विटामिन D की पर्याप्त मात्रा उम्र से जुड़ी शारीरिक समस्याओं को कम करने में मदद कर सकती है. अमेरिकन जर्नल ऑफ क्लीनिकल न्यूट्रिशन में प्रकाशित इस रिसर्च के मुताबिक, विटामिन D सप्लीमेंट लेने वाले लोगों में उम्र बढ़ने की अहम निशानी टीलोमीयर की लंबाई में कम गिरावट देखी गई.
टीलोमीयर डीएनए के सिरों पर मौजूद सेफ्टी कैप्स होते हैं, जिनका छोटा होना उम्र बढ़ने और कई बीमारियों से जुड़ा माना जाता है. यह रिसर्च विटामिन D को उम्र से जुड़ी बीमारियों से बचाव में सहायक मानती है, खासकर उन लोगों के लिए जिनमें सूजन की समस्या अधिक होती है.
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क्या है रिसर्च में खास
इस अध्ययन में करीब 900 प्रतिभागियों को शामिल किया गया, जो एक बड़े क्लीनिकल ट्रायल का हिस्सा थे. चार सालों तक कुछ लोगों को विटामिन D सप्लीमेंट और कुछ को प्लेसीबो (नकली दवा) दिया गया. जिन लोगों ने विटामिन D लिया, उनके टीलोमीयर की लंबाई में कम गिरावट देखी गई. इसी अध्ययन में ओमेगा-3 फैटी एसिड की जांच भी की गई, लेकिन उससे टीलोमीयर की लंबाई पर कोई खास असर नहीं दिखा.
विटामिन डी से इन बीमारियों का रिस्क कम
वैज्ञानिकों का मानना है कि विटामिन D शरीर में सूजन को कम करता है, जिससे टीलोमीयर की सुरक्षा होती है. जिससे टाइप 2 डायबिटीज, हार्ट डिजीज और संक्रमण जैसी बीमारियों का जोखिम कम होता है.
विटामिन D कोई जादुई इलाज नहीं
शोधकर्ता जोआन मैन्सन ने बताया कि विटामिन D कोई चमत्कारी उपाय नहीं है. कुछ पुरानी बीमारियों पर इसका कोई असर नहीं पड़ता. उनका सुझाव है कि लोग केवल सप्लीमेंट पर निर्भर न रहें, बल्कि संतुलित आहार और स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं.
क्या आपको सप्लीमेंट लेना चाहिए?
विशेषज्ञों का कहना है कि बिना डॉक्टर की सलाह के विटामिन D सप्लीमेंट शुरू न करें. धूप और आहार के जरिए भी शरीर को यह विटामिन मिल सकता है.
विटामिन D के नेचुरल सोर्स
सुबह की धूप, फैटी फिश जैसे सैल्मन, सार्डिन और मैकेरल. अंडे की जर्दी और बीफ लिवर, यूवी-ट्रीटेड मशरूम, फोर्टिफाइड फूड जैसे दूध, दही और अनाज में नेचुरल विटामिन डी मौजूद होता है.
Disclaimer: यहां दी गई जानकारी घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों पर आधारित है. इसे अपनाने से पहले चिकित्सीय सलाह जरूर लें. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.