उत्तर प्रदेश की राजनीति में सामाजिक न्याय की नई ललकार
उत्तर प्रदेश की राजनीति में सामाजिक न्याय की नई ललकार देने वाले सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर ने अपने दल की अध्यक्ष अनुप्रिया पटेल को पत्र लिखते हुए “सामाजिक न्याय समिति” और “रोहिणी आयोग” की रिपोर्ट पर स्पष्ट रुख अपनाने का आग्रह किया है. राजभर ने अपने पत्र में कहा है कि अनुप्रिया पटेल जैसे सहयोगी दलों को सामाजिक न्याय के सवाल पर साफ रुख अपनाना चाहिए.
उन्होंने स्पष्ट किया है कि रोहिणी आयोग की सिफारिशें और उत्तर प्रदेश की “सामाजिक न्याय समिति” की रिपोर्ट लंबे समय से लंबित हैं. इन रिपोर्टों को लागू किए बिना सच्चे सामाजिक न्याय की कल्पना अधूरी है. राजभर ने कहा है कि इन रिपोर्टों को लागू करने से ही सच्चे सामाजिक न्याय की दिशा में कदम बढ़ाया जा सकता है.
27% आरक्षण को तीन हिस्सों में बांटने की मांग
राजभर ने कहा है कि उत्तर प्रदेश में ओबीसी के लिए निर्धारित 27% आरक्षण को तीन हिस्सों में बाँटा जाए. पिछड़ा वर्ग को मिले 7%. अत्यंत पिछड़ा वर्ग को मिले 9%. सर्वाधिक पिछड़ा वर्ग को मिले 11%. उन्होंने कहा है कि यही वास्तविक सामाजिक न्याय होगा, जिससे हर वर्ग को उसका उचित हिस्सा मिलेगा.
त्रिस्तरीय चुनाव और नियुक्तियों में लागू हो व्यवस्था
सुभासपा अध्यक्ष ने कहा है कि आने वाले त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव से पहले इस रिपोर्ट को लागू किया जाना चाहिए. यही नहीं, उन्होंने सभी विभागों की भर्तियों और नियुक्तियों में भी ओबीसी आरक्षण के इस नए बंटवारे को लागू करने की मांग की. राजभर ने इसे केवल एक नारा नहीं, बल्कि वंचित तबकों की सच्ची आवाज बताया है.
अपने पोस्ट में ओपी राजभर ने तीखा हमला करते हुए कहा है, “अब तक जो वर्ग विकास की धारा से वंचित रहा, जिनका हक़ दूसरों ने खा लिया, उन्हें अब न्याय मिलेगा. अब यह अन्याय बंद होगा और हक़-हिस्सेदारी का नया दौर शुरू होगा.” उन्होंने इसे लोकतंत्र की सच्ची भावना और सामाजिक न्याय की असली लड़ाई करार दिया है.
सामाजिक न्याय बनाम राजनीति
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि राजभर की यह मांग केवल सामाजिक न्याय के एजेंडे तक सीमित नहीं है, बल्कि आगामी चुनावों में पिछड़े वर्गों के समर्थन को मजबूत करने की रणनीति भी है. ओपी राजभर लंबे समय से पिछड़े, अत्यंत पिछड़े और सर्वाधिक पिछड़े वर्गों की राजनीति करते रहे हैं. उनका यह नया कदम प्रदेश की राजनीति में नई बहस को जन्म दे सकता है.