Ectopic Pregnancy Causes: एक्टोपिक प्रेगनेंसी एक गंभीर मेडिकल कंडीशन है, जिसमें फर्टिलाइज्ड एग गर्भाशय में ठहरने के बजाय कहीं और चिपक जाता है. इनमें फैलोपियन ट्यूब, सर्विक्स, ओवरी या एब्डोमिनल कैविटी शामिल है. ये जगहें फीटस के ग्रोथ के लिए अच्छा नहीं होता है और इससे प्रेगनेंसी में भी नुकसान पहुंच सकता है. आपको बता दें, इस समस्या का अगर समय पर इलाज न किया जाए, तो ये कंडीशन जानलेवा भी साबित हो सकता है.
एक्टोपिक प्रेगनेंसी क्या होती है?HT से बात करते हुए डॉ. लेपाक्षी दासरी (गाइनैकोलॉजिस्ट, यशोदा हॉस्पिटल्स, हैदराबाद) बताती हैं कि यह एक गंभीर मेडिकल इमरजेंसी होती है, जहां अगर समय पर इसका पता नहीं लगाया गया तो मौत तक हो सकती है. उन्होंने कहा, “एक्टोपिक प्रेगनेंसी मेडिकल इमरजेंसी होती है. अगर समय रहते इसका पता न चले, तो फैलोपियन ट्यूब फट सकती है, जिससे अंदरूनी खून बहने, शॉक और मौत तक हो सकती है. समय पर पहचान और इलाज जरूरी है.”
कैसे होती है एक्टोपिक प्रेगनेंसी? नॉर्मल केस में प्रेगनेंसी होने पर फर्टिलाइज्ड एग फैलोपियन ट्यूब से होकर यूटेरस में जाकर चिपकता है, जहां फीटस का ग्रोथ होता है. लेकिन इस कंडिशन में फर्टिलाइज्ड एग ओवरी, फैलोपियन ट्यूब या किसी और जगह पर चिपक जाता है. इसको एक्टोपिक प्रेगनेंसी कहते हैं. हालांकि यह 100 में 1-2% महिलाओं में ही होता है. लेकिन ये कंडीशन काफी जानलेवा हो सकती है.
एक्टोपिक प्रेगनेंसी के शुरुआती लक्षणएक्टोपिक प्रेगनेंसी के शुरुआती लक्षण 4 से 12 हफ्तों के बीच दिख सकते हैं. इस कंडीशन में पेट के निचले हिस्से, पेल्विस, कंधे या गर्दन में तेज चुभने वाला दर्द होता है. पीरियड्स की तरह कम या ज्यादा फ्लो में ब्लड आ सकता है. पेशाब या शौच करने में दर्द महसूस होता है. इसके साथ-साथ बहुत ज्यादा खून बहने से चक्कर, कमजोरी या बेहोशी भी महसूस हो सकता है. बहुत खराब स्थिति में फैलोपियन ट्यूब फट सकता है, जिसमें मरीज को तुरंत अस्पतला लेकर जाना चाहिए.
एक्टोपिक प्रेगनेंसी के कारणमहिलाओं में एक्टोपिक प्रेगनेंसी के कई कारण हो सकते हैं. पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिजीज (PID), जिसमें फैलोपियन ट्यूब में सूजन, सर्जरी, या इंफेक्शन के कारण स्कार टिशू बन जाता है, इसके कारण फर्टिलाइज्ड एग वहां चिपक जाता है और एक्टोपिक प्रेगनेंसी वाली स्थिति बन जाती है. इसके साथ-साथ यूटेरस और फैलोपियन ट्यूब की बनावट में गड़बड़ी होने पर भी कई बार ऐसी स्थिति पैदा हो जाती है. 35 साल से अधिक की उम्र में प्रेगनेंसी होने पर भी इसके चांसेस ज्यादा होते हैं. वहीं, पेट या पेल्विक सर्जरी, स्मोकिंग, फर्टिलिटी ट्रीटमेंट लेना, एंडोमेट्रियोसिस, STD,नसबंदी के बाद प्रेगनेंसी- जैसे कंडीशन एक्टोपिक प्रेगनेंसी का कारण बनते हैं.
एक्टोपिक प्रेगनेंसी का बचाव?एक्टोपिक प्रेगनेंसी को हमेशा रोकी नहीं जा सकती है, लेकिन कुछ उपायों से इसके खतरे को कम किया जा सकता है. ऐसी कंडीशन में महिलाओं को थोड़ा ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत होती है. इसमें नियमित गाइनैकोलॉजिकल चेकअप करवाना चाहिए, धूम्रपान छोड़ें, सेफ सेक्स प्रैक्टिस करें, STI का इलाज, आदि करना जरूरी है. अगर आपको प्रेगनेंसी के दौरान ऊपर दिए गए लक्षण महसूस हो रहे हैं, तो जल्द से जल्द डॉक्टर से संपर्क करें.
Disclaimer: यहां दी गई जानकारी घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों पर आधारित है. इसे अपनाने से पहले चिकित्सीय सलाह जरूर लें. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.