सों खासकर लिवर से ट्यूमर को निकालना एक बहुत बड़ी चुनौती थी, क्योंकि लगातार खून बह रहा था. उन्होंने ये भी बताया कि इतने बड़े और स्थिर ट्यूमर तक पहुंचना बहुत मुश्किल था. इस मामले में ट्यूमर बाईं ओर की बाहरी इलियाक ब्लड वैसेल्स (जो पैर को खून की मुख्य आपूर्ति करती हैं) के आसपास था और ये PSOAS मेजर मसल्स (कमर की रीढ़ की हड्डी से कमर के दोनों तरफ ग्रोइन तक जाने वाली एक जोड़ी मांसपेशियां) में भी फैल चुका था.
महिला को मई 2022 में ट्यूमर का पता चलादिल्ली निवासी चीना जेम्स ने टाइम्स ऑफ इंडिया से बात करते हुए बताया कि मई 2022 में उनके ट्यूमर का पता चला था. उनकी पहली सर्जरी लोकनायक अस्पताल में हुई थी. डॉक्टरों ने ट्यूमर तो निकाल दिया, लेकिन यह फिर से वापस आ गया और इस बार यह अन्य अंगों में भी फैल चुका था. उन्होंने बताया कि डॉक्टरों ने मुझे 2022 के अंत में एम्स रेफर कर दिया. आखिरी सर्जरी दिसंबर 2023 में हुई थी और अब वह ठीक चल रही हैं.
कितना घातक है टेराटोमा?टेराटोमा में 90% से अधिक जीवित रहने की संभावना बताई जाती है, जबकि घातक परिवर्तन में यह घटकर 45-50% हो जाती है। डॉ रे ने कहा कि ग्रोइंग टेरटोमा सिंड्रोम से पीड़ित मरीजों को तब तक ऑपरेशन के लिए सही नहीं माना जाना चाहिए जब तक कि हाई वॉल्यूम सेंटर में जांच न की जाए और विशेषज्ञ रेडिकल रिसेक्शन करने में असफल न हो जाएं.



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