Washington sundar big chance of team india after r Ashwin retirement india vs England| अश्विन का रिटायरमेंट का फायदा… टीम इंडिया को मिला जबरदस्त ऑलराउंडर, इंग्लैंड में फैलाई दहशत

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Washington sundar big chance of team india after r Ashwin retirement india vs England| अश्विन का रिटायरमेंट का फायदा... टीम इंडिया को मिला जबरदस्त ऑलराउंडर, इंग्लैंड में फैलाई दहशत



IND vs ENG: ओल्ड ट्रैफर्ड टेस्ट में भारत की दूसरी पारी का 71वां ओवर था वो. बेन स्टोक्स की गेंद पर केएल राहुल आउट हुए तो करोड़ों भारतीय फैंस के  मन में सवाल उठा आखिर अब कौन. क्योंकि पांचवें नंबर के बल्लेबाज ऋषभ पंत पैर फ्रैक्चर होने के चलते बैटिंग करने की हालत में नहीं थे. उनके अलावा टीम में केवल ऑलराउंडर और गेंदबाज ही थे. दबाव ऐसा था कि पहली पारी में इंग्लैंड को 311 रनों की लीड मिली थी. जवाब में भारत के दो विकेट पहले ओवर में ही गिर गए लेकिन राहुल ने शुभमन गिल के साथ 188 रन की साझेदारी कर टीम की हालत संभाल ली थी. राहुल के आउट होने के बाद अब जरूरत थी ऐसे बल्लेबाज की जो टिक कर खेल सके और साझेदारी को आगे ले जा सके.
सुंदर ने की धमाकेदार बैटिंग 
उम्मीद थी कि रविंद्र जडेजा मैदान पर उतरेंगे, लेकिन टीम मैनेजमेंट ने वॉशिंगटन सुंदर पर भरोसा दिखाया. आम तौर पर आठ नंबर पर बैटिंग करने वाले सुंदर ने आते ही पहली गेंद को प्वॉइंट की ओर धकेलकर आसानी से दो रन लिए. फैंस की चिंताओं के बीच उनका अंदाज ऐसा था मानो कुछ हुआ ही न हो. 206 गेंद की उनकी शतकीय पारी के दौरान वे ऐसे ही खेलते रहे. कभी लगा ही नहीं कि सुंदर आउट भी हो सकते हैं.
गेंदबाजी में भी कमतर नहीं
अब थोड़ा पीछे चलते हैं. बर्मिंघम में खेले गए सीरीज के दूसरे टेस्ट की ओर. पहले टेस्ट में हारने के बाद भारतीय टीम दबाव में थी. भारतीय बल्लेबाजों, खासकर कप्तान गिल के शानदार प्रदर्शन के बूते भारत ने इंग्लैंड के सामने जीत के लिए 608 रनों का विशाल लक्ष्य रखा था. पांचवें दिन सुबह 83 रनों के स्कोर पर इंग्लैंड ने पांचवां विकेट खोया तो लगा कि भारत जल्दी ही जीत जाएगा, लेकिन बेन स्टोक्स अड़ गए. भारत लंच से पहले उन्हें आउट करने का हर तरीका आजमा चुका था, लेकिन स्टोक्स पर कोई असर नहीं पड़ा. लंच से पहले आखिरी ओवर में कप्तान ने गेंद सुंदर को थमाई और उन्होंने तीसरी ही गेंद पर स्टोक्स को गच्चा दे दिया. स्टोक्स पवेलियन लौटे और भारत की जीत तय हो गई.
टीम को भरोसा
केवल 12 टेस्ट खेलने वाले खिलाड़ी पर टीम मैनेजमेंट और कप्तान को इतना भरोसा हो तो उसमें कुछ खास बात तो होगी. वॉशिंगटन सुंदर ऐसे ही हैं. बॉलिंग हो या बैटिंग, उनके पास इतना टैलेंट है कि वे स्पेशलिस्ट के रूप में टीम में खेल सकते हैं, लेकिन यही वजह है कि 4 साल पहले डेब्यू करने के बाद भी वे अब तक 12 टेस्ट मैच ही खेल पाए हैं. दरअसल, टीम मैनेजमेंट अक्सर ये नहीं तय कर पाता कि सुंदर को बॉलिंग ऑलराउंडर की जगह खिलाएं या बैटिंग ऑलराउंडर. अश्विन और जडेजा की मौजूदगी भी सुंदर के रास्ते में रुकावट रही है. अब जबकि अश्विन रिटायर हो चुके हैं और जडेजा अपने करियर के अंतिम पड़ाव पर हैं, सुंदर की टीम में स्थायी जगह बन सकती है. 
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मुश्किल मौकों के खिलाड़ी
सुंदर की सबसे बड़ी खासियत है कि वे मुश्किल मौकों पर टीम को सहारा देते हैं. अपने पहले टेस्ट में ही ब्रिसबेन में उन्होंने 144 गेंदों पर 62 रन बनाए थे जो ऐतिहासिक बन गई. चेन्नई में टर्निंग विकेट पर 85 रन हों या मोटेरा में नाबाद 92 री या फिर बर्मिंघम में पहली पारी में 42 रन- सुंदर की हर पारी ने टीम को मुश्किल से उबारा है. ओल्ड ट्रैफर्ड में तो उन्होंने अपनी बैटिंग से भारत को तय लगती हार से बचा लिया. 
लंबी पारी की तैयारी
सुंदर की टीम में भूमिका को लेकर संदेह भले हो, लेकिन इसमें कोई शक नहीं कि वे भारतीय टीम के नंबर 1 ऑलराउंडर हैं. टेस्ट में करीब 45 का बैटिंग और 27 का बॉलिंग एवरेज बताता है कि आने वाले कई सालों तक वे भारतीय टीम का हिस्सा बने रह सकते हैं. कुछ लोगों का ये मानना है कि सुंदर टॉप ऑर्डर में बल्लेबाजी कर सकते हैं. वहीं, नासिर हुसैन जैसे एक्सपर्ट इंग्लैंड की पिचों पर उनकी गेंदबाजी की तारीफ कर चुके हैं. सुंदर पारंपरिक ऑफ स्पिनर हैं. उनकी गेंदों में उतना घुमाव नहीं होता, लेकिन इसकी भरपाई वे अपनी लाइन-लेंथ से करते हैं. हाल के दिनों में उन्होंने गेंदबाजी में लूप और ड्रिफ्ट पर काफी काम किया है. इसका असर भी देखने को मिल रहा है. स्पीड और लेंथ में बदलाव कर वे वैरायटी लाने की भी कोशिश कर रहे हैं. टीम मैनेजमेंट का विश्वास उन्हें पहले से हासिल है. यानी आने वाले दिन भारतीय क्रिकेट और वॉशिंगटन के लिए ‘सुंदर’ होने वाले हैं.



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