Uttar Pradesh

वह कौन सी ‘महिला’ थी जिसने बना दिया प्रेमानंद को संत? जानिए प्रेमानंद महाराज के बचपन की कहानी।

वृंदावन के प्रेमानंद महाराज ने अपने बचपन की एक ऐसी बात का खुलासा किया है, जिसे सुनकर हर कोई दंग हो जाएगा. प्रेमानंद महाराज की ख्याति दुनिया भर में फैल चुकी है, और लोग उनके सत्संग सुनने और उनके साथ मिलने वृंदावन आते हैं. उन्होंने अपने बचपन की एक ऐसी बात का खुलासा किया है, जिसमें उन्होंने बताया है कि बचपन में उनको कैसे-कैसे ख्याल आते थे और एक महिला को लेकर काफी परेशान रहते थे.

प्रेमानंद महाराज ने बताया कि जब वह 13 साल की उम्र में स्कूल से वापस आते थे, तो उन्हें अपनी मां से बहुत लगाव था. उनकी मां बीमार रहती थीं और उन्हें यह बीमारी वंशानुगत थी. जब वह अपनी मां को बीमार देखते थे, तो लगता कि वो नहीं बचेंगी. इस सोच में वह पड़ जाते थे कि अगर मां को कुछ हो गया तो कैसे रह पाऊंगा. उनका है कौन? पापा की तरह मां भी छोड़कर चली जाएंगी. आखिरकार मेरे जन्म का मतलब क्या है? ये सब क्या है?

यहां तक कि कहीं न कहीं यही महिला उनके संत बनने की एक बड़ी वजह भी थी. प्रेमानंद महाराज को लेकर कई कहानियां हैं, जिसमें कहा जाता है कि भोलेनाथ ने स्वयं प्रेमानंद महाराज को दर्शन दिए. इसके बाद वे घर का त्याग कर वृंदावन आ गए. लेकिन, प्रेमानंद महाराज ने क्यों साधारण जीवन का त्याग कर भक्ति का मार्ग चुना और महाराज जी संन्यासी कैसे बन गए, इसका अब उन्होंने ही कारण बताया है.

उन्होंने बताया कि जब उनसे एक भक्त ने पूछा कि आप जब भागवत प्राप्ति के मार्ग पर चल रहे थे तो आपको सबसे ज्यादा कौन सा सवाल परेशान करता था, तो उन्होंने एक महिला का जिक्र किया. उन्होंने कहा, ‘जब मैं 13 साल की उम्र में स्कूल से वापस आता था तो पूर्व जन्म का कुछ ऐसा भजन रहा होगा कि सबसे ज्यादा अगर किसी से प्यार था तो वो अपनी मां से था. उनसे बहुत लगाव था. पर, वो बहुत बीमार रहती थी. हम जिस रोग से पीड़ित हैं. मां को भी यही बीमारी थी. यह वंशानुगत रोग है. मां को जब बीमार हालत में देखते थे तो लगता कि वो नहीं बचेंगी. फिर मैं इस सोच में पड़ जाता था कि अगर मां को कुछ हो गया तो कैसे रह पाऊंगा. मेरा है कौन? पापा की तरह मां भी छोड़कर चली जाएंगी. आखिरकार मेरे जन्म का मतलब क्या है? ये सब क्या है?’

यह एक ऐसी बात है जिसे सुनकर हर कोई दंग हो जाएगा. प्रेमानंद महाराज की कहानी एक ऐसी कहानी है जो हमें सिखाती है कि जीवन में क्या है और क्या नहीं. यह एक ऐसी कहानी है जो हमें सिखाती है कि जीवन में क्या महत्वपूर्ण है और क्या नहीं।

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