सिमरनजीत सिंह/शाहजहांपुर : कहते हैं कि डॉक्टर का बेटा डॉक्टर बनना चाहता है, इंजीनियर का बेटा इंजीनियर लेकिन किसान का बेटा किसान नहीं बनना चाहता. लेकिन शाहजहांपुर में किसान के बेटे ने कानून की पढ़ाई पूरी करने के बाद वकालत न करते हुए खेती करना बेहतर समझा. इस युवा ने इस बात को भी झूठा साबित कर दिया जो लोग कहते थे कि अब खेती फायदे का सौदा नहीं रहा.

शाहजहांपुर के विकासखंड क्षेत्र खुदागंज के अकबरपुर गांव के रहने वाले लाल बहादुर गंगवार ने कानून की पढ़ाई पूरी की. कुछ समय काम करने के बाद लाल बहादुर ने वकालत छोड़ पिता के साथ खेती करना शुरू कर दिया. शुरूआती दिनों में धान, गेहूं और गन्ने की परंपरागत खेती में हाथ आजमाया. लेकिन जब परंपरागत खेती में जब अच्छी आमदनी नहीं हुई. तो लाल बहादुर ने बागवानी करने का फैसला लिया.

33 बीघे में लगाया आम का भागलाल बहादुर गंगवार ने बताया कि उन्होंने शुरुआत में एक एकड़ खेत में आम के पौधे लगाए. जब आम से बेहतर आमदनी होने लगी तो उन्होंने धीरे-धीरे बागवानी की तरफ आगे कदम बढ़ाया. अब करीब 33 बीघे जमीन में आम का बाग लगाया है. लाल बहादुर गंगवार के पास करीब आधा दर्जन किस्म के आम के पौधे हैं.

इन मंडियों में करते हैं फलों की सप्लाईलाल बहादुर गंगवार ने आम के बाग के साथ-साथ अमरूद के भी पौधे लगाए हैं. लाल बहादुर ने करीब 1 एकड़ खेत में अमरूद का बाग लगाया है. जिससे उनको मोटी कमाई हो रही है. लाल बहादुर गंगवार का कहना है कि वह अपने यहां तैयार हुई फलों को शाहजहांपुर और कटरा के साथ-साथ आसपास के जिलों को मंडियों में सप्लाई करते हैं. जिससे उनको अच्छी कमाई हो रही है.

फलों के साथ नर्सरी से भी कमाईलाल बहादुर गंगवार अब नर्सरी में तैयार पौधे किसानों को बेचते हैं. इसके अलावा किसानों को बागवानी करने के लिए प्रशिक्षित भी करते हैं. इतना ही नहीं नर्सरी से करीब एक दर्जन परिवारों को रोजगार भी दिया है.
.Tags: Agriculture, Local18, Shahjahanpur News, Uttar Pradesh News HindiFIRST PUBLISHED : March 18, 2024, 14:47 IST



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